Banu Mushtaq win Booker Prize, 2025 में बुकर जीतने वाली पहली कन्नड़ लेखिका

Subah Times
Banu Mushtaq win Booker Prize

Banu Mushtaq win Booker Prize-क्या आपने कभी सोचा है कि साहित्य केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि एक आवाज़ होती है — जो उन लोगों के लिए बोलती है, जिन्हें अक्सर अनसुना कर दिया जाता है? अगर हाँ, तो बानू मुश्ताक का नाम आपके लिए नया नहीं होगा। बानू मुश्ताक। बानू मुश्ताक बुकर पुरस्कार (Banu Mushtaq win Booker Prize) जीतने वाली पहली कन्नड़ लेखिका बनी हैं, जिनकी Heart Lamp short story collection — हिंदी में हार्ट लैम्प लघुकथा संग्रह — ने दुनिया भर में आलोचकों और पाठकों को समान रूप से प्रभावित किया है।

अगर आपने अब तक यह नाम नहीं सुना, तो जान लीजिए: Banu Mushtaq win Booker Prize न सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह उस क्षण का प्रतीक है जब एक Kannada writer wins International Booker और विश्व साहित्य के मंच पर एक नई संवेदनशीलता की दस्तक होती है। तो आइए हम आपको मिलवाते हैं उस लेखिका से, जिनकी 77 वर्ष की उम्र में लिखी कहानियाँ आज विश्व साहित्य में छा गई हैं।

इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक (Banu Mushtaq win Booker Prize) की कहानी

बानो मुश्ताक का जन्म 3 अप्रैल 1948 को कर्नाटक के हासन ज़िले में हुआ था और हसन (कर्नाटक) की गलियों में पली-बढ़ी बानू का जीवन दो भाषाओं के संगम पर शुरू हुआ—उर्दू और कन्नड़। एक प्रगतिशील और शिक्षित मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी बानो ने बचपन से ही समाज की विसंगतियों को देखा और समझा, जो बाद में उनके लेखन का आधार बना। उनके पिता का नाम मुश्ताक अहमद था, जो एक स्वतंत्र विचारों वाले इंसान थे, जबकि उनकी माँ, सईदा बेगम, धार्मिक पृष्ठभूमि से आने के बावजूद अपनी बेटी की शिक्षा और आत्मनिर्भरता की पक्षधर थीं।

यह भी पढ़ें:  Astrophysicist Dr Ragadeepika Pucha : आंध्र प्रदेश की Astrophysicist ने Dwarf Galaxies में Active Black Holes पर 2025 में खोज कर Space Science की दुनिया में हलचल मचा दी है। 

बानो की स्कूली शिक्षा शिवमोग्गा के एक मिशनरी स्कूल में हुई, जहाँ उन्होंने कन्नड़ भाषा में गहरी पकड़ बनाई। पिता ने जब उन्हें आठ साल की उम्र में कॉन्वेंट स्कूल में भेजा, तब शायद उन्हें भी अंदाज़ा नहीं था कि उनकी बेटी एक दिन उसी कन्नड़ भाषा में दुनिया भर को झकझोरने वाली कहानियाँ लिखेगी। शिक्षा के प्रति उनकी लगन और लेखन के प्रति स्वाभाविक आकर्षण ने उन्हें जल्दी ही साहित्यिक क्षेत्र में ला खड़ा किया। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई कर्नाटक विश्वविद्यालय से पूरी की और क़ानून की पढ़ाई करते हुए एक वकील के रूप में भी कार्य किया।

उनकी ज़िंदगी के संघर्ष केवल सामाजिक नहीं थे, निजी भी थे। उन्होंने 26 वर्ष की उम्र में प्रेम विवाह किया, लेकिन विवाह जीवन भी आसान नहीं रहा। जो उस दौर के सामाजिक ढाँचे के खिलाफ एक क्रांतिकारी कदम था। बानो ने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत पत्रकारिता से की—लंकेश पत्रिके और ऑल इंडिया रेडियो जैसे प्रतिष्ठित माध्यमों से जुड़कर। इसके साथ-साथ उन्होंने सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय भागीदारी निभाई, विशेषकर मुस्लिम और दलित महिलाओं के अधिकारों को लेकर।        

बानू मुश्ताक — एक नाम जो अब सिर्फ कर्नाटक तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक मानचित्र पर सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो चुका है। 2025 में उनकी कन्नड़ में लिखी और अंग्रेज़ी में अनूदित कहानियों की किताब “Hear Lamp (Heart Lamp Short Story collection)” को इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार (Banu Mushtaq win Booker Prize) से नवाज़ा गया। इस संग्रह में 12 लघुकथाएँ हैं, जिनमें दक्षिण भारत की मुस्लिम महिलाओं के जीवन के संघर्ष, साहस और आत्मसम्मान की अनसुनी दास्तानें हैं।

यह भी पढ़ें:  Who is Nigar Shaji : जिसने ISRO के Aditya L1 Mission 2023 की कमान संभाली है।

Banu Mushtaq win Booker Prize– यह पहली बार है कि किसी कन्नड़ लेखक को इंटरनेशनल बुकर मिला (Kannada writer wins International Booker) और पहली बार किसी हार्ट लैम्प लघुकथा संग्रह, (Heart Lamp short story collection ) को यह पुरस्कार मिला है। इस कामयाबी में दीप भास्ती का भी उतना ही योगदान है, जिन्होंने इन कहानियों का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया।

