Vision Problem in Astronauts: लम्बे समय तक स्पेस में रहने से एस्ट्रोनॉट्स की आँखों पर पड़ रहा नकारात्मक प्रभाव। 

Vision Problem in Astronauts

Vision Problem in Astronauts: Vision Changes in Space एक गंभीर और चौंकाने वाला विषय बनता जा रहा है। जब अंतरिक्षयात्री लंबे समय तक स्पेस में रहते हैं, तो उनके शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिनमें सबसे अहम है Vision Problem in Astronauts। गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण आंखों पर दबाव बढ़ता है, जिससे Astronauts Eye Problem सामने आती है।

NASA की रिसर्च बताती है कि Effect of Space on Astronauts न केवल मांसपेशियों और हड्डियों पर होता है, बल्कि दृष्टि यानी आंखों की रोशनी पर भी गहरा असर डालता है। यही कारण है कि Vision Changes in Space को लेकर अब वैज्ञानिक ज्यादा सतर्क हो गए हैं, ताकि भविष्य के चंद्रमा और मंगल मिशनों में अंतरिक्षयात्रियों की आंखों की सुरक्षा की जा सके।

Vision Problem in Astronauts: अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेस में लम्बे समय तक रहने की वजह से आँखों पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव का समाधान ढूँढ़ना आवश्यक है।

जब इंसान धरती से बाहर अंतरिक्ष की यात्रा करता है, तो वह केवल शारीरिक रूप (Vision Changes in Astronauts in Space) से नहीं बदलता, बल्कि उसके शरीर के हर हिस्से पर प्रभाव पड़ता है — खासकर आंखों पर। हाल ही में NASA (नासा) की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है कि अंतरिक्ष में कई महीनों तक रहने वाले अंतरिक्षयात्रियों की आंखों में स्थायी रूप से बदलाव हो सकते हैं। ये बदलाव न केवल दृष्टि को प्रभावित करते हैं, बल्कि दीर्घकालिक आंखों की बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं।

Vision Problem in Astronauts

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Vision Problem in Astronauts: अंतरिक्ष यात्रा और दृष्टि-क्या है संबंध(Effect of Space on Astronauts)?

NASA के वैज्ञानिकों ने देखा है कि जब अंतरिक्षयात्री (Effect of Space on Astronauts) लंबे समय तक ज़ीरो ग्रैविटी (शून्य गुरुत्वाकर्षण) वाले वातावरण में रहते हैं, तो उनकी आंखों के पीछे दबाव बढ़ता है। इस दबाव को SANS (Spaceflight-Associated Neuro-ocular Syndrome) कहा जाता है। यह एक नई चिकित्सा स्थिति है, जो केवल अंतरिक्ष में ही देखी गई है।

Vision Problem in Astronauts: SANS क्या है?

SANS एक सिंड्रोम है, जिसमें अंतरिक्षयात्रियों (Vision Changes in Space) की आंखों की बनावट बदल जाती है, जैसे कि:

  • रेटिना (Retina) में सूजन

  • ऑप्टिक नर्व (Optic Nerve) का उभार

  • दृष्टि धुंधली होना

  • दूर की चीज़ें साफ़ न दिखना

  • सिरदर्द और आंखों में भारीपन

NASA के मुताबिक, अंतरिक्ष में रहने वाले 70% से ज्यादा अंतरिक्षयात्रियों ने इन लक्षणों की शिकायत की है। यह विशेष रूप से तब होता है जब वे 6 महीने या उससे अधिक समय के लिए स्पेस स्टेशन पर रहते हैं।

Vision Problem in Astronauts: यह समस्या क्यों होती है?

धरती पर हमारे शरीर में रक्त का संचार सामान्य रूप से होता है, लेकिन अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण रक्त सिर की ओर ज्यादा बहने लगता है। इससे सिर और आंखों के पीछे दबाव बढ़ता है। इस दबाव से आंख की बनावट में बदलाव आता है और दृष्टि प्रभावित होती है।

NASA की रिपोर्ट में बताया गया कि स्पाइनल फ्लूइड (रीढ़ की हड्डी के चारों ओर बहने वाला तरल) भी आंख के पिछले हिस्से पर दबाव डालता है, जिससे ऑप्टिक डिस्क (दृष्टि तंत्रिका का प्रवेश स्थल) उभर जाती है।

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Vision Problem in Astronauts: अंतरिक्ष यात्रियों पर (Astronauts Eye Problem) अध्ययन

NASA ने इस समस्या की गंभीरता को समझने के लिए ISS (International Space Station) पर मौजूद अंतरिक्षयात्रियों पर MRI, आंखों की स्कैनिंग, और अन्य परीक्षण किए। उन्होंने पाया कि:

  • कुछ अंतरिक्षयात्रियों की दृष्टि (Astronauts Eye Problem) वापस सामान्य हो गई, लेकिन

  • कुछ को स्थायी दृष्टि दोष हो गया

2011 में एक स्टडी में बताया गया कि जिन अंतरिक्षयात्रियों ने 6 महीने से अधिक समय अंतरिक्ष में बिताया, उनकी आंखों की नसों में भारी बदलाव हुए थे।

Vision Problem in Astronauts

Vision Problem in Astronauts: NASA की कोशिशें-समस्या का हल क्या हो सकता है?

