Ashokastami Festival: हमारे हिन्दू धर्म में पूरे वर्ष में न जाने कितने त्योहार आते हैं और इन त्योहारों को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसी तरह त्रिपुरा (Unakoti Tripura) में मनाए जाने वाला प्रसिद्ध महोत्सव – अशोकाष्टमी महोत्सव (Ashokastami Festival Tripura) इन ही में से एक है, जो कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में शानदार तरीके से आयोजित किया जाता है।
यह अशोकाष्टमी मेला विशेष रूप से देवी दुर्गा और भगवान शिव की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। क्या आप जानते हैं इस वर्ष यह त्योहार ( Famous Ashokastami Festival in Tripura) कब और किस प्रकार मनाया जाने वाला है? इस दिन श्रद्धालुओं के द्वारा उपवास रखा जाता है। इतना ही नहीं, इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान भी किया जाता है। आइए जानते हैं इस लोकप्रिय त्योहार के संबंध में विस्तार से जानकारी।
Ashokastami Festival: साल 2025 में जल्द आने वाला यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है, व्रत रखा जाता है और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।
अशोकाष्टमी पर्व इस साल मनाया जाने वाला एक पवित्र और पावन त्योहारों में से एक है। यह श्रद्धालुओं के द्वारा सम्पूर्ण रूप से श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। अशोकाष्टमी (Ashokastami Festival Tripura) का धार्मिक और सांस्कृतिक के साथ अत्यंत गहरा महत्व रखता है। इस दिन भक्तों के द्वारा सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद की कामना की जाती है। आइए जानते हैं इस वर्ष यह त्योहार कब मनाया जाने वाला है?
Ashokastami Festival: साल 2025 में कब और कैसे मनाया जाएगा यह त्योहार?
साथियों, अशोकाष्टमी पर्व त्रिपुरा के उनाकोटी क्षेत्र का एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह पर्व त्रिपुरा (Unakoti Tripura) की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के प्रतीक के रूप में है और इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इतना ही नहीं, यह उत्सव ओडिशा (Famous Ashokastami Festival in Tripura) के भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर ,Odisha (ओडिशा),Unakoti, Tripura (उनाकोटी, त्रिपुरा) और Eastern Region of India (पूर्वी भारत का क्षेत्र) में महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाता है। साथियों, अशोकाष्टमी का त्योहार इस वर्ष साल 2025 में 5 अप्रैल (शनिवार) को धूमधाम से मनाया जाएगा, जो कि जैसा कि बताया गया है, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है।
पूजा विधि
प्रातःकाल उठें
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
शिवलिंग का अभिषेक
- शिवलिंग पर जल, दूध, और अन्य पूजन सामग्री का अभिषेक करें। साथ में अशोक के पत्ते भी चढ़ाएं।
अशोक वृक्ष की पूजा
- अशोक वृक्ष पर जल अर्पित करें। इसके लिए कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर उसे वृक्ष की जड़ में डालें।
सूत या लाल धागा लपेटें
- सूत या लाल धागे को अशोक वृक्ष पर सात बार लपेटें। यह प्रक्रिया विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
परिक्रमा
- अशोक वृक्ष की परिक्रमा करें और इसके समक्ष कुमकुम और अक्षत चढ़ाएं।
दीपक जलाना
- वृक्ष के समक्ष घी का चौमुखी दीपक जलाएं और धूप-दीप से आरती करें।
रामायण का पाठ
- संभव हो तो अशोक वृक्ष के समक्ष बैठकर रामायण के एक अध्याय का पाठ करें। यह पुण्यदायी माना जाता है।
मिष्ठान अर्पित करना
- अंत में, अशोक वृक्ष पर थोड़ा सा मिष्ठान अर्पित करें।
अशोक कलिका का सेवन
- इस दिन अशोक की मंजरी की आठ कलियों का सेवन करना भी शुभ माना जाता है। इसे पीने से सभी दुख दूर होने की मान्यता है।
उपवास
- कहा जाता है कि इस दिन उपवास रखने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। श्रद्धालु आमतौर पर दिनभर उपवास रखते हैं और विशेष रूप से अशोक वृक्ष की पूजा करते हैं।
Ashokastami Festival: अशोकाष्टमी महोत्सव (Ashokastami Festival Tripura) का इतिहास:
अशोकाष्टमी महोत्सव का इतिहास भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं से बहुत गहराई से संबंधित है। यह (अशोकाष्टमी मेला) पर्व मुख्य रूप से भगवान राम की कथा से संबंधित है। यह माना जाता है कि भगवान राम ने दुष्ट राजा रावण को हराने के लिए अपनी यात्रा शुरू करने से पहले अशोकाष्टमी पूजा की थी। इस पूजा के परिणामस्वरूप राम को विजय प्राप्त हुई, जो बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में माना जाता है।
पौराणिक कथा:
रामायण का संबंध: अशोकाष्टमी का पर्व रामायण में वर्णित घटनाओं से जुड़ा है। जब माता सीता को रावण ने लंका में बंदी बना लिया था, तो वह अशोक वृक्ष के नीचे थीं। हनुमान जी ने उन्हें भगवान राम का संदेश दिया, जिससे उनका दुख समाप्त हुआ। इस प्रकार, अशोक वृक्ष को दुखों के नाशक के रूप में माना जाता है।
भगवान शिव के आंसू:
एक अन्य कथा के अनुसार, जब रावण के द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तांडव कर रहा था, तब भगवान शिव की आंखों से दो आंसू गिरे थे। एक आंसू से रुद्राक्ष का जन्म हुआ और दूसरे से अशोक वृक्ष की उत्पत्ति हुई। इस प्रकार, अशोक वृक्ष को भगवान शिव के आंसू से उत्पन्न माना जाता है, जो सभी कष्टों का निवारण करता है।
Famous Ashokastami Festival in Tripura: आधुनिक संदर्भ में अशोकाष्टमी महोत्सव का महत्व और इसे मनाने के नए तरीके:
आधुनिक संदर्भ में अशोकाष्टमी का महत्व:
- आध्यात्मिक जागरूकता: यह पर्व लोगों को आत्मचिंतन और मानसिक शांति का अवसर प्रदान करने में सहायक है, खासकर आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में।
- सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: डिजिटल युग में भी यह त्योहार पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखने में मददगार है।
- सामाजिक एकता: विभिन्न समुदायों के लोग इसे सामूहिक रूप से मनाकर समाज में एकता और मिलकर रहने की भावना को बढ़ावा देते हैं, जिससे आपसी संबंध मजबूत होता है।
- पर्यावरण संरक्षण से जुड़ाव: इस दिन वृक्षारोपण और जल संरक्षण जैसे अभियानों को भी बढ़ावा दिया जा सकता है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूकता को फैलाने में सहायक होगा।
इसे मनाने के नए तरीके:
- ऑनलाइन सत्संग और पूजा: डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके लोग ऑनलाइन भजन, कीर्तन और प्रवचन से जुड़ सकते हैं, जिससे अधिक लोग इस पर्व का हिस्सा बन पाएंगे।
- सामाजिक सेवा कार्य: इस पवित्र अवसर पर जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और आवश्यक सामग्री वितरित कर इस पर्व का पुण्य लाभ उठाया जा सकता है, जिससे समाज में सहयोग की भावना भी बढ़ेगी।
- इको-फ्रेंडली पूजा: पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पूजा के दौरान प्राकृतिक सामग्रियों का ही उपयोग करें, प्लास्टिक का उपयोग न करने से बचें।
- धार्मिक पर्यटन: इस अवसर पर लोग ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की यात्रा कर सकते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होगा और भारतीय संस्कृति की ओर उनका जुड़ाव भी बढ़ेगा।
- युवा पीढ़ी को जोड़ना: सोशल मीडिया, वेबिनार और डिजिटल कैंपेन के जरिए युवाओं को इस त्योहार के महत्व से अवगत किया जा सकता है, जिससे वे अपनी संस्कृति से जुड़ पाएंगे।
Ashokastami Festival:अशोकाष्टमी महोत्सव 2025 (Unakoti Tripura) में कैसे पहुंचे?
अशोकाष्टमी महोत्सव विशेष रूप से त्रिपुरा के उनाकोटी में मनाया जाता है। यहाँ आप आसानी से पहुँच सकते हैं क्योंकि उनाकोटी सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है और इसके साथ ही यह अपने सभी नजदीकी शहरों से जुड़ी हुई है। दिल्ली ,बेंगलुरु ,मुंबई और कोलकाता से आसानी से त्रिपुरा पहुँचा जा सकता है। है। यहां आप हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग किसी का भी इस्तेमाल कर पहुंच सकते हैं।
✈️ हवाई मार्ग से
साथियों, उनाकोटी के सबसे पास अगरतला हवाई अड्डा (महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डा) है। हवाई अड्डे पर पहुंचने पर आप सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर मेले तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
👉 इन शहरों से अगरतला के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं:
- कोलकाता से अगरतला
- गुवाहाटी से अगरतला
- दिल्ली से अगरतला
- मुंबई से अगरतला
- बेंगलुरु से अगरतला
🚆 रेल मार्ग से
त्योहार स्थल के सबसे पास अगरतला रेलवे स्टेशन स्थित है। यहां से भी आसानी से आप सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर उनाकोटी तक पहुंच सकते हैं।
👉नीचे दिए गए प्लेटफार्मों का उपयोग करके आप आसानी से ट्रेन बुक कर सकते हैं:
🚗 सड़क मार्ग से
अगर आप किसी पास के शहरों से यात्रा कर रहे हैं, तो आप सड़क मार्ग का इस्तेमाल कर उनाकोटी पहुंच सकते हैं। आप अपनी गाड़ी या टैक्सी/कैब ले सकते हैं।
👉नीचे दिए गए प्लेटफार्मों का उपयोग करके आप आसानी से टैक्सी/कैब बुक कर सकते हैं:
दोस्तों, Unakoti Tripura के रहस्यमयी पर्यटक स्थल के बारे में मैंने विस्तार से बताया है क्योंकि यह पूर्वोत्तर का ‘अंगकोर वाट’, पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। अगर आप इस बेहतरीन पर्यटन स्थल के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और पढने के बाद अपने अनुभव जरूर बताएं।
यह लेख (Ashokastami Festival) जिसको आप सभी पाठक गण पढ़ रहे हैं , आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अशोकाष्टमी महोत्सव (Ashokastami Festival Tripura) न केवल धार्मिक आस्था के रूप में मनाया जाता है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे को भी प्राथमिकता देने का कार्य करता है। क्या आप भी प्रमुख रूप से अशोकाष्टमी महोत्सव (Famous Ashokastami Festival in Tripura) मनाए जाने वाली जगह त्रिपुरा (Unakoti Tripura) या ओडिशा से कहीं संबंध रखते हैं? तो हमें जरूर बताइए इस पवित्र अशोकाष्टमी मेला के बारे में की आप इसके बारे में क्या जानते हैं।