Shubhanshu Shukla Space Mission: Shubhanshu Shukla Axiom 4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर भेजे गए भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने देश का नाम रोशन किया है। Shubhanshu Shukla Axiom Mission के जरिए उन्होंने कई अहम वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दे रहे हैं, जो भविष्य में अंतरिक्ष अनुसंधान और मानव मिशनों के लिए बेहद उपयोगी साबित होंगे। NASA और Axiom Space के सहयोग से यह मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया जा रहा है।
Shubhanshu Shukla astronaut के रूप में इस मिशन में भारत के प्रतिनिधि बने है, जो आने वाले समय में ISRO के गगनयान जैसे मिशनों के लिए मजबूत नींव तैयार करेगा। जानकारी के अनुसार, Shubhanshu Shukla ISS return 2025 में 14 जुलाई को संभावित है, जब वे पृथ्वी पर सकुशल लौटेंगे।
Shubhanshu Shukla Space Mission: शुभांशु शुक्ला और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के द्वारा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में कई परीक्षण किए जा रहे हैं। नासा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 15 जुलाई को पृथ्वी पर वापसी होगी।
भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि जुड़ चुकी है। उत्तर प्रदेश के रहने वाले शुभांशु शुक्ला ने Axiom Mission 4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का सफर किया है। यह मिशन न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया अध्याय भी है। NASA और Axiom Space के संयुक्त मिशन के अंतर्गत शुभांशु शुक्ला और उनके साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष स्टेशन पर कई अहम वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं। NASA के आधिकारिक बयान के अनुसार यह मिशन 15 जुलाई 2025 को पृथ्वी पर वापसी (Shubhanshu Shukla ISS return 2025) करेगा।

Shubhanshu Shukla Space Mission:शुभांशु शुक्ला कौन हैं?
शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना (IAF) में ग्रुप कैप्टन और टेस्ट पायलट हैं, और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक गगनयात्री (अंतरिक्ष यात्री) भी हैं। जुलाई 2025 तक, वे Axiom Mission 4 के मिशन पायलट के रूप में कार्य कर रहे हैं। यह एक निजी मिशन है और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर भेजा गया है।
शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla Axiom 4) ISS पर जाने वाले पहले ISRO के अंतरिक्ष यात्री बने हैं और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन चुके हैं। राकेश शर्मा ने 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा की थी।उनकी इस अंतरिक्ष यात्रा की सीट की कीमत लगभग 60 मिलियन डॉलर (करीब ₹500 करोड़ रुपये) मानी जा रही है, जिसे भारत सरकार ने 2025 में भुगतान किया है।
Shubhanshu Shukla Space Mission: Axiom Mission 4 क्या है ?
Axiom Mission 4 (Ax-4) एक निजी मानव अंतरिक्ष मिशन (Shubhanshu Shukla Axiom Mission) है, जो Axiom Space द्वारा SpaceX और NASA के साथ साझेदारी में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए संचालित किया गया है। यह मिशन SpaceX के Falcon 9 Block 5 रॉकेट से लॉन्च किया गया, जिसने Crew Dragon Grace नाम के अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में पहुंचाया।
यह Grace (C213) अंतरिक्ष यान की पहली उड़ान थी, और यह अब तक बना पांचवां और अंतिम Crew Dragon कैप्सूल है।इस मिशन की लॉन्चिंग पहले 11 जून 2025 को केनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से होनी थी, लेकिन तरल ऑक्सीजन (liquid oxygen) के रिसाव के कारण इसे टालना पड़ा। इसके बाद ISS के Zvezda मॉड्यूल में एक और रिसाव मिला, जिससे लॉन्च दो हफ्ते और आगे बढ़ गया।आखिरकार, यह मिशन 25 जून 2025 को सुबह 06:31:52 UTC (भारतीय समय अनुसार लगभग 12:01 बजे) सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

