1अप्रैल को पृथ्वी के ऑर्बिट के करीब एक अद्भुत घटना घटी है नासा के अनुसार लगभग 3 मंजिल के अकार का एक क्षुद्रग्रह पृथ्वी के ऑर्बिट (3 Story building size Asteroid crossed Earth ) के नजदीक आया था। यह क्षुद्रग्रह अपनी कक्षा में यात्रा करते हुए पृथ्वी को क्रॉस (Asteroid crossed Earth) करते हुवे आगे बढ़ गया। इस घटना को नासा (NASA) ने अपनी उन्नत ज़मीन और अंतरिक्ष-आधारित दूरबीनों (Advanced Ground and Space-Based Telescopes) की मदद से इस क्षुद्रग्रह (Asteroid ) को अपनी कक्षा में यात्रा करते हुए पृथ्वी के नजदीक देखा गया है। वैज्ञानिक भाषा में इस इस क्षुद्रग्रह को क्षुद्रग्रह 2024 FQ3 (Asteroid 2024 FQ3) का नाम दिया गया था।
क्षुद्रग्रह 2024 FQ3 (Asteroid 2024 FQ3) के बारे में:
नासा के अनुसार यह क्षुद्रग्रह 2024 FQ3 ((Asteroid 2024 FQ3) ) बृहस्पति और मंगल की कक्षाओं के बीच स्थित क्षुद्रग्रह बेल्ट में उन लाखों क्षुद्रग्रहों में से एक है जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। नासा की एक संस्था CNEOS (Center for Near-Earth Object Studies) सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज इस तरह के लाखों क्षुद्रग्रह खगोलीय पिंडों पर नजर रखती है और इसी ने यह बताया था की क्षुद्रग्रह 2024 FQ3 अप्रैल महीने के सुरुवाती तारीख अथार्त 1 अप्रैल को पृथ्वी से 721,000 किलोमीटर की दूरी से (Asteroid crossed Earth) गुजरेगा। यह दुरी पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी के दोगुने से भी कम है।
इस क्षुद्रग्रह की जो गति है वह एक अंतरिक्ष यान की गति से भी अधिक है और इसकी गति है 69357 किलोमीटर प्रति घंटे और इसी खतरनाक गति से सूर्य का चक्कर लगा रही है। यह क्षुद्रग्रह 2024 FQ3 पृथ्वी के नजदीक अपोलो समूह क्षुद्रग्रहों के अंतरगर्त आती है। इस सभी अपोलो समूह क्षुद्रग्रहों का नाम 1930 के दशक में जर्मन खगोलशास्त्री कार्ल रेनमुथ द्वारा खोजे गए विशाल 1862 अपोलो क्षुद्रग्रह के नाम पर रखा गया है।
यह छुद्र ग्रह अपने अकार में केवल 38 फीट चौड़ा है जो पृथ्वी से नजदीक होने के कारण नासा ने इस छुद्र ग्रह को निकट–पृथ्वी क्षुद्रग्रह (near-Earth asteroid (NEA) बताया है।
क्षुद्रग्रह (Asteroid crossed earth) को पता लगाने की प्रक्रिया:
नासा के संस्था CNEOS (Center for Near-Earth Object Studies) सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज सभी क्षुद्रग्रह का अध्ययन करते हैं फिर इन सभी क्षुद्रग्रह को अलग अलग केटेगरी में बाटते हैं और फिर उन सभी का अध्ययन करते हैं। जो क्षुद्रग्रह निकट-पृथ्वी क्षुद्रग्रह (near-Earth asteroid (NEA) के अंतर्गत आते हैं तो उन क्षुद्रग्रह को खगोलविदों द्वारा ट्रैक करती हैं और उनका रिपोर्ट लघु ग्रह केंद्र
करती है फिर, सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज़ (CNEOS) डेटा का अध्ययन करके सूर्य के चारों ओर इसकी सबसे संभावित कक्षा का पता लगते हैं। सबकुछ स्पस्ट हो जाने के बाद नासा इसके (Asteroid crossed Earth) बारे में बताते हैं।
