Unakoti Tripura का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व जो रहस्य, श्रद्धा और कला का अद्भुत संगम है:
Unakoti Tripura: दोस्तो, क्या आप इतिहास और कला के संगम को करीब से देखना चाहते हैं? क्या आप उन जगहों की यात्रा करना चाहते हैं जहाँ प्रकृति और मनुष्य की अद्भुत कारीगरी एक साथ मिलती है? यदि हाँ, तो Unakoti Tripura (उनाकोटि त्रिपुरा) आपके लिए एक अनूठा अनुभव लेकर आया है। उनाकोटि, का शाब्दिक अर्थ है ‘एक करोड़ में एक कम’, जो यहाँ मौजूद 99,99,999 मूर्तियों की संख्या को दर्शाता है। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ पत्थरों पर उकेरी गई प्राचीन मूर्तियाँ हमें हजारों साल पहले की दुनिया में ले जाती हैं।
पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा राज्य की सुरम्य रघुनंदन पहाड़ियों की गहराइयों में बसा ” Unakoti Tripura “, एक ऐसा अद्वितीय ऐतिहासिक पुरातात्विक और धार्मिक तीर्थस्थल (Unakoti Temple Tripura) है जो न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि प्राचीन भारतीय कला और संस्कृति का जीवंत प्रमाण भी है। यह स्थल अपनी विशाल शिला-नक्काशियों और मूर्तियों के लिए विश्वविख्यात है जो हजारों साल पुरानी चट्टानों पर खुदी हुई है। इसे अक्सर “पूर्वोत्तर का अंगकोर वाट” कहा जाता है, और अपनी इसी विशिष्टा के चलते, साल 2022 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहरों की लिस्ट में जगह मिली।
दोस्तों, आज ये पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा की शान (Unakoti Tripura Tourism) बन गया है, जहाँ दूर-दूर से सैलानी और श्रद्धालु खींचे चले आते हैं। यहाँ का मौसम (Weather Unakoti Tripura), आम तौर पर, गरम और नमी भरा रहता है, जैसे कि मानसून के मौसम में होता है। त्रिपुरा के उनाकोटि की तस्वीरें (Tripura Unakoti Pictures)और वहाँ के पत्थरों पर बनी अद्भुत मूर्तियाँ और प्राकृतिक नज़ारे देखकर आँखें और मन दोनों को सुकून मिलता है। सच कहूँ तो, एक बार यहाँ आने के बाद, वापस जाने का दिल ही नहीं करता।
Unakoti Tripura का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
उनाकोटी (Unakoti Tripura) की उत्पत्ति और इतिहास के संबंध में विभिन्न मत और लोककथाएँ प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि उनाकोटी की चट्टानों पर बनी मूर्तियाँ 7वीं से 9वीं शताब्दी के बीच निर्मित हुईं, हालांकि कुछ विद्वान इसे पाल वंश के शासनकाल (8वीं से 12वीं शताब्दी) से भी जोड़ते हैं। ये मूर्तियाँ न केवल विशाल हैं, बल्कि उनमें मंगोलॉयड विशेषताएँ भी दिखाई देती हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह स्थल कभी देव वंश के शासन में एक प्रमुख शिव तीर्थस्थल था।
Unakoti Tripura का ऐतिहासिक कालक्रम:
- 7वीं-9वीं शताब्दी: चट्टानों पर मूर्तियों का निर्माण।
- 12वीं-13वीं शताब्दी: स्थानीय राजवंशों द्वारा संरक्षण।
- 19वीं शताब्दी: ब्रिटिश शासन के दौरान पुरातात्विक सर्वेक्षण।
- 20वीं शताब्दी: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षण और अध्ययन।
वर्तमान: पर्यटन स्थल के रूप में विकास और संरक्षण प्रयास।
Unakoti Tripura की लोककथाएँ और मान्यताएँ:

उनाकोटी से जुड़ी कई रोचक लोककथाएँ हैं, जो इसकी रहस्यमयता को और बढ़ाती हैं
- भगवान शिव का शाप : लोककथाओं के अनुसार, यह स्थान कभी एक करोड़ देवी-देवताओं का विश्राम स्थल था। किंवदंती कहती है कि भगवान शिव जब काशी की ओर जा रहे थे, तो उन्होंने यहीं विश्राम किया। उन्होंने अपने साथ आए देवताओं से सूर्योदय से पहले उठने को कहा, लेकिन कोई न उठा। क्रोधित होकर उन्होंने सबको पत्थर बना दिया। इस प्रकार यहां आज भी 99,99,999 मूर्तियाँ मौजूद मानी जाती हैं। यह कथा न सिर्फ़ रोमांचक है, बल्कि स्थान को एक अलौकिक और आध्यात्मिक आभा भी देती है।
- कल्लू कुम्हार की कथा: एक अन्य कथा के अनुसार, कल्लू कुम्हार नामक एक शिल्पकार भगवान शिव के साथ कैलाश जाने की इच्छा रखता था। शिवजी ने उसे एक रात में एक करोड़ मूर्तियाँ बनाने की शर्त दी। कल्लू ने पूरी रात मेहनत की, कल्लू कुमार ने लगभग काम पूरा कर लिया, लेकिन सुबह तक 99,99,999 मूर्तियाँ ही बना पाया, जिससे वह कैलाश नहीं जा सका और इसलिए इस स्थान का नाम “उनाकोटि” पड़ा।
