Shubhanshu Shukla Wing Commandar: इसरो ने 1st Gaganyan mission के लिए शुभांशु शुक्ला को चुना

Anushka Panwar
Shubhanshu Shukla Wing Commandar

शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla Wing Commandar) का अंतरिक्ष सफर

शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla Wing Commandar) भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन कमांडर हैं और भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं। उन्हें 2019 में भारतीय वायु सेना के तहत इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन द्वारा अंतरिक्ष यात्री चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया, और 2020 में रूस में बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त किया। 2021 में उन्होंने बैंगलोर में इसरो के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र से प्रशिक्षण लिया। उनका नाम 27 फरवरी, 2024 को इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के लिए आधिकारिक रूप से घोषित किया गया है।

शुभांशु शुक्ला और अंतरिक्ष मिशन

मानव अंतरिक्ष उड़ान और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS): वर्तमान में, केवल तीन देशों—रूस, चीन और अमेरिका के पास मानव अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने की क्षमता है। भारत का पहला अंतरिक्ष यात्री, राकेश शर्मा, 1984 में अंतरिक्ष गए थे। आईएसएस पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य करता है।

गगनयान मिशन और ISRO की महत्त्वपूर्ण योजनाएँ

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इसरो (ISRO) और नासा (NASA) के संयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘एक्सिओम-4’ (Axiom mission 4) के लिए चुना गया है। यदि यह मिशन सफल रहता है, तो वह भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे। राकेश शर्मा के बाद, वह अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। इस मिशन के लिए शुक्ला को प्राथमिक (प्राइम) अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया है, जबकि ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर बैकअप के रूप में चयनित हैं। यह मिशन स्पेसएक्स रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा और शुक्ला, नायर सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जाएंगे।

गगनयान मिशन 

शुक्ला और नायर भी इसरो के गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) का हिस्सा हैं, जिसका मकसद भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेजना है। ये गगन्यान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) एक ऐसा अंतरिक्ष यान है जो पृथ्वी की कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगता है और इसका इस्तेमाल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए किया जाता है। इसे 1998 में लॉन्च किया गया था और यह यूरोप, अमेरिका, रूस, कनाडा, और जापान की एक संयुक्त परियोजना है।

अक्सिओम मिशन-4 (Axiom Mission 4) के प्रमुख उद्देश्य:

  • अक्सिओम मिशन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
  • अक्सिओम मिशन-4 में भारतीय अंतरिक्ष यात्री
  • NASA और Axiom Space के साथ भारत का सहयोग

भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (प्राइम) और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर (बैकअप), ने Axiom Mission 4 के लिए प्रशिक्षण का प्रारंभिक चरण सफलतापूर्वक पूरा किया। यह मिशन, जो स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च होगा, जो 14 दिनों तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। यह एक्सिओम स्पेस (Axiom Space) का यह चौथा मिशन है और नासा के सहयोग से आयोजित किया गया है।

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इसरो-नासा अंतरिक्ष मिशन और शुभांशु शुक्ला

लखनऊ के निवासी और भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला को NASA के Axiom Mission 4 के लिए प्रमुख अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया है। ISRO ने यह घोषणा की कि शुक्ला को इस मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजा जाएगा।  इस मिशन में ग्रुप कैप्टन शुक्ला के साथ बैकअप पायलट के रूप में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर भी होंगे।

शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में हुआ था। वे 18 वर्षों से भारतीय वायुसेना में सेवाएं दे रहे हैं और 2000 घंटे से अधिक उड़ान अनुभव रखते हैं। वे अब अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के पांचवें अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं।

शुभांशु शुक्ला का व्यक्तित्व और जीवन यात्रा

Gaganyaan Mission- Shubhanshu Shukla Wing Commandar
Gaganyaan Mission- Shubhanshu Shukla Wing Commandar

विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के एक प्रमुख पायलट और अंतरिक्ष यात्री हैं। वे भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” के चार प्रमुख अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं। शुभांशु ने 2006 में भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया और 2019 में विंग कमांडर बने। उन्होंने विभिन्न विमानों जैसे Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, और जगुआर में उड़ान भरने का अनुभव प्राप्त किया है।

गगनयान मिशन  के लिए चुने जाने से पहले, उन्होंने रूस में 18 महीने का प्रशिक्षण लिया और बाद में बेंगलुरु में इसरो के मानव अंतरिक्ष केंद्र में तैयारियों को जारी रखा। शुभांशु की ऊंचाई 1.78 मीटर है और वे हिंदू धर्म का पालन करते हैं। उनका नाम 27 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गगनयान मिशन के लिए आधिकारिक रूप से घोषित किया गया था। उनकी पत्नी का नाम कामना शुक्ला है जो उनके इस साहसिक यात्रा का उनका समर्थन करती आयी हैं।

भारतीय अंतरिक्ष मिशनों में शुभांशु शुक्ला की भूमिका

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने घोषणा की है कि ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla Wing Commandar और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर को आगामी भारत-अमेरिका मिशन के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजा जाएगा। शुभांशु शुक्ला को प्राथमिक अंतरिक्ष यात्री के रूप में नामित किया गया है, जबकि नायर उनके बैकअप होंगे। ये दोनों भारतीय वायु सेना के अधिकारी हैं और एक्सिओम स्पेस के सहयोग से इस मिशन के लिए ट्रेनिंग लेंगे। अक्टूबर 2025 में लॉन्च होने वाला एक्सिओम मिशन-4, स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन(Axiom Mission, Axiom Mission-4, SpaceX Crew Dragon) के जरिए आईएसएस तक पहुंचेगा। शुभांशु शुक्ला का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन “Gaganyaan Mission” के लिए  घोषित किया था।

 

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मैं अनुष्का पंवार, Subah Times की लेखिका हूं। मैं विभिन्न विषयों पर हमेशा meaningful, informative और descriptive लेख लिखती हूँ। मैं विविध विषयों पर लिखती हूं, जिनमें Trending News, Technology, Environmental Issues, Societal Concerns, जो मेरे मुख्य विषय हैं। मेरे लेख कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों जैसे The Economic Times, Times of India, Millennium Post, Asian Age, और Navbharat Times में प्रकाशित हो चुके हैं। लेखन के अलावा, Tech Enthusiast और उद्यमिता (Entrepreneurship) मेरे आदर्श विषय हैं। मेरा सपना तकनीकी उद्योग में एक सकारात्मक और प्रभावशाली लेखक के रूप में अपनी पहचान बनाने का है। वर्तमान में, मैं लेखन कार्य के साथ एक Innovative Tech Startup पर काम कर रही हूं, जहां रचनात्मकता (creativity) और नवाचार (innovation) मेरे कार्य के विषय है। मेरा मानना है कि शब्दों की ताकत और तकनीक की शक्ति को एक साथ लाकर हम एक बेहतर दुनिया की ओर कदम बढ़ा सकते हैं और लोगों के सोच में बदलाव ला सकते हैं जो आज के इस तकनिकी युग में बहुत जरुरी है।
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