Professor Sushant Ghosh दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है आज की तारीख़ में Black Hole Physics जैसे जटिल और रहस्यमय विषय पर एक भारतीय वैज्ञानिक दुनिया में दूसरे स्थान पर रैंक कर सकता है? अगर नहीं सोचा था, तो अब सोचिए — क्योंकि यह सच है।
हम बात कर रहे हैं Professor Sushant Ghosh यानी प्रोफेसर सुशांत घोष की — एक ऐसे Jamia Millia Islamia Scientist जिनकी वैज्ञानिक सोच और शोध ने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की, बल्कि भारत को भी विज्ञान की वैश्विक मानचित्र पर गौरव दिलाया। जिसे साइंस की दुनिया में ‘असंभव’ माना जाता था। ScholarGPS® की 2024 ग्लोबल रैंकिंग में उन्हें ब्लैक होल फिजिक्स में दुनिया का दूसरा सबसे शीर्ष वैज्ञानिक माना गया है।
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दोस्तों, विज्ञान कोई एक दिन की कहानी नहीं होती। इसमें वर्षों की लगन, हजारों प्रयोग, और अनगिनत असफलताओं के बीच से एक नई खोज निकलती है। प्रोफेसर सुशांत घोष की यात्रा भी कुछ ऐसी ही रही है। उन्होंने Black Hole Physics के क्षेत्र में जो योगदान दिया है, वह आज दुनिया भर में Indian Scientist Black Hole Research के सबसे प्रेरणादायक उदाहरणों में गिना जाता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे जामिया मिल्लिया इस्लामिया का एक प्रोफेसर पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर रैंक हुआ। हम उनकी शोध प्रक्रिया, “Ghosh Black Hole” सिद्धांत, अंतरराष्ट्रीय सम्मान और विज्ञान में भारत की भूमिका पर चर्चा करेंगे।
तो चलिए, इस प्रेरणादायक यात्रा की शुरुआत करते हैं — और साथ ही समझते हैं कि क्यों Professor Sushant Ghosh का नाम विज्ञान की दुनिया में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। तैयार हैं? चलिए पढ़ते हैं।
Professor Sushant Ghosh : सुशांत घोष – नाम ही काफ़ी है, लेकिन क्यों?
प्रोफेसर सुशांत घोष (Professor Sushant Ghosh), जामिया के सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र (Centre for Theoretical Physics) के निदेशक हैं। उनका काम सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों पहलुओं में ब्लैक होल भौतिकी को लेकर रहा है। उन्होंने ब्लैक होल की छाया (shadow), फोटॉन रिंग्स, क्वांटम करेक्शंस और ग्रेविटेशनल लेंसिंग जैसी जटिल अवधारणाओं पर विस्तार से काम किया है।
उनके शोध का प्रमुख केंद्र रहा है:
- घूर्णनशील (Rotating) ब्लैक होल्स के चारों ओर स्पेसटाइम का क्वांटम सुधार
- Ghosh Black Hole मॉडल (एक Non-Singular Rotating Black Hole)
- Modified theories of gravity में ब्लैक होल का अध्ययन
- Photon Rings और Shadows की विस्तृत मॉडलिंग
- Strong gravitational lensing phenomenon
Professor Sushant Ghosh : ‘घोष ब्लैक होल्स’ — जब नाम से ही पहचाना जाने लगे शोध:

2015 में प्रकाशित उनका पेपर “A Nonsingular Rotating Black Hole” (European Physical Journal C) ब्लैक होल भौतिकी के क्षेत्र में मील का पत्थर माना गया। इसमें प्रस्तावित Ghosh Black Hole न सिर्फ Kerr-Newman Black Hole के अनुरूप है, बल्कि इसे कुछ विशेष स्थितियों में साधारण Kerr Solution में सरलता से बदला भी जा सकता है।
सोचिए, एक भारतीय वैज्ञानिक का नाम अब ब्लैक होल के समाधान के रूप में उपयोग हो रहा है — Isn’t that historic? इस शोध को आज तक 125 से अधिक वैज्ञानिक शोधों में उद्धृत किया गया है — जो इसकी वैज्ञानिक समुदाय में स्वीकार्यता और गहराई को दर्शाता है।
Professor Sushant Ghosh : ScholarGPS® और सुशांत घोष की रैंकिंग – क्या मायने हैं इसके?
