Allergy symptoms: एलर्जी एक आम लेकिन गंभीर समस्या है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। यह तब होती है जब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य रूप से हानिकारक न होने वाले पदार्थों पर भी ज्यादा प्रतिक्रिया करने लगती है। एलर्जी के लक्षण (allergy symptoms) जैसे छींक आना, आंखों में पानी आना, त्वचा पर चकत्ते या खुजली (skin allergy), सांस लेने में तकलीफ आदि दिखाई दे सकते हैं।
सही समय पर इलाज न होने पर एलर्जी की स्थिति बिगड़ सकती है। एलर्जी का इलाज (allergy treatment) संभव है और इसके लिए कई दवाएं (allergy medicine) और टैबलेट्स (Allergy Tablets) उपलब्ध हैं जो डॉक्टर की सलाह से ली जा सकती हैं। एलर्जी से जुड़े लक्षणों को समझना और सही समय पर इलाज शुरू करना जरूरी होता है ताकि आगे चलकर यह बड़ी बीमारी न बन जाए।
Allergy symptoms: एलर्जी के गंभीर समस्या हैं जिसके इग्नोर नहीं किया जाना चाहिए और सही समय पर ट्रीटमेंट ले लेना चाहिए।
एलर्जी यानी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की अत्यधिक प्रतिक्रिया उन पदार्थों (एलर्जन्स) के प्रति होती है जो सामान्यतः हानिकारक नहीं होते। धूल, परागकण (pollen), खाने‑पीने की चीजें, दवाएं आदि एलर्जन्स हो सकते हैं। शुरुआत में हल्के लक्षण जैसे छींकना, नाक बहना, त्वचा पर चकत्ते आदि दिख सकते हैं, लेकिन यदि इन्हें नजरअंदाज किया जाए तो समय के साथ एलर्जी प्रगतिशील (progressive) हो जाती है — यानी गंभीर रोगों (Allergy treatment) में बदल सकती है।
Allergy symptoms: एलर्जी कितनी सामान्य है?
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विश्व स्तर पर एलर्जी (Skin allergy) और अस्थमा बढ़ रहे हैं, विशेषकर औद्योगिक और मध्यम-आय वाले देशों में होती है।
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अमेरिका में लगभग 11% लोग एलर्जिक राइनाइटिस (allergic rhinitis) से पीड़ित हैं, तथा लगभग 3% तक लोगों को एलर्जिक अस्थमा है ।
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भारत में अनुमानित 37.5 मिलियन (3.75 करोड़) लोग अस्थमा से ग्रसित हैं, और इनमें से लगभग 40–50% बच्चों में अस्थमा नियंत्रण से बाहर या गंभीर है ।
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भारत एवं दुनिया में एलर्जिक राइनाइटिस की संख्या लगभग 10–30% तक बताई जाती है, और यह प्रभावित करता है लाखों लोगों को।
Allergy symptoms: एलर्जी का प्रगतिशील स्वरूप (Allergic March)
एलर्जी धीरे-धीरे एक से दूसरी गंभीर स्थिति में बदल सकती है। इस प्रक्रिया को “एटोपिक मार्च (Atopic March)” कहा जाता है:
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सबसे पहले शिशु अवस्था में एटोपिक डर्मेटाइटिस (eczema) या त्वचा की सूजन होती है।
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फिर खाद्य एलर्जी (food allergy) विकसित हो सकती है।
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इसके बाद एलर्जिक राइनाइटिस और अंत में अस्थमा जैसा गंभीर स्वरूप उभरता है।
इसका मतलब: शुरुआती संकेत जैसे त्वचा लाल हो जाना या मामूली सांस की तकलीफ को नजरअंदाज न करें, क्योंकि ये आगे चलकर बड़ी समस्या बन सकते हैं।
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Allergy symptoms: भारत में बच्चों में बढ़ते एलर्जी के मामले
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IAP (Indian Academy of Pediatrics) ने जुलाई 2025 में देशव्यापी पहल प्रारंभ की है जिसमें बताया गया कि भारत में अब 20–30% बच्चे एलर्जी से प्रभावित हैं जैसे अस्थमा, राइनाइटिस, खाद्य एलर्जी, एटोपिक डर्मेटाइटिस ।
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इस पहल के माध्यम से चिकित्सकों, अभिभावकों, विद्यालयों और नीति-निर्माताओं को जोड़कर प्रारंभिक पहचान और इलाज को बढ़ावा दिया जा रहा है।
Allergy symptoms: क्यों बढ़ रही है एलर्जी? क्या कारण हैं?
