Who is Nigar Shaji: भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) हमेशा से वैज्ञानिक उपलब्धियों में अग्रणी रहा है। हाल ही में भारत ने 2 सितंबर 2023 को अपना पहला सौर मिशन (India’s First Solar Mission) आदित्य एल-1 (Aditya L1 Mission ) सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस ऐतिहासिक मिशन की कमान संभालने वाली वैज्ञानिक हैं निगार शाजी । उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने भारत को एक नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया है। आइए इस मिशन, निगार के योगदान और इसके वैज्ञानिक महत्व को सरल शब्दों में समझते हैं।
आदित्य-एल1 मिशन (Aditya L1 Mission) क्या है जो India’s First Solar Mission है, सूर्य अध्ययन की ओर भारत का बड़ा कदम:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा 2 सितंबर 2023 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया आदित्य-एल1 मिशन फिलहाल सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित लैग्रेंज बिंदु-1 (L1) की ओर बढ़ रहा है। यह बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित है और यहाँ से आदित्य-एल1 को सूर्य का लगातार अध्ययन करने की सुविधा मिलेगी।
आदित्य-एल1 मिशन की अब तक की यात्रा:
लॉन्च के बाद, यह उपग्रह 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में भ्रमण करता रहा, इस दौरान पाँच अलग–अलग युक्तिचालन (मैन्युवर्स) के जरिए आवश्यक गति प्राप्त की। 19 सितंबर 2023 को, ट्रांस–लैग्रेंजियन1 इंसर्शन (TLI1) मैन्युवर को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया, जिसके बाद आदित्य–एल1 ने L1 बिंदु की ओर 110 दिनों की लंबी यात्रा आरंभ की।
Aditya L1 Mission के वैज्ञानिक उपकरण और डेटा संग्रहण:
मिशन में कुल सात पेलोड्स लगाए गए हैं, जिनका उद्देश्य सूर्य के विविध पहलुओं का गहराई से अध्ययन करना है। इनमें से कुछ उपकरण पहले ही सौर हवा और सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र से संबंधित शुरुआती डेटा इसरो को भेजना शुरू कर चुके हैं। यह जानकारी न केवल शोधकर्ताओं के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध हो रही है, बल्कि सूर्य की गतिशीलता को समझने में भी मदद कर रही है।
Aditya L1 Mission की मौजूदा स्थिति और मिशन का महत्व:
वर्तमान में, आदित्य–एल1 अपने निर्धारित पथ पर स्थिर है, और इसकी सभी प्रणालियाँ सामान्य रूप से कार्य कर रही हैं। इसरो मिशन की प्रगति को लगातार साझा कर रहा है, जिससे वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता को नियमित अपडेट मिल रहे हैं।
इस मिशन द्वारा एकत्रित डेटा से सौर गतिविधियों की समझ में सुधार होगा, जिससे न केवल अंतरिक्ष मौसम की सटीक भविष्यवाणी संभव होगी, बल्कि पृथ्वी पर उसके प्रभावों को कम करने में भी सहायता मिलेगी। इस तरह, आदित्य–एल1 भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमता को एक नई ऊँचाई तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
- यह मिशन सूर्य की कोरोना, सौर हवाओं, प्लाज्मा उत्सर्जन और मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेगा।
- इससे हमें अंतरिक्षीय मौसम (Space Weather) को समझने और सौर तूफानों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
- यह मिशन भारत की वैज्ञानिक क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करता है।

Who is Nigar Shaji: इसका ISRO से क्या सम्बन्ध है
निगार शाजी (Who is Nigar Shaji) का जन्म 10 अक्टूबर 1964 को तमिलनाडु के तेनकासी जिले के सेनगोट्टई में हुआ। वे एक मुस्लिम तमिल परिवार से आती हैं। उनके पिता शेख मीरान एक गणित स्नातक थे, जिन्होंने खेती को अपना पेशा बनाया। उनकी माँ सैतून बीवी एक गृहिणी थीं। उनका बचपन एक साधारण ग्रामीण परिवेश में बीता, जहाँ शिक्षा को अधिक महत्व दिया जाता था। उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और विज्ञान एवं गणित के प्रति उनकी रुचि को बढ़ावा दिया।
निगार की प्रारंभिक शिक्षा SRM गर्ल्स स्कूल, सेनगोट्टई में हुई। बाद में उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के तहत तिरुनेलवेली गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से 1986 में इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए, उन्होंने 1992 में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा से इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
उन्होंने 1987 में इसरो में एक स्पेसक्राफ्ट टेस्ट इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया। इसके बाद, उन्होंने कई महत्वपूर्ण मिशनों में योगदान दिया।
- रिसोर्ससैट-2A की एसोसिएट डायरेक्टर रहीं।
- इसरो में लोअर ऑर्बिट और प्लेनेटरी मिशनों के लिए प्रोग्राम डायरेक्टर का कार्यभार संभाला।
- आदित्य एल-1 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में कार्य किया।
उनका मानना है कि इसरो में प्रतिभा को प्राथमिकता दी जाती है, न कि लिंग भेदभाव को। उन्होंने अपने समर्पण और कड़ी मेहनत से इसरो में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
निगार शाजी इस वक्त जो इसरो की वरिष्ठ वैज्ञानिक है और आदित्य एल-1 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं।
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ISRO के आदित्य एल-1 का महत्व क्यों है?
इस मिशन के कई वैज्ञानिक और तकनीकी लाभ हैं:
- सौर गतिविधियों का गहराई से अध्ययन: यह मिशन सूर्य के कोरोना, सौर हवा और सौर तूफानों का विश्लेषण करेगा।
- अंतरिक्षीय मौसम की भविष्यवाणी: इससे पृथ्वी और अंतरिक्ष में होने वाले परिवर्तनों की सटीक जानकारी मिलेगी।
- भारत की स्पेस रिसर्च में मजबूती: यह मिशन भारत को सौर अध्ययन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा।
- तकनीकी उन्नति: इसरो द्वारा विकसित उपकरणों का अंतरिक्ष विज्ञान में उपयोग बढ़ेगा।
आदित्य एल-1 मिशन से हमें क्या लाभ होगा?
- GPS और संचार प्रणाली की सुरक्षा: सौर तूफानों से हमारे उपग्रह प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन यह मिशन उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
- पृथ्वी की जलवायु पर प्रभाव: सूर्य की गतिविधियाँ पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करती हैं। यह मिशन इन प्रभावों को समझने में मदद करेगा।
- स्पेस मिशन की सुरक्षा: भविष्य में गगनयान (2025), शुक्रयान (2026) और चंद्रयान-4 (2027) जैसे मिशनों के दौरान सौर हवाओं से बचाव करने के उपाय खोजे जा सकेंगे। India’s First Solar Mission
Who is Nigar Shaji: आदित्य एल-1(Aditya L1 Mission) सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि भारत की ISRO वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का प्रतीक है और जो यह India’s First Solar Mission हैं। निगार शाजी और उनकी टीम की मेहनत से यह मिशन सफल हुआ। यह हमें न केवल सूर्य के रहस्यों को जानने में मदद करेगा, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान में भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाएगा।
On the successful launch of #AdityaL1, Project Director of Aditya L-1, Nigar Shaji says, “This is like a dream come true. I am extremely happy that it has been injected by #PSLV. I want to thank the entire team for their support in making this mission possible.”#AdityaL1launch pic.twitter.com/p73onuUBAv
— DT Next (@dt_next) September 2, 2023