वूपिंग कफ/ कूकर खांसी/काली खांसी (Whooping Cough) कौन सी बीमारी है:
वूपिंग कफ/ कूकर खांसी/काली खांसी (Whooping cough) जिसे अंग्रेजी में “Pertussis” कहा जाता है, यह एक संक्रामक बीमारी है जो बैक्टीरिया Bordetella pertussis के कारण होती है। इसको को भारत में कूकर खांसी या काली खांसी के नाम से जाना जाता है जो एक भारतीय के लिए खांसी रोग में बहुत चर्चित नाम है और संभवतः इस नाम से सभी परिचित है।
इस बीमारी में लंबे समय तक खांसी होती है, जिसमें एक विशेष प्रकार की आवाज़ के साथ खांसी आती है और इस आवाज़ को “वूपिंग” कहा जाता है, जिस कारण इस बीमारी का नाम “वूपिंग कफ (Whooping cough)“ पड़ा है।
वूपिंग कफ (Whooping Cough) अभी चर्चा में क्यों है:
अभी दुनियाभर के कई देशों में इसने तांडव रूपी कोहराम मचाया हुआ है। जिसके कारण इन देशों में कई लोगों की मौत हो चुकी है।
चीन में तो एक बार फिर इस बिमारी ने हाहाकार मचा कर रखा हुआ है। दरअसल में इसके पीछे की वजह वूपिंग कफ (Whooping cough) है। दरअसल में चीन में महामारी के बाद काली खांसी की वापसी हो गई है जो लोगों में दहशत फैलाये हुवे है। मीडिया रिपोर्ट और चीन के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण और रोकथाम प्रशासन (China’s National Disease Control and Prevention Administration) के अनुसार, इस साल के फरवरी 2024 तक, 32,000 से अधिक मामले Whooping Cough के दर्ज किए गए हैं ।
जिसमें 13 मौतें शामिल हैं और ये मामले एक साल पहले की तुलना में 20 गुना अधिक हैं क्योंकि 2023 में इसी अवधि के दौरान 1,421 मामले सामने आए थे, जिसमे13 लोगों की जान गई थी। अभी काली खांसी के मामले चीन, फिलीपींस, चेक गणराज्य और नीदरलैंड जैसे कई देशों में तेजी से इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही काली खांसी के मामले अमेरिका और ब्रिटेन में भी दर्ज किए गए हैं। विशेषज्ञ के अनुसार आने वाले दिनों में इन सभी देशों में इस केस की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
वूपिंग कफ से कौन प्रभावित होता है:
वूपिंग कफ किसी को भी हो सकती है और किसी भी उम्र के लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए सर्वोत्तम उपाय टीकाकरण है। ये बीमारी बच्चों में ज्यादा होती है, लेकिन वयस्कों में, काली खांसी आमतौर पर उन लोगों में ज्यादा होती है जिन्हें टीका नहीं मिला होता है या जिनकी प्रतिरक्षा (immunity system) कमजोर हो गई है। वयस्कों में बच्चों की तुलना में हल्के लक्षण होते हैं, खासकर उन वयस्कों में जिन्हें टीका लग चुका है।
यह बीमारी उन शिशुओं को विशेष रूप से प्रभावित करती है जिन्हें अभी तक टीका नहीं लगा है। इसमें मुख्य रूप से 6 महीने से कम उम्र के बच्चों शामिल है जो अभी तक टीकाकरण से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हुए हैं और इनसे बड़े बच्चों को जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर होती है। इसके प्रमुख लक्षणों में लगातार खांसी, सांस लेने में दिक्कत, और कभी-कभी उल्टी आना शामिल होता है।
Whooping Cough कैसे फैलती है:
Whooping Cough एक गंभीर संक्रामक बीमारी (infectious disease) है जो Bordetella pertussis नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बीमारी मुख्य रूप से वायुजनित होती है और संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में आसानी से फैल सकती है। यह रोग निम्न तरीकों से फैलती हैं:
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हवा के माध्यम से संक्रमण:
बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) नामक बैक्टीरिया काली खांसी का कारण बनता है। इसमें यदि काली खांसी से पीड़ित व्यक्ति छींकता है, हंसता है या खांसता है, तो यह बैक्टीरिया हवा के माध्यम से आस पास फैल जाती है और फिर जब स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के करीब होता है और सांस के माध्यम से वह इस संक्रमित हवा के साथ बैक्टीरिया को अंदर लेते हैं तो वह भी इस बीमारी से संक्रमित होकर बीमार हो सकते हैं।
जब बैक्टीरिया आपके वायुमार्ग में प्रवेश करते हैं, तो वे फेफड़ों की परत में मौजूद छोटे-छोटे बालों से चिपक जाते हैं। फिर यही बैक्टीरिया सूजन का कारण बनते हैं, जिससे सूखी, लंबे समय तक चलने वाली खांसी और सर्दी जैसे अन्य लक्षण उत्पन्न होते हैं।
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प्रत्यक्ष संपर्क:
संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधा संपर्क जैसे कि हाथ मिलाना, गले लगाना, या चुंबन लेना भी संक्रमण के कारण हो सकता है। जिसमे संक्रमित व्यक्ति के नाक और गले से सीधे संपर्क में आने पर यह बीमारी हो सकता है।
Whooping Cough के लक्षण:
Whooping Cough के लक्षण के संक्रमण के तुरंत बाद यह दिखाई नहीं देता है, बल्कि लक्षण दिखने में लगभग 7-10 दिनों के बाद यह उभरता है। हालांकि कभी-कभी इसमें अधिक समय भी लग सकता है। ये आम तौर पर पहले हल्के होते हैं और सामान्य सर्दी के समान होते हैं। इस बीमारी के लक्षण निम्नलिखित हैं:
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प्रारंभिक चरण:
- यह चरण 1-2 हफ्तों तक रहता है।
- इसमें आमतौर पर मामूली खांसी, छींक आना, और सामान्य जुकाम के लक्षण होते हैं।
- हल्की बुखार और नाक बहना भी हो सकता है।
- शुरुआत में दस्त भी हो सकते हैं।
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उन्नत चरण:
- यह चरण 2-6 हफ्तों तक रह सकता है।
- इसमें खांसी के दौरे बढ़ जाते हैं, इसमें खांसी का दौर 1 मिनट तक रह सकता है। जिसमें एक विशेष प्रकार की “वूप” जैसी आवाज़ आती है। जिसके कारण कभी-कभी, आपका चेहरा कुछ देर के लिए लाल या बैंगनी हो सकता है।
- इस दौरान खांसी सूखी होती है और बलगम पैदा नहीं करती है।
- खांसी के दौरान व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है।
- खांसी के साथ उल्टी या थकान भी हो सकती है।
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रिकवरी चरण:
- यह चरण कई हफ्तों या महीनों तक रह सकता है।
- उपचार के उपरान्त यह खांसी धीरे-धीरे कम होती है, लेकिन अचानक खांसी के दौरे भी आ सकते हैं।
Whooping Cough से बचाव और इनका उपचार:
वूपिंग कफ से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। बच्चों को DTaP टीका (डिप्थीरिया, टेटनस, और पर्टुसिस) के साथ टीकाकृत किया जाता है। वयस्कों को भी टीकाकरण की आवश्यकता हो सकती है, खासकर अगर वे संक्रमित बच्चों के संपर्क में हों। उपचार के रूप में, आमतौर पर एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। यह उपचार संक्रमण के प्रसार को रोकने और रोग के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। हालाँकि, रोग के गंभीर मामलों में, अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक हो सकता है।
Whooping Cough एक गंभीर बीमारी है जो उचित टीकाकरण और चिकित्सा देखभाल के साथ नियंत्रित की जा सकती है। समय पर उपचार और सावधानी बरतने से इस बीमारी को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। इसके साथ ही हम कुछ विशेष सावधानियां बरत कर इस संक्रामक रोग से बच सकते हैं –
- समय समय पर हाथ जरूर धोएं विशेष कर खाना खाने से पहले और बाहर से आपस आने पर।
- संक्रमित व्यक्ति से दुरी बनाकर कर रखें।
- खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को टिशू या कोहनी से जरूर ढकें।
- भीड़ भाड़ जगहों में मास्क अवश्य लगाएं ।
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