आनुवंशिक प्रवृत्ति (Genetics): कुछ जीन जैसे filaggrin आदि की कमी से त्वचा की सुरक्षा कमजोर होती है और एलर्जी विकसित होने की आशंका अधिक रहती है
शहरीकरण और जीवनशैली बदलना: अधिक समय घर में बिताना, परिवर्तनशील आहार, मोटापा, और शारीरिक गतिविधि में कमी भी एलर्जी को प्रभावित करती है
प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन: वायु प्रदूषण, औद्योगिक हानिकारक रसायन, बढ़ता पोलन (pollen) स्तर एलर्जी को बढ़ाते हैं
हाइजीन थ्योरी: बचपन में शरीर को संक्रमण और सूक्ष्मजीवों से कम मिलने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर दिशा में विकसित होती है, जिससे एलर्जी की संभावना बढ़ जाती है ।
Allergy symptoms: शुरुआत में संकेत—इन पर ध्यान दें
निम्न लक्षण एलर्जी के शुरुआती संकेत हो सकते हैं:
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छींकना, नाक बहना या बंद होना (रीना/ rhinitis)
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खांसी, सांस फूलना, आवाज़ की चपलता (wheezing)
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त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते, सूखी त्वचा (eczema)
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आँखों में जलन या पानी आना
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कुछ खाद्य पदार्थ खाने पर पेट में दर्द, उल्टी, सूजन या चकत्ते बेरोकटोक होना जैसे लस्सी, दूध आदि
यदि ये बार-बार या बढ़ते अनुभव हो रहे हों, तो जल्द ही एलर्जी विशेषज्ञ (Allergy) से सलाह लें।
Allergy symptoms: प्रगतिशीलता और जोखिम
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जैसे-जैसे समय चलता है, हल्की एलर्जी गंभीर संबंधित स्थिति में बदल सकती है: उदाहरण के लिए यदि सिर्फ स्नोइजिंग पर ध्यान न दिया जाए, तो अगले चरण में अस्थमा में तब्दीली संभव है जो सांस लेने की मुश्किल और जीवन गुणवत्ता गिरा सकती है। यह एटोपिक मार्च की प्रकृति है ।
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यदि किसी को अस्थमा के साथ खाद्य एलर्जी भी है, तो एनाफिलेक्सिस (anaphylaxis) जैसा जीवन संकट में डालने वाला घटनाक्रम हो सकता है, जिसमें सांस रोकी जा सकती है या रक्तचाप गिर सकता है। विश्व स्तर पर प्रति वर्ष 0.05‑2% लोगों को इसके लक्षण होते हैं, और कुछ मामलों में मृत्यु तक हो सकती हैं।
Allergy symptoms: भारत की चुनौतियाँ
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भारत में अस्थमा की देखभाल अक्सर अप्राप्त और अपर्याप्त होती है—दवाइयों तक पहुँच, विशेषज्ञ प्रशिक्षण (Allergy Medicine) की कमी, महंगी परीक्षण सामग्री जैसे एड्रेनालाईन ऑटो-इन्जेक्टर आदि उपलब्ध नहीं होते हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों या कम शिक्षित परिवारों में धुँए, लकड़ी, केरोसिन का इस्तेमाल अधिक होता है जो अस्थमा को बढ़ने में सहायक होता है ।
Allergy symptoms: क्या करें—सुझाव (Allergy treatment)
1. शुरुआती पहचान और जांच (Allergy treatment)
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यदि ऊपर बताए लक्षण कुछ सप्ताह तक लगातार दिखें, तो जल्द एलर्जी विशेषज्ञ (एलर्जी, इम्म्यूनोलॉजी) या बालरोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
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त्वचा परीक्षण (skin prick test) या IgE खून परीक्षण से एलर्जेन की पहचान होती है।
2. प्रभावी प्रबंधन
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एलर्जी से बचाव जैसे धूल कम करना, पालतू जानवरों से दूरी, सर्दी-गर्म मौसम में सतर्क रहना।
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एंटीहिस्टामीन, इन्किल्ड स्टेरॉयड स्प्रे, और आवश्यक होने पर इम्यूनोथेरेपी (allergen immunotherapy) का उपयोग।
3. शिक्षा और जागरूकता
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IAP की पहल जैसे कार्यक्रम माता‑पिता, शिक्षकों, बच्चों व समाज तक पहुँचने का कार्य कर रहे हैं।
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स्कूलों में एलर्जी‑बचाव माहौल बनाएँ जैसे खाद्य एलर्जी वाले बच्चों के लिए विशेष ध्यान।
4. नीतिगत सुधार और संसाधन
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सरकार और स्वास्थ्य विभाग महँगों परीक्षणों और दवाओं (Allergy Medicine) को सस्ता और उपलब्ध कराए।
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एलर्जी और इम्यूनोलॉजी में विशेषज्ञ प्रशिक्षण (Allergy Medicine) और विशिष्ट पाठ्यक्रम विकसित किए जाएँ ।
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एलर्जी एक प्रगतिशील बीमारी है जिसमें शुरुआत में दिखाई देने वाले हल्के लक्षण समय के साथ गंभीर रोगों जैसे अस्थमा, खाद्य एलर्जी से जुड़े जोखिमों की ओर बढ़ सकते हैं। इसलिए, शुरुआत में ही सावधानी, पहचान, उचित उपचार और समर्थन जरूरी है।
यदि शुरुआती संकेतों की अनदेखी की जाए, तो पूरी जीवन गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। परंतु यदि समय रहते उपचार और जाँच की जाए, तो बहुत हद तक इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
“एलर्जी शुरुआती चरण में ही संभाली जाए, तो वही एक शुरुआत भविष्य को बेहतर बना सकती है।”