Diwali 2025 date and Puja Muhurat: दोस्तों, हर साल आने वाली दिवाली केवल एक त्योहार नहीं होती, बल्कि यह हम सबके जीवन में रोशनी, सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का ऐसा पर्व है, जो हर दिल को उम्मीद और उल्लास से भर देता है। ज़रा सोचिए… जैसे ही कार्तिक मास करीब आता है, हर घर में सफ़ाई शुरू हो जाती है, बाज़ारों में रौनक बढ़ जाती है और हमारे दिलों में भी एक अलग ही खुशी का संचार होने लगता है।
हम सभी को उत्सुकता बनी हुई है कि 2025 में दिवाली कब है? (Diwali 2025 date and time) इसके साथ ही लक्ष्मी पूजा का शुभ समय (Lakshmi Puja Muhurat 2025) कब है? और इसी कारण दिवाली का इंतज़ार हर किसी को रहता है। क्योंकि यह सिर्फ़ दीपक जलाने का दिन नहीं है, बल्कि यह सद्भाव, समृद्धि और धर्म की विजय का उत्सव है। और इस बार, 2025 में दिवाली पूजा विधि और भी खास होने जा रहा है — क्योंकि पंचांग के अनुसार इस बार दिवाली का दिन बेहद शुभ संयोग लेकर आ रहा है।
अब आपके मन में भी वही सवाल ज़रूर घूम रहा होगा जो हर किसी के मन में आता है — 2025 में दिवाली कब है? पूजा किस समय करनी चाहिए? और इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व आखिर क्या है?
चलिए फिर देर न करते हुए जानते हैं, इस बार दिवाली से जुड़ी हर ज़रूरी बात — तिथि से लेकर शुभ मुहूर्त तक, और पूजा विधि से लेकर मंत्र व पौराणिक कथा तक, सब कुछ विस्तार से।
2025 में दिवाली कब है? तिथि, पूजा मुहूर्त और शुभ समय:
दिवाली केवल दीपों और सजावट का पर्व नहीं है, बल्कि यह उस आध्यात्मिक यात्रा का उत्सव है जब पूरा ब्रह्मांड सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस रात माता लक्ष्मी स्वयं पृथ्वी पर उतरती हैं और उन घरों में निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता, श्रद्धा और सच्चे मन से उनका स्वागत किया जाता है। इसी कारण लक्ष्मी पूजा को केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समृद्धि, कृतज्ञता और शुभ आरंभ का प्रतीक माना जाता है।
यह वह रात है जब हर दीपक हमें याद दिलाता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटी सी रोशनी भी उसे मिटा सकती है।
दिवाली 2025 सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन अमावस्या की रात्रि में दीप जलाना अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। घरों को दीपों, रंगोली और फूलों से सजाया जाता है, ताकि माँ लक्ष्मी का स्वागत शुद्धता और सौंदर्य के साथ हो।
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दिवाली तिथि 2025: Diwali 2025 date and time
- मुख्य दिवाली (लक्ष्मी पूजा): 20 अक्टूबर 2025, सोमवार
- अमावस्या तिथि आरंभ: 20 अक्टूबर 2025 – दोपहर 03:44 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2025 – शाम 05:54 बजे
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त (Lakshmi Puja Muhurat 2025):
- शुभ समय: शाम 07:08 बजे से 08:18 बजे तक (IST)
(कुछ पंचांगों के अनुसार पूजा का समय 07:36 से 08:40 बजे या 06:48 से 08:20 बजे तक भी माना गया है। इसका कारण यह है कि अमावस्या तिथि दो दिनों तक रहती है, इसलिए अलग-अलग परंपराओं में थोड़ा फर्क पाया जाता है।)
महत्वपूर्ण बातें:
- अधिकतर प्रमुख पंचांग, समाचार पत्र और ज्योतिषीय वेबसाइटें इस बात पर सहमत हैं कि लक्ष्मी पूजा 20 अक्टूबर 2025 की शाम को ही की जाएगी।
- अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर की दोपहर से शुरू होकर 21 अक्टूबर की शाम तक रहेगी, इसलिए कुछ परंपराओं में पूजा 21 तारीख को भी की जा सकती है।
सुझाव:
अपने स्थानीय मंदिर, परिवार के पुरोहित या मान्य पंचांग से एक बार समय की पुष्टि ज़रूर कर लें ताकि पूजा सर्वोत्तम मुहूर्त में हो।
दिवाली के पीछे प्रमुख पौराणिक कथाएँ:
पौराणिक कथा – लक्ष्मी के आगमन की रात:
पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी कमल के फूल पर विराजमान होकर प्रकट हुईं थी। भगवान विष्णु को लक्ष्मीजी ने अपने वर के रूप में चुना और संसार को धन, समृद्धि, और ऐश्वर्य का आशीर्वाद दिया।। इसलिए उसी दिन को लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि जिस घर में दीपों का उजाला, सच्ची श्रद्धा और स्वच्छता होती है, वहाँ माँ लक्ष्मी प्रवेश करती हैं और धन, स्वास्थ्य, सौभाग्य और संतोष का वरदान देती हैं।
इसलिए इस दिवाली, केवल बाहरी सजावट ही नहीं बल्कि अपने मन, विचार और कर्मों को भी उजाला दें। यही दिवाली का सच्चा अर्थ है — अंधकार को मिटाकर ज्ञान, प्रेम और समृद्धि की ज्योति जलाना।
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श्रीराम की अयोध्या वापसी – प्रकाश पर्व के पीछे की कथा:
दिवाली की सबसे प्रसिद्ध और भावनात्मक कथा भगवान श्रीराम से जुड़ी है। रामायण के अनुसार, 14 वर्ष के वनवास और रावण पर विजय के बाद जब श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, तब सम्पूर्ण नगर ने दीपों से उनका स्वागत किया।