Shubhanshu Shukla Space Mission:शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla astronaut) के प्रारंभिक जीवन और एजुकेशन से संबंधित जानकारी
शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla astronaut) का जन्म लखनऊ में हुआ था और वे तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता, श्री शंभू दयाल शुक्ला, एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं और उनकी मां, श्रीमती आशा शुक्ला, एक गृहिणी हैं। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से की।
1999 में हुए करगिल युद्ध से प्रेरित होकर उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) और नेवल एकेडमी की परीक्षा दी और पास की। इसके बाद उन्होंने 2005 में नेशनल डिफेंस एकेडमी से कंप्यूटर साइंस में बैचलर ऑफ साइंस (B.Sc) की डिग्री प्राप्त की।इसके बाद उन्हें भारतीय वायु सेना अकादमी में फ्लाइंग ट्रेनिंग के लिए चुना गया। जून 2006 में उन्हें भारतीय वायु सेना (IAF) में फाइटर पायलट के रूप में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया गया।
Shubhanshu Shukla Space Mission:शुभांशु शुक्ला के करियर से संबंधित जानकारी
शुभांशु शुक्ला 2025 तक भारतीय वायु सेना में ग्रुप कैप्टन (Shubhanshu Shukla astronaut) के पद पर हैं और एक अनुभवी टेस्ट पायलट हैं। उन्हें 2,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है और उन्होंने कई प्रमुख लड़ाकू विमानों को उड़ाया है। 2019 में उन्हें ISRO के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए चुना गया। उन्होंने रूस में यूरी गागरिन ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण लिया और फिर बेंगलुरु में ISRO से मिशन ट्रेनिंग प्राप्त की। साथ ही उन्होंने IISc से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री भी पूरी की।27 फरवरी 2024 को उन्हें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए आधिकारिक रूप से अंतरिक्ष यात्री घोषित किया गया।
Shubhanshu Shukla Space Mission:अंतरिक्ष स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla Axiom 4) के प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोग
शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla Axiom Mission) के अंतरिक्ष मिशन के दौरान कई वैज्ञानिक प्रयोग किए जा रहे हैं, जिन्हें इसरो (ISRO) के सहयोग से भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा किया जा रहा है। इन प्रयोगों का उद्देश्य यह समझना है कि अंतरिक्ष की अलग-अलग परिस्थितियों, जैसे कि गुरुत्वाकर्षण की कमी (microgravity) और विकिरण (radiation), का जीवों, पौधों और तकनीक पर क्या असर होता है।
- स्पेस माइक्रोएल्गी – यह प्रयोग ICGEB और NIPGR द्वारा किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह जानना है कि अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी और विकिरण खाने योग्य माइक्रोएल्गी पर कैसे असर डालते हैं।
- मायोजेनेसिस – इस प्रयोग को InStem संस्था कर रही है। इसमें यह देखा जा रहा है कि अंतरिक्ष में मांसपेशियों के विकास और मरम्मत पर सप्लीमेंट्स का क्या असर होता है।
- स्प्राउट्स (अंकुरण) – यह प्रयोग UAS धारवाड़ और IIT धारवाड़ द्वारा किया जा रहा है। इसमें अंतरिक्ष में सलाद के बीजों को अंकुरित किया जा रहा है, ताकि देखा जा सके कि वहां ताजे और पौष्टिक भोजन की संभावना कितनी है।
- वॉयेजर टार्डिग्रेड – यह IISc द्वारा किया जा रहा है। इसमें एक बेहद छोटे जीव ‘टार्डिग्रेड’ की अंतरिक्ष में जीवित रहने, फिर से सक्रिय होने और प्रजनन की क्षमता का अध्ययन किया जा रहा है।
- वॉयेजर डिस्प्ले – यह प्रयोग भी IISc कर रहा है। इसमें यह जांचा जा रहा है कि अंतरिक्ष में लोग कंप्यूटर स्क्रीन और डिवाइस के साथ कैसे काम करते हैं, और यह काम पृथ्वी पर किए गए काम से कितना अलग होता है।
- साइनोबैक्टीरिया इन माइक्रोग्रैविटी – ICGEB द्वारा किया गया यह प्रयोग यह दिखाता है कि साइनोबैक्टीरिया नामक सूक्ष्म जीव माइक्रोग्रैविटी में यूरिया और नाइट्रेट पर कैसे विकसित होते हैं।
- फूड क्रॉप सीड्स (खाद्य बीज) – IIST और केरल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किया गया यह प्रयोग यह समझने में मदद करेगा कि अंतरिक्ष में खाद्य फसलों के बीजों की वृद्धि और उपज कैसी होती है।

Shubhanshu Shukla Space Mission: ISRO को इस मिशन से क्या लाभ होगा?
शुभांशु शुक्ला का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाना भारत और ISRO दोनों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। इससे ISRO को अंतरिक्ष में इंसान को भेजने और वहाँ उन्हें सुरक्षित रखने से जुड़ी जरूरी जानकारी और अनुभव मिलेगा। यह मिशन भारत के आने वाले गगनयान मिशन के लिए भी तैयारी का एक हिस्सा है। इस मिशन से ISRO को अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी, जीवन-समर्थन प्रणाली, वैज्ञानिक प्रयोग, और अंतरिक्ष यात्रियों के व्यवहार संबंधी महत्त्वपूर्ण डेटा मिलेगा, जिसे भविष्य के मानव मिशनों में उपयोग किया जाएगा।
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Shubhanshu Shukla Space Mission: ISRO द्वारा शुभांशु को भेजने का उद्देश्य क्या है?
ISRO ने शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के तहत अंतरिक्ष में भेजने का उद्देश्य भारत की मानव अंतरिक्ष यात्रा क्षमता को मजबूत करना है। इससे भारत को अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित करने, अंतरिक्ष स्टेशन पर काम करने की प्रक्रिया समझने और भविष्य में अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की दिशा में मदद मिलेगी। इस मिशन के जरिए शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा तैयार किए गए प्रयोगों को पूरा कर रहे हैं, जिससे भारत की विज्ञान और तकनीक में भागीदारी और बढ़ेगी।
Shubhanshu Shukla Axiom Mission के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाकर किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों से न केवल वैश्विक विज्ञान को फायदा होगा, बल्कि ISRO जैसे संस्थानों को भी नई दिशा मिलेगी। Shubhanshu Shukla Axiom 4 मिशन के जरिए शुभांशु शुक्ला ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत के युवा वैज्ञानिक भी अब अंतरिक्ष में विश्व स्तर पर अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
यह मिशन भारत के लिए गर्व का विषय है और आने वाले समय में अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की भागीदारी को और मजबूत बनाएगा। उम्मीद है कि Shubhanshu Shukla ISS return 2025 में 14 जुलाई को पृथ्वी पर लौटेंगे और अपने अनुभवों से नई पीढ़ी के वैज्ञानिकों को प्रेरित करेंगे। ऐसे मिशन भविष्य की विज्ञान और तकनीक की दिशा को तय करेंगे, जिसमें भारत की भूमिका अहम होगी।