आप सोच रहे होंगे कि यह ScholarGPS® है क्या? और इसकी रैंकिंग का इतना महत्व क्यों है? तो जानिए: ScholarGPS® एक अंतरराष्ट्रीय विश्लेषण प्लेटफॉर्म है जो शोधकर्ताओं की उत्पादकता, प्रभाव और गुणवत्ता के आधार पर रैंकिंग करता है। यह रैंकिंग:
- 200 मिलियन से अधिक शोध पत्रों और
- 30 मिलियन से ज्यादा लेखक प्रोफाइल्स पर आधारित है।
इसमें H-index, शोधपत्रों की संख्या और उनके उद्धरणों (citations) के जरिए यह तय किया जाता है कि कौन से वैज्ञानिक सबसे प्रभावशाली हैं। और जब बात आती है ब्लैक होल फिजिक्स की — तो प्रोफेसर घोष टॉप 0.05% में आते हैं। सोचिए, पूरे विश्व में!
Professor Sushant Ghosh : उपलब्धियां – सिर्फ शब्द नहीं, प्रेरणा हैं ये:
- 2024: ब्लैक होल फिजिक्स में दुनिया में दूसरी रैंक (ScholarGPS)
- 2015: राष्ट्रपति विज़िटर अवॉर्ड फॉर रिसर्च (CTP ग्रुप के सदस्य के तौर पर)
- 2018: Fulbright Fellowship प्राप्त
- 2020–2024: Stanford University की टॉप 2% वैज्ञानिकों की लिस्ट में लगातार शामिल
- 2022–2024: IOP Publishing के Top Cited Paper Awards
Professor Sushant Ghosh : क्या प्रो. घोष का शोध सिर्फ ब्लैक होल तक सीमित है?
बिलकुल नहीं! वे General Relativity की वैधता, Modified Gravity Theories, ब्लैक होल थर्मोडायनामिक्स और उनके observational signatures जैसे विषयों पर भी काम कर रहे हैं। वे IUCAA, पुणे में विज़िटिंग एसोसिएट भी हैं और विज्ञान में सहयोग का एक बड़ा उदाहरण हैं।
Professor Sushant Ghosh : अब ज़रा एक सवाल आपसे — क्यों न ऐसी कहानियों को मुख्यधारा में लाया जाए?
अक्सर हम स्पेस या साइंस की बातें सिर्फ अमेरिका या यूरोप के वैज्ञानिकों से जोड़ते हैं। लेकिन क्या हम अपने प्रोफेसर घोष जैसे हीरोज को जानते हैं? ये लेख उसी उद्देश्य को पूरा करता है — ताकि आप जानें, समझें और गर्व करें।
जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने इस उपलब्धि पर कहा कि यह विश्वविद्यालय की वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक नेतृत्व की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वास्तव में, जामिया सिर्फ शिक्षा नहीं दे रही, वह विज्ञान की दुनिया में अपनी छाप भी छोड़ रही है।
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Professor Sushant Ghosh : विज्ञान में भारत का भविष्य उज्ज्वल है, और प्रोफेसर घोष इसका प्रमाण हैं:

दोस्तों, अब तो हम लोग पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि विज्ञान में भारत का भविष्य न सिर्फ उज्ज्वल है, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी है। और इसका जीता-जागता प्रमाण हैं Professor Sushant Ghosh, जिन्होंने अपनी अथक परिश्रम, अनुसंधानशीलता और समर्पण से इसे सिद्ध कर दिखाया है। उनके नेतृत्व में Jamia Millia Islamia Scientist की पहचान आज अंतरराष्ट्रीय विज्ञान समुदाय में एक सम्मानजनक स्थान पर पहुंची है।
प्रोफेसर सुशांत घोष के योगदान ने न केवल हमारे देश का नाम रोशन किया है, बल्कि Black Hole Physics जैसे अत्यंत जटिल क्षेत्र में भारत को अग्रणी पंक्ति में खड़ा कर दिया है। उनके कार्यों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि Indian Scientist Black Hole Research अब किसी पश्चिमी विशेषाधिकार का विषय नहीं, बल्कि भारतीय प्रतिभा का भी गवाह है।
तो अगली बार जब आप किसी ब्लैक होल की डॉक्यूमेंट्री देखें या “Interstellar” जैसी फिल्म में स्पेस और टाइम के रहस्यों पर विचार करें — याद रखिएगा, उस विज्ञान की नींव में कहीं न कहीं Professor Sushant Ghosh जैसे भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत छिपी है।
आपसे आग्रह है — ऐसे वैज्ञानिकों की कहानियों को पढ़ें, साझा करें और विज्ञान के प्रति अपनी जिज्ञासा को जीवित रखें। यदि आप चाहते हैं कि Jamia Millia Islamia जैसे संस्थानों और उनके शोधकर्ताओं से जुड़ी और ऐसी ही प्रेरणादायक सामग्री आप तक पहुंचती रहे, तो हमारे पेज से जुड़े रहें और इस लेख को ज़रूर साझा करें।
Source of information– Jamia Millia Islamia, Professor Sushant Ghosh published Research Paper and articles.