Is using ChatGPT bad: ChatGPT जैसे AI चैटबॉट्स पर ज्यादा निर्भरता आपके दिमाग को कमजोर कर सकती है, जून 2025 में की गयी MIT की एक स्टडी ने किया चौंकाने वाला खुलासा।

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Is using ChatGPT bad:आज के डिजिटल युग में ChatGPT जैसे AI टूल्स का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है, खासकर छात्रों के बीच। लेकिन कई लोग यह सोचने लगे हैं कि Is using ChatGPT bad? यानी क्या इसका इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है? इस लेख में हम जानेंगे कि ChatGPT effect on students क्या है, इसके फायदे और नुकसान यानी ChatGPT Pros and Cons क्या हैं, और कैसे GPT तकनीक छात्रों की पढ़ाई, सोचने की क्षमता और आत्मनिर्भरता को प्रभावित कर रही है।

Is using ChatGPT bad: ज्यादा लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स का इस्तेमाल दिमाग को कमजोर करता है, जानिए किस प्रकार इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से हमारी जिंदगी का हिस्सा बनता जा रहा है। खासकर ChatGPT, Google Gemini, और अन्य AI चैटबॉट्स ने लोगों के सवालों का जवाब देना, लेख लिखना, कोड बनाना, ईमेल टाइप करना और यहां तक कि कठिन विचारों को भी आसान बनाना बहुत आसान कर दिया है।

लेकिन एक नई रिसर्च ने इस AI पर बढ़ती निर्भरता को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।MIT (Massachusetts Institute of Technology) की एक ताज़ा स्टडी के अनुसार, अगर हम बार-बार अपनी सोचने की क्षमता की जगह AI चैटबॉट्स पर भरोसा करने लगते हैं, तो इससे हमारे दिमाग की सोचने और समझने की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर हो सकती है।

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Is using ChatGPT bad: क्या कहती है MIT की स्टडी?

MIT के रिसर्चर्स ने एक स्टडी की जिसमें उन्होंने यह जांचा कि जब लोग किसी कार्य के लिए खुद सोचते हैं और जब वही कार्य AI से करवाया जाता है तो दोनों में क्या फर्क आता है।उन्होंने पाया कि जो लोग बार-बार AI से राय या समाधान लेते हैं, वे धीरे-धीरे खुद कम सोचने लगते हैं। इससे उनके क्रिटिकल थिंकिंग (आलोचनात्मक सोच) और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स (ChatGPT effect on students) पर नकारात्मक असर पड़ता है।

रिसर्च का यह भी कहना है कि AI पर बहुत अधिक निर्भरता हमें “मेंटल पैसिविटी” यानी मानसिक सुस्ती की ओर ले जा सकती है। इसका मतलब है कि हमारा दिमाग कम एक्टिव हो जाता है और हर चीज के लिए बाहरी मदद का इंतजार करने लगता है।

Is using ChatGPT bad: किस प्रकार किया गया इस स्टडी को परफॉर्म?

यह अध्ययन इस बात को समझने के लिए किया गया कि जब लोग निबंध लिखते समय LLM (जैसे कि ChatGPT) का सहारा लेते हैं, तो उनके दिमाग और व्यवहार (ChatGPT Pros and Cons) पर क्या असर पड़ता है।

शोध में प्रतिभागियों को तीन समूहों में बाँटा गया:

  • LLM समूह – जिन्हें AI टूल की मदद मिली,
  • Search Engine समूह – जिन्होंने केवल इंटरनेट पर जानकारी खोजी,
  • Brain-only समूह – जिन्होंने बिना किसी टूल के सिर्फ अपने दिमाग से काम किया।

पहले तीन सत्रों में सभी प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी स्थिति के अनुसार निबंध लिखे। चौथे सत्र में, LLM समूह के कुछ लोगों को बिना टूल वाले Brain-only समूह में रखा गया, और Brain-only समूह के कुछ लोगों को LLM का उपयोग करने दिया गया। 54 लोगों ने पहले तीन सत्रों में हिस्सा लिया और 18 ने चौथा सत्र पूरा किया।

इस दौरान उनके दिमाग की गतिविधि को EEG मशीन से मापा गया और निबंधों का विश्लेषण NLP तकनीक, मानव शिक्षकों और AI-जज की मदद से किया गया।

मुख्य निष्कर्ष:

  • Brain-only समूह के प्रतिभागियों के दिमाग में सबसे मजबूत और फैले हुए नेटवर्क दिखे।
  • Search Engine समूह में गतिविधि थोड़ी कम थी।
  • LLM उपयोगकर्ताओं में दिमागी नेटवर्क सबसे कमजोर और सीमित थे।

जैसे-जैसे लोग बाहरी टूल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनकी मस्तिष्कीय गतिविधि घटती जाती है।

चौथे सत्र में, जब LLM उपयोगकर्ता बिना टूल के निबंध लिखने लगे, तो उनके दिमाग में कम अल्फा और बीटा तरंगें दिखीं — यानी उनका ध्यान और सोचने की क्षमता कम सक्रिय थी। वहीं, जो पहले बिना टूल के काम कर रहे थे और बाद में LLM का उपयोग करने लगे, उनमें याद्दाश्त और सोचने की क्षमता ज्यादा सक्रिय दिखी — जैसे कि वे अब अपने दिमाग को कम इस्तेमाल कर रहे थे और सिर्फ जानकारी दोहरा रहे थे।

व्यवहार से जुड़े परिणाम:

जिन लोगों ने LLM का उपयोग किया, वे अपने निबंध को “अपना” नहीं मानते थे।वे अपने ही लिखे गए हिस्सों को ठीक से याद नहीं रख पाए।Brain-only समूह को अपने निबंध पर सबसे ज्यादा भरोसा और जुड़ाव महसूस हुआ।

