Physics Nobel Prize 2025: 2025 का नोबेल पुरस्कार भौतिकी (Physics) के क्षेत्र में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम प्रभावों (macroscopic quantum phenomena) की खोजों को सम्मानित करता है। यह वो पुल है जो हमें क्लासिकल दुनिया और क्वांटम जगत के बीच जोड़ता है — वह जगह जहाँ क्वांटम नियम बड़े आकारों में भी देखे जाते हैं। इस खोज का भारत की तकनीकी महत्वाकांक्षा में गहरा प्रभाव हो सकता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि यह नोबेल पुरस्कार 2025 क्यों महत्वपूर्ण है, भारत के लिए इसका क्या मतलब है, और आगे की चुनौतियाँ व अवसर क्या हैं।
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Physics Nobel Prize 2025 : नॉबेल पुरस्कार 2025 की घोषणा, विजेता, राशि और सम्मान समारोह-
- घोषणा की तारीख: 7 अक्टूबर 2025
- पुरस्कार क्षेत्र: भौतिकी (Physics)
- विजेता:
- John Clarke (University of California, Berkeley, USA)
- Michel H. Devoret (Yale University, USA)
- John M. Martinis (University of California, Santa Barbara, USA)
- खोज: “Macroscopic quantum mechanical tunneling and energy quantisation in electric circuits” — यानी सर्किट्स में क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा के विभाजन (quantisation/क्वांटाइज़ेशन) को प्रयोगात्मक रूप से दिखाना।
- महत्व: इस खोज ने साबित किया कि क्वांटम नियम केवल सूक्ष्म स्तर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बड़े सिस्टम में भी काम करते हैं।
- पुरस्कार राशि: 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग ₹8-9 करोड़ रुपये), तीनों विजेताओं में बराबर बाँटी जाएगी।
- सम्मान समारोह: 10 दिसंबर 2025 को स्टॉकहोम (स्वीडन) में आयोजित किया जाएगा — यही Alfred Nobel की पुण्यतिथि भी है।
- सम्मान स्वरूप: प्रत्येक विजेता को स्वर्ण पदक, प्रमाण पत्र और चेक प्रदान किया जाएगा।
Physics Nobel Prize 2025: नोबेल विजेताओं का जीवन परिचय-
John Clarke
- जन्म: 1942, कैम्ब्रिज (यूके)
- शिक्षा: PhD, University of Cambridge (1968)
- पद: Professor Emeritus, University of California, Berkeley
- योगदान: सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स में मैक्रो क्वांटम प्रभावों की खोज के लिए प्रसिद्ध।
Michel H. Devoret
- जन्म: 3 अप्रैल 1953, पेरिस (फ्रांस)
- शिक्षा: École Normale Supérieure, Paris से स्नातक; PhD, University of Paris-Sud (Orsay)
- संबद्धता: Yale University, USA
- कार्यक्षेत्र: क्वांटम इलेक्ट्रॉनिक्स और सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स में प्रयोगात्मक अनुसंधान
- योगदान: क्वांटम टनलिंग के स्थायी और व्यावहारिक प्रमाण प्रस्तुत किए।
John M. Martinis
- जन्म: 3 जून 1955, लॉस एंजिल्स (कैलिफोर्निया, USA)
- शिक्षा:S. Physics, University of California, Berkeley; PhD, Stanford University
- संबद्धता: University of California, Santa Barbara
- पूर्व भूमिका: Google Quantum AI टीम के प्रमुख सदस्य
- योगदान: क्वांटम कंप्यूटर हार्डवेयर विकास में अग्रणी भूमिका निभाई।
Source for biography information- NobelPrize.org

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क्वांटम तकनीक क्या है:
क्वांटम दुनिया उन नियमों से चलती है जो बहुत छोटे कणों (जैसे इलेक्ट्रॉन, फोटॉन) पर लागू होते हैं — जैसे सुपरपोजीशन, एंटैंगलमेंट/उलझाव (entanglement), टनलिंग इत्यादि। परंपरागत (classical) दुनिया में ये प्रभाव इतने स्पष्ट नहीं दिखते।
नॉबेल पुरस्कार 2025 की खोज — क्या किया गया और क्यों महत्वपूर्ण:
इस वर्ष नोबेल पुरस्कार 2025 उन वैज्ञानिकों को दिया गया जिन्होंने सर्किट्स में quantum mechanical effects स्पष्ट रूप से दिखाए — उदाहरण स्वरूप, ऊर्जा क्वांटाइजेशन, टनलिंग, और अन्य क्वांटम व्यवहार।
ये प्रयोग उस दीवार को तोड़ने जैसा है जो “क्वांटम नियम केवल सूक्ष्म स्तर पर लागू होते हैं” यह हमारी परंपरागत धारणा कहती थी। अब यह दिखला दिया गया कि वे नियम कुछ मामलों में बड़े सिस्टम में भी काम कर सकते हैं — जिससे क्वांटम और क्लासिकल दुनिया के बीच की दूरी कम होती है।
इसका महत्व इसलिए है क्योंकि:
- यह दिखाता है कि क्वांटम व्यवहार केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं है
- यह नए प्रकार की क्वांटम-आधारित उपकरणों का मार्ग खोलता है
- यह हमारी सोच को बदलता है — कि क्वांटम प्रभाव सिर्फ सिद्धांत नहीं, बल्कि व्यवहारिक तकनीक बन सकते हैं
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Quantum Technology in India- भारत की स्थिति- आज कहाँ हैं हम?
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में क्वांटम तकनीक को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए हैं:
- National Quantum Mission (NQM) — भारत सरकार की पहल जो क्वांटम अनुप्रयोगों, अनुसंधान और इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना चाहती है
- प्रमुख संस्थान जैसे IISc, IITs, DRDO, CSIR आदि में क्वांटम अनुसंधान केंद्र
- कुछ स्टार्टअप्स और आरंभिक परियोजनाएँ, जैसे क्वांटमक्रिप्टोग्राफी, क्वांटम संचार (quantum communication)
लेकिन, अभी हम प्रारंभिक अवस्था में हैं — काफी काम होना बाकी है।
क्वांटम तकनीक क्या है इससे क्या-क्या नया हो सकता है?
मैक्रोस्कोपिक क्वांटम प्रभाव का मतलब है — जब ये क्वांटम गुण बड़े पैमाने (माकूल उपकरणों, सर्किट्स) में भी प्रकट हों। उदाहरण के लिए — एक बिजली का सर्किट जिसमें क्वांटम टनलिंग या ऊर्जा स्तरों का विभाजन देखा जा सके।
जब हम ये क्वांटम विशेषताएँ बड़े सिस्टम में उपयोग कर पाएँगे, तो:
- सुरक्षा और एन्क्रिप्शन (Quantum Cryptography / QKD)
क्लासिकल एन्क्रिप्शन तकनीक को तोड़ा जा सकता है — क्वांटम-कुंजी वितरण (Quantum Key Distribution, QKD) भविष्य का सुरक्षित डेटा ट्रांसफर माध्यम बन सकता है। - संवेदनशील उपकरण (Quantum Sensors)
छोटे परिवर्तन, दबाव, विद्युत क्षेत्र, चुंबकीय क्षेत्र आदि को अत्यंत सटीक तरीके से मापने वाले संवेदनशील उपकरण। - क्वांटम कंप्यूटिंग एवं नेटवर्किंग
यदि बड़े स्तर पर क्वांटम बिट्स (qubits) को स्थिर रखा जा सके, तो जटिल समस्या समाधान (cryptography, optimization, simulation) बड़े फायदे देगा। - वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुप्रयोग
मापदंड सुधार, नई प्रकार की सामग्री (quantum materials), दवाओं का मॉडलिंग आदि क्षेत्रों में योगदान
Quantum Technology in India- भारत को कई चुनौतियों का सामना करना होगा:

- पूंजी निवेश की कमी — क्वांटम उपकरण महंगे होते हैं
- मानव संसाधन — योग्य वैज्ञानिकों, अनुसंधानकों की संख्या कम
- इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रयोगशालाएँ — अत्याधुनिक प्रयोगशाला और उपकरण
- स्केलिंग समस्या — क्वांटम प्रणालियों को बड़े पैमाने पर कार्यशील बनाना कठिन
- स्थिरता और शोर (noise) — बाहरी हस्तक्षेप से क्वांटम प्रणाली बिगड़ सकती है
इन्हें पार करने के लिए नीति, सहयोगी पहल, अंतरराष्ट्रीय साझेदारी और दीर्घकालिक योजनाएँ होनी चाहिए।
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नोबेल पुरस्कार 2025: नोबेल पुरस्कार का इतिहास और स्थापना
- स्थापना: Alfred Nobel (1833–1896) की वसीयत से, 1895 में।
- पहली बार प्रदान: 1901 में।
- कुल क्षेत्र: भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, साहित्य, शांति, और अर्थशास्त्र (1968 में जोड़ा गया)।
- प्रक्रिया: नामांकन गुप्त रखे जाते हैं, और विजेताओं की सूची 50 वर्ष बाद सार्वजनिक होती है।
- चयन: Royal Swedish Academy of Sciences (भौतिकी व रसायन), Karolinska Institute (चिकित्सा), और अन्य निकायों द्वारा।
- पुरस्कार राशि (2025): 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर।
- उद्देश्य: “मानवता के लिए सर्वाधिक लाभदायक योगदान” को सम्मानित करना।
Nobel 2025 winners physics: यह नोबेल भारत को कहाँ ले जा सकता है
नॉबेल 2025 ने हमें यह संकेत दिया है कि क्वांटम तकनीक अब केवल प्रयोगशाला की पहेली नहीं है — वह हमारी रोज़मर्रा की दुनिया से जुड़ सकती है। भारत अगर इस अवसर को भुनाए, तो:
- तकनीकी स्वावलंबन बढ़ेगा
- सुरक्षा प्रणालियाँ अधिक मजबूत होंगी
- अनुसंधान एवं नवाचार की दिशा तेज होगी
इस नोबेल पुरस्कार से हमें प्रेरणा मिलती है — न कि सिर्फ गर्व, बल्कि यह देखना कि हम कैसे अगली पीढ़ी की तकनीक को भारत धरातल पर लाएँ।
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FAQ:
Qns- मैक्रोस्कोपिक क्वांटम इफेक्ट क्या होता है?
Ans- यह वह स्थिति है जब क्वांटम यांत्रिकी के गुण जैसे टनलिंग या क्वांटाइजेशन सूक्ष्म कणों से निकलकर बड़े उपकरणों या सर्किट्स में भी दिखाई देते हैं।
Qns- यह खोज क्वांटम कंप्यूटिंग और क्रिप्टोग्राफी में कैसे मदद करेगी?
Ans- इन प्रयोगों ने साबित किया कि क्वांटम गुणों को स्थिर और नियंत्रित किया जा सकता है। इससे क्वांटम कंप्यूटर अधिक विश्वसनीय बनेंगे और डेटा एन्क्रिप्शन (Quantum Key Distribution) और भी सुरक्षित होगा।
Qns- भारत का National Quantum Mission क्या है?
Ans- यह भारत सरकार की 2023–2031 के बीच की पहल है, जिसका उद्देश्य क्वांटम संचार, कंप्यूटिंग और मापन के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है ताकि भारत वैश्विक क्वांटम (Quantum Technology in India) रेस में अग्रणी बन सके।
Qns- नोबेल समारोह हमेशा 10 दिसंबर को ही क्यों होता है?
Ans-क्योंकि यही दिन नोबेल पुरस्कार के संस्थापक Alfred Nobel की पुण्यतिथि है, और उसी की याद में हर वर्ष यह समारोह स्टॉकहोम (स्वीडन) में आयोजित किया जाता है।

संदर्भ / Sources
ये जानकारी निम्न प्रमाणित अंतरराष्ट्रीय स्रोतों पर आधारित है: Nobel 2025 winners physics
- Nobel Prize Official Website (Physics 2025 – Press Release)
- Reuters Science News – Clarke, Devoret & Martinis win 2025 Nobel in Physics
- The Guardian – Nobel Prize in Physics 2025 announced