Meet to Eshan Chattopadhyay: Gödel Prize 2025 Winner, भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक की प्रेरक कहानी

Meet to Eshan Chattopadhyay, भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक को Gödel Prize 2025 पुरस्कार प्राप्त करते हुए

Meet to Eshan Chattopadhyay आपने शायद सुना होगा नाम, अब सुर्खियों में है, क्योंकि उन्हें Gödel Prize 2025 से सम्मानित किया गया है, जो Computer Science Awards 2025 में सबसे प्रतिष्ठित माना जाता है। और सिर्फ इतना ही नहीं, वे हैं और अब Indian-origin वैज्ञानिक के रूप में इतिहास रच रहे हैं। लेकिन आप सोच रहे होंगे, यह पुरस्कार क्या है और यह हमें कैसे प्रभावित करता है?

लेकिन इसमें आपकी दिलचस्पी क्या और क्यों? आइए, आपको विस्तार से बताता हूँ:

  • Gödel Prize, एक शिखर सम्मान है, जिसका नाम उद्धृत गणितज्ञ Kurt Gödel के नाम पर है
  • इसका उद्देश्य है “theoretical computer science में लंबे समय से बंद पहेलियों को हल करना।

और जब कोई Indian-origin वैज्ञानिक इसे जीतता है, तो यह न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात बन जाती है। इसलिए “Meet to Eshan Chattopadhyay” सिर्फ एक नाम नहीं, प्रेरणा का प्रतीक बन गया है। क्या आपका दिल भी गर्व से भर गया? आइए, इस खबर को और गहराई से समझें और जाने Eshan की कहानी को।

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Meet to Eshan Chattopadhyay: Gödel Prize 2025 क्या है और क्यों मायने रखता है?

Gödel Prize 2025 theoretical computer science का शिखर सम्मान है जिसे ACM SIGACT और EATCS द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाता है । लेकिन क्यों 2025 में यह इतना अहम है?

यह पुरस्कार हर साल एक या दो शोधकर्ताओं को उनके योगदान के लिए मिलता है — और इस बार सम्मान Eshan Chattopadhyay और उनके गुरु David Zuckerman को मिला है उनकी रिसर्च “Explicit Two-Source Extractors and Resilient Functions”, एक निर्णयात्मक खोज है जो लगभग 30 साल पुरानी समस्याओं का हल है ।

क्या आप जानते हैं कि ये पुरस्कार STOC 2025 में Prague में 23–27 जून को पेश किया जाएगा? क्या आपको लगता है कि कोई भारतीय origin शोधकर्ता भी global स्तर पर ऐसी पहचान हासिल कर सकता है? यह हम सबके लिए प्रेरणादायक बात है।

Meet to Eshan Chattopadhyay- परिचय और शैक्षणिक पृष्ठभूमि:

चलिए, अब बात करते हैं उस महान इंसान के बारे में — Eshan Chattopadhyay, जिन्हें “भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक” के रूप में जाना गया।

  • शुरुआत: IIT Kanpur से B.Tech. (2011) में कंप्यूटर साइंस में स्नातक की डिग्री।
  • पीएचडी: 2016 में University of Texas at Austin Computer Science Department से अपनी Ph.D. पूरी की — मार्गदर्शक थे David Zuckerman।
  • Postdoc: Princeton IAS और Simons Institute (Berkeley) में postdoctoral काम किया।
  • इनकी journey IIT Kanpur → UT Austin → Princeton → Cornell
  • अब: वे Cornell University professor बन चुके हैं, जहां वे pseudorandomness, circuit complexity, और communication complexity पर रिसर्च कर रहे हैं।
Meet Eshan Chattopadhyay, receiving Gödel Prize 2025

उनके सम्मान की सूची देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे:

  • Sloan Research Fellowship (2023)
  • NSF CAREER Award (2021)
  • NAS Held Prize (2024)
  • और अब Gödel Prize 2025 अगर आप उनसे मिलते तो क्या पूछते?

Meet to Eshan Chattopadhyay: उनका “Two‑Source Extractor” रिसर्च,  क्या है यह?

अब हम उस रिसर्च की बात करेंगे जिसने Computer Science Awards 2025 में इतिहास रचा और आपको बताऊंगा कि यह क्यों अलग है।दो weak random sources से strong randomness निकालने की समस्या लगभग 30 साल से अक्षुण्ण थी, अब देखिये कि Eshan ने इसे कैसे तोड़ा:

  • समस्या: दो अपूर्ण random sources को मिलाकर मजबूत, भरोसेमंद randomness निकालना।
  • पहले: ऐसी एक्सट्रैक्शन मुश्किल थी—दोनों स्रोतों में randomness पर्याप्त न हो।
  • Eshan और David का समाधान: उनका समाधान: उन्होंने एक “explicit two-source extractor” और resilient function विकसित किया, जो किसी दुबढ randomness को stabilize करता है

Meet to Eshan Chattopadhyay: क्या यह आपके लिए मायने रखता है?