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Is using ChatGPT bad: चैटबोट्स को किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है

AI चैटबॉट्स जैसे कि GPT बेहद सक्षम हैं और कई मामलों में इंसानों से भी तेज़। ये चैटबॉट्स:

  • जानकारी जल्दी और सटीक दे सकते हैं,
  • किसी भी विषय पर लेख या जवाब बना सकते हैं,
  • कोडिंग, गणित, भाषा और अन्य स्किल्स में मदद कर सकते हैं,
  • छात्रों, प्रोफेशनल्स, लेखकों, और प्रोग्रामर्स की मदद कर सकते हैं,
  • लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब लोग AI को पूरी तरह से अपने सोचने और निर्णय लेने के लिए इस्तेमाल करने लगते हैं।

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Is using ChatGPT bad: यह Chatbots किस प्रकार नुकसान पहुंचाते हैं

अगर हम हर बार किसी सवाल या समस्या के लिए सिर्फ AI से मदद लेते हैं, तो हम खुद सोचना बंद कर देते हैं। धीरे-धीरे हमारा दिमाग कम एक्टिव होता है और “ऑटो मोड” में चला जाता है – यानी जहां हम सिर्फ जवाब लेते हैं, सोचते नहीं।

इसका असर हमारे (ChatGPT Pros and Cons):

  • याद रखने की क्षमता
  • नवाचार (Innovation)
  • निर्णय लेने की कला (Decision Making)
  • सोचने और समझने की शक्ति (Understanding Power)

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Is using ChatGPT bad: Chatbots का किस तरह से सही तरीके (ChatGPT Pros and Cons) से इस्तेमाल किया जाता है

ChatGPT और दूसरे चैटबॉट्स (ChatGPT effect on students) को एक सहायक टूल की तरह इस्तेमाल करना चाहिए, न कि पूरी तरह से उन पर निर्भर होना चाहिए। इसका उपयोग ऐसे करें:

  • सीखने में मदद के लिए: अगर कोई टॉपिक समझ नहीं आ रहा, तो ChatGPT से सरल भाषा में समझा सकते हैं।
  • आइडिया जनरेट करने के लिए: निबंध, प्रोजेक्ट या लेख के लिए शुरुआती सुझाव लेने में मदद मिल सकती है।
  • सुधार और सुझाव के लिए: अपने लिखे हुए काम को जांचने और सुधारने में चैटबॉट से राय ली जा सकती है।
  • प्रैक्टिस करने के लिए: जैसे भाषा सुधार, सवाल-जवाब प्रैक्टिस आदि।

लेकिन ध्यान रखें:

  • खुद सोचने और लिखने की आदत न छोड़े।
  • हर बात पर अंधविश्वास न करें, जानकारी को क्रॉस-चेक करें।
  • चैटबॉट को टूल की तरह लें, गुरु की तरह नहीं।

इस तरह से अगर ChatGPT का इस्तेमाल किया जाए, तो यह नुकसान नहीं करेगा, बल्कि आपके सीखने के सफर में एक अच्छा साथी बन सकता है।

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Is using ChatGPT bad: इस MIT की स्टडी से क्या सीख मिलती है?

इस स्टडी से साफ है कि AI हमें केवल सहायक की तरह उपयोग करना चाहिए, ना कि पूरी तरह से दिमाग का विकल्प। ChatGPT जैसे टूल्स का इस्तेमाल करें, लेकिन आखिरी फैसला खुद का रखें। इससे न केवल आपकी सोचने की शक्ति बनी रहेगी, बल्कि आप टेक्नोलॉजी का समझदारी से लाभ भी उठा सकेंगे।

अंत में कहा जा सकता है कि ChatGPT और अन्य GPT टूल्स पढ़ाई में मददगार तो हैं, लेकिन इनका जरूरत से ज़्यादा उपयोग छात्रों की सोचने की क्षमता और रचनात्मकता को कम कर सकता है। इसलिए यह सवाल उठता है कि Is using ChatGPT bad? — इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि इसका इस्तेमाल कैसे और कितनी समझदारी से किया जा रहा है। हमें ChatGPT Pros and Cons को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाना चाहिए, ताकि ChatGPT effect on students सकारात्मक रहे और वे तकनीक का सही तरीके से लाभ उठा सकें।

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मैं अनुष्का पंवार, Subah Times की लेखिका हूं। मैं विभिन्न विषयों पर हमेशा meaningful, informative और descriptive लेख लिखती हूँ। मैं विविध विषयों पर लिखती हूं, जिनमें Trending News, Technology, Environmental Issues, Societal Concerns, जो मेरे मुख्य विषय हैं। मेरे लेख कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों जैसे The Economic Times, Times of India, Millennium Post, Asian Age, और Navbharat Times में प्रकाशित हो चुके हैं। लेखन के अलावा, Tech Enthusiast और उद्यमिता (Entrepreneurship) मेरे आदर्श विषय हैं। मेरा सपना तकनीकी उद्योग में एक सकारात्मक और प्रभावशाली लेखक के रूप में अपनी पहचान बनाने का है। वर्तमान में, मैं लेखन कार्य के साथ एक Innovative Tech Startup पर काम कर रही हूं, जहां रचनात्मकता (creativity) और नवाचार (innovation) मेरे कार्य के विषय है। मेरा मानना है कि शब्दों की ताकत और तकनीक की शक्ति को एक साथ लाकर हम एक बेहतर दुनिया की ओर कदम बढ़ा सकते हैं और लोगों के सोच में बदलाव ला सकते हैं जो आज के इस तकनिकी युग में बहुत जरुरी है।
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