बानू का साहित्य किसी कल्पनालोक की उपज नहीं है, बल्कि यह उनके अनुभवों, सामाजिक आंदोलनों, और व्यक्तिगत संघर्षों की सच्ची तस्वीर है। वे दालित, किसान और बंडाया साहित्य आंदोलनों से जुड़ी रहीं और उन्होंने पत्रकारिता भी की। कभी “Lankesh Patrike” की पत्रकार, कभी बंडाया आंदोलन की संयोजक, और अब बुकर विजेता लेखिका — उनका सफर प्रेरणादायक है।

जब उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को मस्जिदों में नमाज़ का अधिकार मिलने की बात कही, तो उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया। एक बार तो एक व्यक्ति ने उन पर चाकू से हमला करने की कोशिश भी की। क्या आप सोच सकते हैं कि एक कहानी लिखने की कीमत जान की बाज़ी लग सकती है? बानू की हिम्मत इसीलिए हमें और भी बड़ी लगती है।

यह भी पढ़ें: Is Alisa Karsan selected for Mars Mission: नासा का महत्वाकांक्षी मंगल मिशन

“Heart Lamp”: एक किताब, हज़ार जज़्बात

Banu Mushtaq win Booker Prize 2025
Banu Mushtaq win Booker Prize 2025

“Heart Lamp” कोई साधारण संग्रह नहीं है। ये वो कहानियाँ हैं, जो रसोई, बेडरूम, प्रेयर रूम और महिलाओं के अंतर्मन से निकलती हैं। बिना शोर-शराबे के, ये कहानियाँ समाज में व्याप्त पितृसत्ता, धार्मिक रूढ़ियों और राजनीतिक चुप्पियों पर सवाल उठाती हैं। एक पाठक के रूप में, क्या आप भी उन कहानियों की तलाश में रहते हैं जो आपके भीतर कुछ बदल दें?
तो “Heart Lamp” पढ़ना आपके लिए जरूरी है।

बानू मुश्ताक का स्वीकृति भाषण — “हर कहानी मायने रखती है”

बुकर पुरस्कार लेते समय बानू ने कहा: “ये किताब इस यक़ीन से पैदा हुई कि कोई भी कहानी छोटी नहीं होती। जब हम दूसरों के जीवन को कुछ पन्नों के लिए जीते हैं, तो वही साहित्य का जादू होता है।” आप क्या सोचते हैं — क्या साहित्य आज भी दिलों को जोड़ने की ताकत रखता है?

साहित्यिक योगदान और मान्यताएँ

  • 6 लघुकथा संग्रह
  • 1 उपन्यास
  • 1 निबंध संग्रह
  • उनकी कहानी “Kari Nagaragalu” पर बनी फ़िल्म Hasina
  • कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार और दाना चिंतामणि अत्तिमब्बे पुरस्कार

बानू मुश्ताक (Banu Mushtaq win Booker Prize) के बारे में आपकी सोच – हमारी साझा यात्रा

तो ये थी बानो मुश्ताक की कहानी—एक साधारण से परिवेश से उठकर असाधारण बन चुकी एक लेखिका की प्रेरणादायक यात्रा। बानो मुश्ताक की लेखनी सिर्फ कहानियाँ नहीं बुनती, वो सवाल खड़े करती है—हमारे समाज से, हमारी सोच से और कभी-कभी खुद हमसे भी। उन्होंने जो लिखा, वह केवल किताबों के पन्नों में सीमित नहीं रहा, बल्कि पाठकों के दिलों में उतर गया। खासकर जब वे दलित और मुस्लिम महिलाओं की ज़िन्दगी की बात करती हैं, तो वो केवल एक समुदाय की नहीं, बल्कि एक पूरे समाज की चुप्पी को तोड़ती हैं।

यह भी पढ़ें: Transgender Couple Parents: 2 किन्नर, जिया और जाहद की एक नई शुरुआत और नई पहचान

आप सोचिए—कभी किसी कन्नड़ लेखिका का नाम आपने अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (Kannada writer wins International Booker) से जुड़ा सुना था? शायद नहीं। लेकिन आज बानो मुश्ताक ने वो मुमकिन कर दिखाया है।

विशेषकर कहानी संग्रह-  हार्ट लैम्प लघुकथा संग्रह ( Heart Lamp short story ) समाज के हाशिये पर खड़े वर्गों की सशक्त आवाज़ बनकर उभरा। 2025 में बानो मुश्ताक बुकर पुरस्कार (Banu Mushtaq win Booker prize) से सम्मानित किया गया, जो न केवल उनके लेखन की श्रेष्ठता का प्रतीक है, बल्कि कन्नड़ साहित्य के लिए भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। बानो मुश्ताक आज भी प्रेरणा हैं—एक ऐसी आवाज़, जो न रूकी, न झुकी।

जुड़े रहिए हमारी वेबसाइट से, क्योंकि हम आगे भी ऐसी ही प्रेरणादायक कहानियाँ, उपलब्धियाँ और साहित्यिक विमर्श आपके लिए लाते रहेंगे। अगर यह लेख आपको छू गया हो, तो इसे साझा कीजिए। और अगर आपके पास भी कहने को कुछ है—तो लिखिए। क्योंकि हर आवाज़ मायने रखती है।

Banu Mushtaq win Booker Prize
Banu Mushtaq win Booker Prize

TAGGED: , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,
Share This Article
Leave a comment