हर घर में दीये जलाए गए, गलियों को फूलों से सजाया गया और लोग उल्लास में झूम उठे। यह केवल राजा के लौटने की खुशी नहीं थी, बल्कि यह धर्म, सत्य और प्रेम की बुराई पर विजय का प्रतीक था। उसी क्षण से दीपावली “प्रकाश पर्व“ के रूप में मनाई जाने लगी।
आज भी जब हम दीप जलाते हैं, तो वह केवल रोशनी नहीं होती — वह उस आशा और विश्वास का प्रतीक होती है जो भगवान श्रीराम ने हमें दी थी कि अच्छाई अंत में हमेशा जीतती है।
इस प्रकार दिवाली हमें दो अमूल्य संदेश देती है — एक ओर यह माता लक्ष्मी के आगमन और समृद्धि का पर्व है, और दूसरी ओर यह श्रीराम की विजय यात्रा और सत्य की विजय का प्रतीक। जब हम दीप जलाते हैं, तो वह न केवल हमारे घरों को रोशन करता है, बल्कि हमारे विचारों, हमारे जीवन और हमारे समाज को भी प्रकाश से भर देता है।
Diwali 2025 date and Puja Muhurat : 2025 में दिवाली पूजा विधि:
सिर्फ़ Lakshmi Puja Muhurat 2025 जानना ही पर्याप्त नहीं है, पूजा को सही विधि-विधान से करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। नीचे बताए गए सरल चरणों का पालन करके आप माता लक्ष्मी की कृपा और भी प्रभावी रूप से प्राप्त कर सकते हैं-
पूजा के बड़े और विशेष विधि-विधानों के चक्कर में न पड़ें। जितना संभव हो, उतनी सरलता और भक्ति-भाव से पूजा करें। वस्तुतः पूजा में आपके मन का भाव, निष्ठा, भक्ति और श्रद्धा ही मुख्य मानी जाती है। यही कसौटी होती है — आध्यात्मिक शक्ति, शांति और ज्ञान प्राप्त करने की, अपने इष्ट देव से जुड़ने की, तथा अपनी अभिष्ट इच्छाओं की पूर्ति करने की।
- घर की सफ़ाई और शुद्धि: पूजा से पहले पूरे घर और पूजा स्थल की सफाई करें। मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं और दीप सजाएं ताकि सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित हो। पूजा स्थान पर माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की मूर्तियाँ स्थापित करें।
- पूजा आरंभ: सर्वप्रथम अपने गुरु की पूजा करें। यदि गुरु नहीं हैं, तो भगवान शिव या माता पार्वती को स्मरण कर पूजा आरंभ करें।
- देवताओं की स्थापना: पूजा स्थान पर माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देवता की प्रतिमाएं या चित्र स्थापित करें।
- पूजा सामग्री अर्पण: चंदन, फूल, धूप, दीप, मिठाई, और चावल आदि अर्पित करें। फिर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। इसके बाद धन के देवता कुबेर की पूजा करें।
- मंत्र जाप: माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह विशेष मंत्र जपें –
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः”
(108 बार जप करने से धन, ऐश्वर्य और शांति प्राप्त होती है।)
(इस मंत्र का 108 बार जप करने से धन, ऐश्वर्य और शांति प्राप्त होती है। यदि कमल गट्टे की माला उपलब्ध न हो, तो कम से कम 15 मिनट तक ध्यानपूर्वक बिना माला के जप करें। पूजा के बाद जप और पूजा को अपने गुरु को समर्पित करें। यदि गुरु न हों तो इसे भगवान शिव या माता लक्ष्मी को समर्पित करें।)
6. आरती और समर्पण: शंख या घंटी बजाकर वातावरण को शुद्ध करें और श्रद्धा-भाव से आरती करें। किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगें और पूजा को पूर्ण करें।
7. दीप प्रज्वलन: पूजा के बाद पूरे घर में दीपक जलाएं ताकि समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रकाश हर कोने में फैल जाए।
मान्यता है कि इस विधि से पूजा करने पर माता लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और घर में धन, सुख, सौभाग्य और शांति का वास होता है।
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रोशनी के साथ नई उम्मीदों और सकारात्मकता का पर्व
दोस्तों, Diwali 2025 सिर्फ़ दीपों का त्योहार नहीं, बल्कि आत्म-प्रकाश का प्रतीक है। हर साल की तरह, इस बार भी सभी को उत्सुकता है कि 2025 में दिवाली कब है और Lakshmi Puja Muhurat 2025 क्या रहेगा — क्योंकि यही समय हमें आध्यात्मिक रूप से जोड़ता है और जीवन में नई ऊर्जा भरता है।
Diwali 2025 date and Puja Muhurat के साथ यह पर्व हमें याद दिलाता है कि असली रोशनी बाहर नहीं, बल्कि हमारे भीतर जलने वाली आशा और विश्वास की लौ में छिपी है। जब मन में सकारात्मक सोच का दीपक जलता है, तभी घर और समाज दोनों में सच्चा उजाला फैलता है।
Diwali 2025 date and time के अनुसार जब आप लक्ष्मी पूजा करें, तो केवल अपने घर को ही नहीं, बल्कि अपने विचारों, कर्मों और रिश्तों को भी उजाला दें। 2025 में दिवाली पूजा विधि के अनुसार श्रद्धा, भक्ति और प्रेम से किए गए हर दीपदान का अर्थ है — अंधकार पर प्रकाश की विजय, और हर हृदय में आशा की नई किरण।
इस दिवाली पर, आइए मिलकर संकल्प लें — कि इस साल की रोशनी सिर्फ़ हमारे घरों को नहीं, बल्कि हमारे जीवन को भी उजाला कर दे।