क्षुद्रग्रह किसे कहते हैं (What is an asteroid):
क्षुद्रग्रह (asteroid) एक छोटी, चट्टानी वस्तु है जो सूर्य की परिक्रमा करती है। क्षुद्रग्रह मुख्य रूप से क्षुद्रग्रह बेल्ट में पाए जाते हैं, जो मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच का क्षेत्र है। इनका आकार छोटे टुकड़ों से लेकर कई सौ किलोमीटर व्यास तक भिन्न होता है। अधिकांश क्षुद्रग्रह अनियमित आकार के होते हैं और चट्टान, धातु और अन्य सामग्रियों से बने होते हैं।
क्षुद्रग्रहों को लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले सौर मंडल के प्रारंभिक गठन के अवशेष माना जाता है। इन्हें अक्सर लघु ग्रह या प्लैनेटॉइड के रूप में जाना जाता है। कभी-कभी, क्षुद्रग्रह ग्रहों या चंद्रमाओं से टकरा सकते हैं, और उनमे से कुछ पृथ्वी की कक्षाएँ (Asteroid crossed Earth) के करीब आ जाती हैं। ये निकट-पृथ्वी क्षुद्रग्रह खगोलविदों के लिए विशेष रुचि वाले में क्षुद्रग्रह होते हैं क्योंकि यदि उनकी कक्षाएँ पृथ्वी के साथ प्रतिच्छेद (Asteroid crossed Earth) करती हैं तो संभावित खतरा उत्पन्न होता है।
वैज्ञानिक प्रारंभिक सौर मंडल के बारे में अधिक जानने के लिए क्षुद्रग्रहों का अध्ययन करते हैं, साथ ही उनसे पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाले संभावित खतरों का आकलन करने और भविष्य में संसाधन निष्कर्षण के संभावित अवसरों का पता लगाने के लिए अध्ययन करते हैं। इसके अतिरिक्त, विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा मिशन पर भेजे गए अंतरिक्ष यान द्वारा क्षुद्रग्रहों का दौरा और अध्ययन किये है।
क्षुद्रग्रह बेल्ट क्या है (What is the asteroid belt):
क्षुद्रग्रह बेल्ट (asteroid belt ) सौर मंडल में मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच स्थित एक क्षेत्र है, जहां कई छोटे खगोलीय पिंड जिन्हें क्षुद्रग्रह के रूप में जाना जाता है, सूर्य की परिक्रमा करते हैं। यह मूलतः एक विशाल वलय के आकार का क्षेत्र है जो लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले सौर मंडल के प्रारंभिक गठन से बचे चट्टानी मलबे से भरा हुआ है।
क्षुद्रग्रह बेल्ट में क्षुद्रग्रहों का आकार अलग-अलग होता है, छोटे टुकड़ों से लेकर कई सौ किलोमीटर व्यास तक। जबकि क्षुद्रग्रह बेल्ट में लाखों क्षुद्रग्रह हैं, वे व्यापक रूप से एक दूसरे से दूर हैं, और विशाल दूरी के कारण उनके बीच टकराव अपेक्षाकृत दुर्लभ है अथार्थ न के बराबर है।
क्षुद्रग्रह बेल्ट का मुख्य उद्देश्य छोटे खगोलीय पिंडों के स्थिर रखने के रूप में काम करना होता है जो सौर मंडल के गठन के शुरुआती चरणों के दौरान बड़े ग्रहों में एकत्रित नहीं हुए थे। ये क्षुद्रग्रह सौर मंडल के प्रारंभिक इतिहास और संरचना में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।