NASA और अन्य स्पेस एजेंसियां इस समस्या से निपटने के लिए कई प्रयोग कर रही हैं, जैसे:

  1. Lower Body Negative Pressure (LBNP) Device – यह एक विशेष उपकरण है, जो पैरों के हिस्से में प्रेशर कम करता है और रक्त को नीचे की ओर खींचता है, जिससे सिर और आंखों पर दबाव कम होता है।

  2. आहार में बदलाव – कुछ विशेष पोषक तत्व जैसे विटामिन B, ल्यूटिन, ओमेगा-3 आदि, आंखों को मजबूत बना सकते हैं। इसलिए अंतरिक्षयात्रियों के भोजन में इनकी मात्रा बढ़ाई जा रही है।

  3. आंखों की रेगुलर स्कैनिंग (Vision Changes in Space) – हर हफ्ते आंखों की जांच की जाती है ताकि किसी भी शुरुआती बदलाव को पकड़ा जा सके।

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Vision Problem in Astronauts: भविष्य के मिशन पर असर

NASA भविष्य में मनुष्य को चंद्रमा और मंगल ग्रह तक भेजने की योजना बना रहा है। ये मिशन 1 साल से भी ज्यादा समय के हो सकते हैं। ऐसे में अगर आंखों की समस्या और बढ़ी, तो अंतरिक्षयात्रियों की कार्यक्षमता, निर्णय लेने की क्षमता और मिशन की सफलता पर खतरा पैदा हो सकता है।

MARS मिशन लगभग 3 साल तक चल सकता है। अगर उस दौरान अंतरिक्षयात्रियों की दृष्टि कम हो जाए या वे पूरी तरह से देखने में असमर्थ हो जाएं, तो यह मिशन के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन सकता है।

Vision Problem

Vision Problem in Astronauts: भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका

ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) भी इस दिशा में सक्रिय है। भारत का गगनयान मिशन जो 2025 तक लॉन्च होने वाला है, उसमें भी अंतरिक्षयात्रियों की आंखों और शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया जाएगा। DRDO और AIIMS जैसे संस्थान इन मेडिकल प्रभावों को समझने और हल निकालने के लिए NASA से सहयोग कर रहे हैं।आम जनता के लिए क्या मायने रखता है?यह शोध केवल अंतरिक्षयात्रियों के लिए नहीं, बल्कि धरती पर रहने वाले लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि हम जान जाएं कि आंखों पर दबाव क्यों और कैसे बढ़ता है, तो हम ग्लूकोमा जैसी बीमारियों का इलाज बेहतर तरीके से कर सकते हैं।

अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से शरीर पर कई प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन Vision Changes in Astronauts in Space एक ऐसी समस्या है जो भविष्य के मिशनों के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। Effect of Space on Astronauts न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि उनकी दृष्टि को भी प्रभावित करता है। NASA जैसे संगठनों की रिपोर्टें बताती हैं कि Vision Problem in Astronauts और Astronauts Eye Problem काफी आम होते जा रहे हैं, जो कई बार स्थायी नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

इसलिए जरूरी है कि इन समस्याओं का समय रहते समाधान खोजा जाए ताकि Vision Changes in Space के कारण किसी मिशन की सफलता पर असर न पड़े। वैज्ञानिकों की सतत रिसर्च और तकनीकी विकास ही अंतरिक्ष यात्राओं को सुरक्षित और सफल बना सकते हैं।

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मैं अनुष्का पंवार, Subah Times की लेखिका हूं। मैं विभिन्न विषयों पर हमेशा meaningful, informative और descriptive लेख लिखती हूँ। मैं विविध विषयों पर लिखती हूं, जिनमें Trending News, Technology, Environmental Issues, Societal Concerns, जो मेरे मुख्य विषय हैं। मेरे लेख कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों जैसे The Economic Times, Times of India, Millennium Post, Asian Age, और Navbharat Times में प्रकाशित हो चुके हैं। लेखन के अलावा, Tech Enthusiast और उद्यमिता (Entrepreneurship) मेरे आदर्श विषय हैं। मेरा सपना तकनीकी उद्योग में एक सकारात्मक और प्रभावशाली लेखक के रूप में अपनी पहचान बनाने का है। वर्तमान में, मैं लेखन कार्य के साथ एक Innovative Tech Startup पर काम कर रही हूं, जहां रचनात्मकता (creativity) और नवाचार (innovation) मेरे कार्य के विषय है। मेरा मानना है कि शब्दों की ताकत और तकनीक की शक्ति को एक साथ लाकर हम एक बेहतर दुनिया की ओर कदम बढ़ा सकते हैं और लोगों के सोच में बदलाव ला सकते हैं जो आज के इस तकनिकी युग में बहुत जरुरी है।
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