हाँ  क्योंकि यह आपके क्रेडिट कार्ड की सुरक्षा, इंटरनेट डेटा एन्क्रिप्शन, और यहां तक कि सैन्य संचार की सुरक्षा में मदद कर सकता है । आपको रोचक नहीं लाग रहा? दो weak sources ने कैसे मिलकर एक मजबूत संरचना तैयार की—यह तकनीकी और प्रेरणात्मक है।

  • क्या आप समझे दो weak random sources की वास्तविक ज़रूरत?
    यदि आपने कभी फोन सुरक्षा, CAPTCHA, या सिक्योर कंप्यूटिंग सुनी है — ये उसी क्षेत्र से जुड़ी बात है।
  • उनका इनोवेशन इस क्षेत्र को पूरी तरह बदल रहा है — यही पहचान इसे “Gödel Prize 2025” के काबिल बनाता है।

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Meet to Eshan Chattopadhyay- रिसर्च के मुख्य अंश (तकनीकी लेकिन सरल भाषा में):

अब थोड़ा टेक्निकल बात करते हैं — पर मैं इसे आसान रखूंगा:

  1. Explicit two-source extractor: दो independent यूनसिम random sources को मिलाकर लगभग पूर्ण random bits बनाए जाते हैं — पहले की तुलना में कम पावर में ।
  2. Resilient functions: biased इनपुट या flawed random data से भी output प्रभावित नहीं होता; मजबूत बनाये रखता है
  3. ये दोनों एक साथ मिलकर एक ऐसा चिकित्सीय तंत्र तैयार करते हैं जो previously seed-based या Mahine-Learning आधारित तरीके से कहीं ज्यादा कुशल है।

अगर आप डेटासाइंस या क्रिप्टोग्राफी में रूचि रखते हैं — क्या आपको लगता है कि ये समाधान real-world में कितनी आसानी से लागू हो सकता है?  यह पहल theoretical research को practical application की दुनिया से जोड़ता है — यही असली कमाल है।

Gödel Prize 2025 — Meet to Eshan Chattopadhyay के लिए क्या खास था इस साल?

  • टाइम और जगह: यह सम्मान 23–27 जून, ज्यादातर Prague (STOC 2025) में दिया जाएगा
  • द्वैट सम्मान: यह सम्मान jointly ACM SIGACT और EATCS (ACM SIGACT और EATCS के बारे में और पढ़ें) द्वारा प्रदान किया जाता है — सिद्धांत और प्रैक्टिस दोनों का संगम
  • रीयलवर्ल्ड इम्पैक्ट: इस ठोस रिसर्च ने pseudorandomness and complexity theory को मजबूत किया — और अब cryptography, secure computing और distributed systems में असर दिखा रहा है
  • रिवार्ड: पुरस्कार राशि $5,000 और सम्मान प्रारंभिक सिद्धांत अनुसंधान को वैश्विक मंच पर मान्यता देने के लिए
  • ये सिर्फ एक अकादमिक सम्मान नहीं है, बल्कि एक गहराई से असरदार बदलाव है — और आपका क्या ख्याल है?
Meet to Eshan Chattopadhyay – Kurt Gödel & David Zuckerman

Meet to Eshan Chattopadhyay- भारत के लिए प्रेरणा और सीख:

इस सम्मान से यह साफ़ संदेश गया है कि “गहरी सोच, भारतीय प्रतिभा, और समर्पण से विश्व स्तर पर पहचान मिल सकती है।” Meet to Eshan Chattopadhyay की यह उपलब्धि भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिकों के लिए न केवल गर्व का क्षण है, बल्कि एक नई प्रेरणा का स्रोत भी है।

आज जब भारत वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में नई ऊँचाइयाँ छू रहा है, ऐसे उदाहरण यह दिखाते हैं कि हमारा अकादमिक और शोध जगत भी किसी से पीछे नहीं है। यदि युवा वैज्ञानिक और छात्र भी इसी तरह Hard work + right opportunities = global recognition के मंत्र पर चलते रहे तो निश्चित ही अगला बड़ा breakthrough यहीं से निकलेगा।

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आप क्या सोचते हैं — क्या theoretical research वास्तव में हमारे जीवन को सुरक्षित और बेहतर बना सकती है? क्या हमें भारतीय विज्ञान को और अधिक वैश्विक मंचों पर ले जाना चाहिए? अपनी राय नीचे comment में ज़रूर दें ।

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Source of information for this article: Based on public news articles, academic sources and official announcements from ACM SIGACT, EATCS, and Cornell University 

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