क्षुद्रग्रह बेल्ट भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों के लिए भी रुचि का विषय है, क्योंकि इसमें धातु, पानी और अन्य मूल्यवान सामग्री जैसे संभावित संसाधन शामिल हैं जिनका उपयोग भविष्य के मानव मिशन या अंतरिक्ष खनन कार्यों द्वारा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, क्षुद्रग्रह बेल्ट का अध्ययन करने से वैज्ञानिकों को ग्रहों के निर्माण और विकास की गतिशीलता को समझने में मदद मिलती है।
अगर कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकरा जाए तो क्या होगा? (What happen if an asteroid hits earth?):
यदि पर्याप्त रूप से बड़ा क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराता (Asteroid crossed Earth) है, तो इसके आकार, संरचना, गति और प्रभाव के कोण के आधार पर इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। अध्ययन के आधार पर यहां कुछ संभावित प्रभाव निम्न हैं:
- प्रभाव क्रेटर: क्षुद्रग्रह टकराने पर एक बड़ा गड्ढा बनाएगा, जिसका आकार क्षुद्रग्रह के आकार और वेग पर निर्भर करेगा। प्रभाव स्थल के आसपास का तत्काल क्षेत्र तबाह हो जाएगा।
- शॉक वेव्स: प्रभाव से शॉक तरंगें उत्पन्न होंगी जो पूरे ग्रह में फैल सकती हैं, जिससे व्यापक विनाश हो सकता है। इमारतें और संरचनाएँ ढह जाएँगी और परिदृश्य बदल जाएगा।
- आग्नेयास्त्र: प्रभाव से उत्पन्न गर्मी के कारण बड़े पैमाने पर आग लग सकती है, खासकर अगर क्षुद्रग्रह आबादी वाले क्षेत्र या महत्वपूर्ण वनस्पति वाले क्षेत्र में टकराता है।
- सुनामी: यदि क्षुद्रग्रह समुद्र या समुद्र में गिरता है, तो यह बड़े पैमाने पर सुनामी उत्पन्न कर सकता है जो विशाल दूरी तक यात्रा करेगा, जिससे समुद्र तट पर बाढ़ और विनाश होगा।
- जलवायु प्रभाव: इस प्रभाव से वायुमंडल में बड़ी मात्रा में धूल और मलबा फैल सकता है, जिससे सूर्य की रोशनी अवरुद्ध हो सकती है और अस्थायी शीतलन प्रभाव उत्पन्न हो सकता है जिसे “इम्पैक्ट विंटर” के रूप में जाना जाता है। इससे पारिस्थितिकी तंत्र और कृषि बाधित हो सकती है, जिससे संभावित रूप से व्यापक अकाल पड़ सकता है।
- वैश्विक प्रभाव: क्षुद्रग्रह के आकार के आधार पर, इसके वैश्विक परिणाम हो सकते हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर विलुप्त होने की घटना भी शामिल है, जिसके बारे में माना जाता है कि लगभग 66 मिलियन वर्ष पहले डायनासोरों का सफाया इसी कारण से हो गया था।
- मानव हताहत: क्षुद्रग्रह प्रभाव के तत्काल और दीर्घकालिक प्रभावों के परिणामस्वरूप जीवन की महत्वपूर्ण हानि हो सकती है, प्रत्यक्ष प्रभाव से और अप्रत्यक्ष रूप से परिणामी पर्यावरणीय और सामाजिक पर विनाशक प्रभाव से।
क्षुद्रग्रह प्रभावों के जोखिम को कम करने के लिए, वैज्ञानिक लगातार पृथ्वी के निकट (Asteroid crossed Earth) की वस्तुओं (एनईओ) की निगरानी करते हैं और संभावित खतरों को दूर करने या कम करने के लिए रणनीति विकसित करते हैं। इन प्रयासों में अंतरिक्ष यान मिशन या क्षुद्रग्रह विक्षेपण तकनीकों जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग करके क्षुद्रग्रहों का शीघ्र पता लगाना, ट्रैकिंग करना और संभावित रूप से पृथ्वी से दूर ले जाना शामिल है।
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