Unakoti Tripura की मूर्तिकला और स्थापत्य कला:
उनाकोटी में दो प्रकार की मूर्तियाँ पाई जाती हैं:
- शिला-नक्काशियाँ: चट्टानों पर उकेरी गई विशाल आकृतियाँ, जिनमें ‘उनाकोटिश्वर काल भैरव’ प्रमुख हैं। यह शिवजी की 30 फीट ऊँची मूर्ति है, जिसके सिर पर 10 फीट ऊँचा मुकुट है।
- स्वतंत्र मूर्तियाँ: पत्थर से निर्मित स्वतंत्र मूर्तियाँ, जैसे भगवान गणेश, देवी दुर्गा, नंदी आदि। गणेशजी की चार भुजाओं और तीन दाँतों वाली दुर्लभ मूर्तियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा उनाकोटी को एक धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया है और इसके संरक्षण के प्रयास जारी हैं।
अशोकाष्टमी मेला: श्रद्धा और संस्कृति का पर्व:

यहाँ हर साल अप्रैल महीने में यहाँ अशोकाष्टमी मेला का आयोजन होता है। , जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक (Unakoti Tripura Tourism) भाग लेते हैं। यह मेला धार्मिक (Unakoti Temple Tripura) और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र होता है, जो इस स्थल की जीवंतता को दर्शाता है। यह मेला इस स्थल की आध्यात्मिक विरासत को जन-जन तक पहुँचाता है।
मेले में होने वाले प्रमुख कार्यक्रम:
- पारंपरिक नृत्य, संगीत, धार्मिक अनुष्ठान
- लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम
- स्थानीय व्यंजन और हस्तशिल्प की दुकानों की भरमार
दोस्तों, अशोकाष्टमी हमेशा चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। इस बार अशोकाष्टमी चैत्र नवरात्रि 2025 की अष्टमी तिथि 5 अप्रैल, शनिवार को है। यह एक शुभ हिंदू त्योहार है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन व्रत करने से सभी शोक दूर हो जाते हैं।
इस दिन अशोक की मंजरी की आठ कलियों का सेवन करने की मान्यता है। इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है और विशेष रूप से दुर्गाष्टमी व्रत रखा जाता है। इसी दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। इसके साथ ही अगले दिन 6 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि का पूजन कर राम नवमी का पर्व मनाया जाता है।
दोस्तों, यह एक शुभ अवसर है उनाकोटि की यात्रा करने का, क्योंकि इस समय मौसम (Weather Unakoti Tripura) भी बहुत अच्छा होता है और इस समय यहाँ के प्राकृतिक दृश्य (tripura unakoti pictures) भी बहुत ही मन को लुभाने वाले होते हैं। इसके साथ ही इस पवित्र अशोकाष्टमी मेले को भी एक्सप्लोर करने का सुनहरा मौका मिलेगा। मैं तो कहता हूँ, यात्रा प्रेमियों के लिए यह बहुत अच्छा समय है इस जगह (Unakoti Tripura) की यात्रा करने का।
दोस्तों, अगर आप “अशोकाष्टमी मेला” के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें। इसमें विस्तार से इसके बारे में बताया गया है।
Unakoti Tripura त्रिपुरा का रहस्यमयी धरोहर, जहाँ पत्थर भी बोलते हैं, भारत के पूर्वोत्तर राज्य का पर्यटन स्थल (Unakoti Tripura Tourism):
उनाकोटि (Unakoti Tripura) एक ऐसा स्थान है जहाँ इतिहास और प्रकृति एक साथ मिलकर एक अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं। यह स्थान और यहाँ की रहस्यमयी मूर्तियाँ, मंदिर (Unakoti Temple Tripura) और प्राकृतिक सौंदर्य (Tripura Unakoti Pictures) न केवल पर्यटकों (Unakoti Tripura Tourism) को आकर्षित करता है, बल्कि हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर के महत्व के साथ-साथ धार्मिक महत्व को भी याद दिलाता है जो की कला और इतिहास के प्रेमियों के लिए भी एक अनमोल धरोहर है।
उनाकोटि की प्रमुख मूर्तियाँ जो प्रमुख आकर्षण के केंद्र हैं:

मूर्ति का नाम | विशेषता | महत्व |
उनाकोटेश्वर काल भैरव | विशाल चट्टान पर उकेरी गई शिव की मूर्ति | अद्वितीय कलाकृति और धार्मिक महत्व |
गणेश की मूर्तियाँ | विभिन्न मुद्राओं में गणेश की मूर्तियाँ | कलात्मक उत्कृष्टता और सांस्कृतिक महत्व |
दुर्गा की मूर्तियाँ | महिषासुरमर्दिनी के रूप में दुर्गा की मूर्तियाँ | शक्ति और विजय का प्रतीक |
अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ | विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ | धार्मिक विविधता और कलात्मक समृद्धि |
Unakoti Tripura की रोमांच यात्रा यहाँ कैसे पहुंचे?
