दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी आवाज़ या चेहरा किसी और के वीडियो में इस्तेमाल हो सकता है? जी हां, यह संभव है Deepfake Technology (डिपफेक टेक्नोलॉजी) की मदद से! डिपफेक का मतलब है “डीप फेक” यानी गहरा नकली। इस तकनीक के जरिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का इस्तेमाल करके किसी का वीडियो या ऑडियो फर्जी तरीके से बनाया जाता है। इससे लोगों को बदनाम किया जा सकता है, चुनावों में धोखा दिया जा सकता है और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है।
Deepfake Technology का बढ़ता खतरा भारत में, कई लोगों को करना पड़ रहा सफर:
वर्तमान समय में डीपफेक टेक्नोलॉजी (Deepfake Technology) का कहर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इस बढ़ते हुवे कहर के दौरान जहां इसके फायदे हैं वहीं इसके काफी नुकसान भी हैं। आइए आपको बताते हैं एक और खतरनाक टेक्नोलॉजी के बारे में जो आपकी इमेज या वीडियो को इस तरह से क्रिएट कर सकती है जो आपके लिए समस्या खड़ी कर सकती है। यह खासकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं की तस्वीरों एवं वीडियो बनाने के लिए किया जा रहा है, जिसका उपयोग करके गलत जानकारी फैलाना, ब्लैकमेल करना आदि किया जा रहा है। आइए जानते हैं विस्तार से इसके बारे में एवं इससे बचने के उपाय।

क्या है Deepfake Technology?
आपको यह बता दें कि यह Deepfake Technology (डीपफेक टेक्नोलॉजी) दूसरी टेक्नोलॉजी की तरह से भारत में तेजी से ग्रो कर रही है। यह एक इस प्रकार की टेक्नोलॉजी है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करके डेवलप की गई है। इसका इस्तेमाल कर इस तरह की तस्वीरों, वीडियो को बनाया जा सकता है जो बिलकुल दिखने में असली प्रतीत हो।
इस टेक्नोलॉजी का उपयोग मनोरंजन और क्रिएटिव इंडस्ट्री में इस तरीके के मटेरियल को बनाने में किया जाता है, परंतु इसका दुरुपयोग किया जा रहा है जो कि एक आपत्तिजनक समस्या है। इस तरीके की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अमेरिकी सीनेट ने कुछ ही दिन पहले ‘टेक इट डाउन‘ एक्ट की शुरुआत की है जिसके अंतर्गत यह सुनिश्चित किया गया है कि बिना अनुमति के AI Generated इमेजेस, वीडियो एवं किसी की निजी तस्वीरें आदि पब्लिकली अपलोड करना अपराध है।
कैसे किया जा रहा है Deepfake Technology का दुरुपयोग?
यह Deepfake Technology (डीपफेक टेक्नोलॉजी) का बढ़ता खतरा सेलिब्रिटीज, आम जनता के लिए किया जा रहा है। जैसे सन 2024 में नेशनल क्रश रश्मिका मंदाना, आलिया भट्ट और कटरीना कैफ आदि की फेक इमेजेस, वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई थीं। रिसर्च के अनुसार अभी तक लगभग 84 प्रतिशत सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को Deepfake Technology (डीपफेक टेक्नोलॉजी) के दुरुपयोग से सामना करना पड़ा है। यह तो आपको सेलिब्रिटीज और इन्फ्लुएंसर्स के बारे में बताया गया, मगर यह यहीं तक ही सीमित नहीं है।
आम जनता के उदाहरण में एक अनजान व्यक्ति सोशल मीडिया पर एक सामान्य सी लिंक पर क्लिक करते हैं, ठीक इसके बाद ही उन्हें उनकी अश्लील तस्वीरों को अपलोड करने की धमकी दी जाती है और पैसे की मांग की जाती है।
Deepfake Technology के लिए भारत में नियम-कानून:
भारत में फिलहाल जानकारी के अनुसार Deepfake Technology (डीपफेक टेक्नोलॉजी) के दुरुपयोग को लेकर ऐसा कुछ नियम नहीं है। परंतु भारत में कुछ ऐसे नियम हैं जिनका इस्तेमाल इसके दुरुपयोग के लिए किया जा सकता है, आइए जानते हैं:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000):
इस नियम के अंतर्गत इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक डाटा से संबंधित केसों को नियंत्रित किया जाता है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023:
इस संहिता के अंतर्गत जिसमें किसी भी व्यक्ति की तस्वीर को नुकसान पहुंचाने, धोखाधड़ी करने आदि के लिए विशेष नियम और दंड निर्धारित किए गए हैं।
गोपनीयता और मानहानि कानून:
इस कानून के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति की प्राइवेट जानकारी, झूठी जानकारी फैलाने पर सख्त कार्रवाई की जाती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के निर्देश:
यह भारत सरकार का एक मंत्रालय है जिसमें डिजिटल दुनिया और सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित नियमों एवं योजनाओं को लागू किया जाता है। यह आमतौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, वेबसाइट्स और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स के लिए तैयार किया गया है ताकि इन्हें धोखाधड़ी, डेटा चोरी, और अन्य अवैध डिजिटल गतिविधियों से बचाया जा सके।
Deepfake Technology के दुरुपयोग से खुद को कैसे रखें सुरक्षित?
सोशल मीडिया पर सतर्क रहें:
अपनी निजी तस्वीरों और वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कम शेयर करने की कोशिश करें।
सुरक्षित पासवर्ड और दो-चरणीय प्रमाणन (2FA) का उपयोग करें:
अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर मजबूत पासवर्ड एवं साथ ही Two-Factor Authentication (2FA) का उपयोग कीजिए।
बेहतर गोपनीयता सेटिंग्स का उपयोग करें:
वर्तमान समय में बढ़ते फ्रॉड्स एवं स्कैम्स के दौरान आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की सेटिंग को इस तरीके से कस्टमाइज कीजिए ताकि आपकी जानकारी उन लोगों तक ही सीमित रहे जिन्हें आप जानते हों।
धोखाधड़ी और स्कैम से बचें:
अनजाने लिंक्स पर क्लिक करने से बचें।
अपनी डिजिटल पहचान की निगरानी करें:
सोशल मीडिया के उपयोग के दौरान अपनी ऑनलाइन उपस्थिति को निरंतर मॉनिटर करते रहें ताकि आप अपने कंटेंट के दुरुपयोग से बच सकें।

Deepfake Technology के शिकार होने पर विक्टिम को क्या करना चाहिए?
साक्ष्य सुरक्षित रखें (Preserve evidence):
इस तरीके से पीड़ित होने पर फेक इमेजेस वीडियो का स्क्रीनशॉट लीजिए। इसके साथ ही उन URL और समय-स्टैम्प का भी ध्यान रखें।
प्राधिकृत अधिकारियों से रिपोर्ट करें (Report to authorities):
जितना जल्दी हो सके उतना साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराइए।
प्लेटफार्म से सामग्री हटवाएं (Request platform takedowns):
फेक अपलोडेड इमेजेस और वीडियो को जल्द से जल्द हटवाएं।
कानूनी मदद लें (Seek legal help):
भारत में लागू नियम कानूनों की मदद लें ताकि अपराधी को सजा मिल सके।
NGO और कानूनी सहायता कार्यक्रम(NGOs and legal aid programs):
भारत में फिलहाल ऐसा कोई संगठन नहीं है, परंतु इस दौरान आप कुछ डिजिटल अधिकार समूह, साइबर कानून क्लिनिक की मदद ले सकते हैं।
दोस्तों, क्या आप कभी Deepfake Technology का शिकार हुवे हैं। क्या सरकार को कोई कदम उठाने चाहिए? और भारत में डिपफेक टेक्नोलॉजी (Deepfake Technology) से कैसे निपटा जा सकता है? हमें कमेंट करके बताएं।