Unakoti Tripura तक पहुंचना अपने आप में एक साहसिक यात्रा है। यह स्थल त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से लगभग 178 किमी दूर स्थित है। उनाकोटि पहुंचने के मार्ग:
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा- महाराजा बीर बिक्रम एयरपोर्ट अगरतला में है, जो उनाकोटि से लगभग 178 किलोमीटर दूर है।
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन कुमारघाट या धर्मनगर है, जो उनाकोटि से लगभग 8 किलोमीटर दूर है।
- सड़क मार्ग: उनाकोटि सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप अगरतला, कुमारघाट या कैलाशहर से बस या टैक्सी द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं।
हालाँकि मानसून (Weather Unakoti Tripura) में रास्ते थोड़े कठिन हो सकते हैं, लेकिन जो अनुभव यहाँ मिलते हैं, वो अमूल्य होते हैं। प्राकृतिक झरनों (Tripura Unakoti Pictures) और घुमावदार सीढ़ियों से होकर जब आप उनाकोटिसवारा की मूर्ति के सामने पहुँचते हैं, तो एक आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है।
Unakoti Tripura में कहाँ ठहरें?
- कुमारघाट और कैलाशहर में कई होटल और गेस्टहाउस उपलब्ध हैं।
- त्रिपुरा पर्यटन विभाग द्वारा संचालित गेस्टहाउस में भी ठहरा जा सकता है।
- अगरतला में भी कई होटल और गेस्टहाउस उपलब्ध हैं।
- टूरिज़्म विभाग द्वारा साफ-सुथरे शौचालय, कैफेटेरिया, पार्किंग, और आरामदायक आवास सुविधाओं की स्थापना की गई है।
- इसके अलावा सोनामुखी चाय बागान (Sonamukhi Tea Estate) के पास एक तीन सितारा रिसॉर्ट, स्विमिंग पूल और ध्यान केंद्र का भी निर्माण किया गया है।
Unakoti Tripura से संपर्क और जानकरी के लिए:
- त्रिपुरा पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की की रिपोर्टें और वेबसाइट
- स्थानीय इतिहास और संस्कृति पर आधारित पुस्तकें और लेख।
Unakoti Tripura के लिए यात्रा का सर्वोत्तम समय:
अक्टूबर से मार्च का समय उनाकोटि की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय होता है, जब मौसम सुहावना रहता है।
Unakoti Tripura के स्थानीय भोजन और खरीददारी:
- त्रिपुरा के स्थानीय भोजन में ‘मोसडेंग’ और ‘चख्वी’ जैसे व्यंजन प्रसिद्ध हैं।
- यहाँ की हस्तशिल्प वस्तुएँ, जैसे बाँस और बेंत से बनी चीजें, खरीददारी के लिए अच्छी हैं।
Unakoti Tripura पहुंचने पर क्या करें और क्या नहीं करें:
- उनाकोटि में चट्टानों पर चढ़ते समय सावधानी बरतें।
- स्थानीय गाइड की मदद से आप मूर्तियों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- अपने साथ पानी और खाने का सामान रखें, क्योंकि यहाँ सुविधाएं सीमित हैं।
- स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें और पर्यावरण को स्वच्छ रखें।
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Unakoti Tripura – त्रिपुरा का रहस्यमयी धरोहर, जहां हर पत्थर एक कहानी कहता है:
Unakoti Tripura केवल एक पर्यटन (Unakoti Tripura Tourism) स्थल नहीं, बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जो की इसके साथ ही यह स्थल एक साथ इतिहास, कला, धर्म और लोककथाओं का एक अद्वितीय संगम प्रस्तुत करता है। यह स्थान दर्शाता है कि कैसे भारत की प्राचीन सभ्यता चट्टानों में भी सांस लेती है। यहाँ आकर आप न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर को देखेंगे, बल्कि खुद को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध भी पाएँगे।
यदि आप इतिहास, कला, मंदिर (Unakoti Temple Tripura) और संस्कृति में रुचि रखते हैं या जीवन में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा की तलाश कर रहे हैं, तो यह समय बहुत अच्छा है क्योंकि अभी मौसम भी सुहावना (Weather Unakoti Tripura) है और प्राकृतिक दृश्य (Tripura Unakoti Pictures) भी सुंदर देखने को मिलेंगे। इसके साथ ही, यहाँ अप्रैल में जो मेला होने वाला है, उसे एक्सप्लोर करने का भी सुनहरा अवसर है।
तो दोस्तों इसलिए उनाकोटि त्रिपुरा (Unakoti Tripura) को अपनी सूची में ज़रूर शामिल करें और इसकी यात्रा अवश्य करें जिससे इस अद्भुत स्थल की रहस्यमयता और भव्यता का अपने जीवन में अनुभव कर सकें।