Social Media Impact on society: आज के डिजिटल युग में social media हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। यह न केवल लोगों को जोड़ने का माध्यम है, बल्कि जानकारी, विचार और रचनात्मकता को साझा करने का आसान प्लेटफॉर्म भी है। हालांकि इसके कई लाभ हैं, लेकिन Social Media Impact on Society को लेकर चिंता भी बढ़ रही है।
Disadvantages of social media जैसे – समय की बर्बादी, मानसिक तनाव, साइबर बुलिंग और फेक न्यूज – समाज और युवाओं पर गहरा असर डालते हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि Negative Effects of Social Media लोगों की सोच, व्यवहार और संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं। इस लेख में हम सोशल मीडिया के pros and cons of social media यानी फायदे और नुकसान पर सरल और स्पष्ट रूप से चर्चा करेंगे, ताकि इसका समझदारी से उपयोग किया जा सके।
हाल ही में कर्नाटक हाईकोर्ट में X (पहले ट्विटर) की याचिका पर सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण बिंदु उठाया कि आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स लगातार हमारी निगरानी कर रहे हैं, और इसलिए इंटरनेट को सुरक्षित,(Disadvantages of social media) जवाबदेह और विनियमित बनाना अत्यंत आवश्यक है । सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी बताया कि सोशल मीडिया का एल्गोरिदम यूजर की गतिविधियों को ट्रैक करता है — “प्रतिक्रियाओं को जानना चाहता है… ‘अधिक जुड़ाव का मतलब अधिक राजस्व’… हम उपयोगकर्ता नहीं, उत्पाद हैं।” ।

Social Media Impact on society: सोशल मीडिया पर न्याय और जवाबदेही लाना क्यों जरूरी है?
आइये जानते है सोशल मीडिया (pros and cons of social media) पर न्याय और जवाबदेही लाना क्यों आवश्यक है –
एल्गोरिदम के ज़रिए ट्रैकिंग
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स यूजर की गतिविधियों को स्कैन करते हैं—जैसे आपके पोस्ट, सर्च, लाइक और फॉलोइंग—और इसी के आधार पर प्रोफाइल बनाते हैं। यह प्रक्रिया आपके हर कदम पर नजर रखती है, और मोनेटाइज़ेशन के मकसद से एल्गोरिदम को डिज़ाइन किया जाता है ।साइबर अपराध और हानिकारक सामग्री
न केवल ट्रैकिंग, बल्कि फेक न्यूज़, घृणा फैलाने वाली पोस्ट्स और साइबर-क्राइम की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। इसकी वजह से सामाजिक सौहार्द और व्यक्ति की सुरक्षा खतरे में है ।हथियार बन सकते प्लेटफार्म
जब प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण नहीं होता, तो ये साम्प्रदायिक हिंसा, भ्रामक सूचना और मनमाने फैसलों का माध्यम बन सकते हैं। कर्नाटक में फेक न्यूज कंट्रोल और ‘सोशल मीडिया विनियामक विधेयक 2025’ जैसी पहलें इसी खतरे को मानती हैं ।
Social Media Impact on society: कर्नाटक की मौजूदा स्थिति और सरकार की पहल
सोशल मीडिया विनियामक प्राधिकरण विधेयक 2025
कर्नाटक सरकार ने ‘सोशल मीडिया विनियामक विधेयक 2025’ का मसौदा तैयार करने की योजना बनाई है, जिसके अंतर्गत फेक न्यूज़ पर सात वर्ष तक की जेल और 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है । सरकार का तर्क है कि भ्रामक सूचनाओं पर इसी तरह की कठोर कार्रवाई से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जिम्मेदारी आएगी।राज्य.fact-checking यूनिट
कर्नाटक सरकार केंद्र के फेक्ट-चेकिंग मॉडल की नकल में राज्य-स्तर पर भी एक fact‑checking इकाई बनाने पर विचार कर रही है। इसका उद्देश्य है कि झूठी या भ्रामक खबरों (Negative effects of social media) को समय रहते चिह्नित करके सोशल मीडिया से हटाया जा सके ।संप्रदायिक पोस्ट्स पर निगरानी
कर्नाटक मंत्री जी. परमेश्वर ने सोशल मीडिया कंपनियों से संवेदनशील या हिंसा-प्रवृत्त करने वाले पोस्ट्स पर चर्चा करने और उन्हें हटाने की व्यवस्था बनाने की बात कही थी ।साइबर सुरक्षा नीति
राज्य सरकार ने में ‘कर्नाटक साइबर सुरक्षा नीति’ अपनाई, जिसमें सरकारी ई-गवर्नेंस सिस्टम की सुरक्षा, सूचना गोपनीयता और सोशल मीडिया के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं ।

Social Media Impact on society: केंद्र सरकार का दृष्टिकोण और सूचना‑प्रौद्योगिकी नियम
आईटी नियम 2021
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को नियम-3(1)(d) के तहत अवैध, साम्प्रदायिक या अनैतिक सामग्री को हटाने या अनुपस्थिति में अनुपालन न करने पर बंदरगाह राहत समाप्त करने का अधिकार दिया है ।धारा 79 & 69
धारा 79 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सुरक्षित आश्रय देती है, लेकिन नियम-3(1)(d) इसका अपवाद (social media impact) है। यदि सरकार या अदालत किसी पोस्ट को अवैध बताए, तो उसे तुरंत हटाना होगा ।राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (NCCC)
भारत सरकार ने NCCC बनाया है, जो सभी इंटरनेट ट्रैफिक पर चौबीसों घंटे नजर रखेंगा और साइबर हमलों को ट्रैक और रोकेगा ।इनकम टैक्स का नया अधिकार
1 अप्रैल 2026 से इनकम टैक्स विभाग किसी व्यक्ति के सोशल मीडिया अकाउंट्स, ईमेल और बैंक खातों तक बिना नोटिस पहुंच सकेगा। जिससे डिजिटल ट्रैकिंग का दायरा और बढ़ा है।
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Social Media Impact on society: चुनौतियाँ और संतुलन की ज़रूरत
अभिव्यक्ति vs नियंत्रण
सोशल मीडिया पर नियंत्रण से समीक्षा बनी रह सकती है—but इस पर अभिव्यक्ति की आज़ादी का सवाल भी उठता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागरिकों को जानने का अधिकार है, और केवल गैरकानूनी सामग्री ही प्रतिबंधित हो सकती है।गोपनीयता अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत निजता भी एक मौलिक अधिकार है। लेकिन इंटरनेट पर ट्रैकिंग, एल्गोरिदम और डेटा संग्रह इन अधिकारों को झटका दे रहे हैं। यूरोप और भारत में सुप्रीम कोर्ट के प्राइवेसी राइट के मामले सामने आ चुके हैं ।गठित नीति की आवश्यकता
डिजिटल सुरक्षा, अभियोजन और प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही के लिए सरकार, तकनीकी कंपनियां, प्लेटफॉर्म्स और प्रयोगकर्ताओं को मिलकर सामंजस्यपूर्ण नीतियां बनानी होंगी ।जागरूकता और साक्षरता
युवा वर्ग, खासकर छात्र, साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार बन रहे हैं। कर्नाटक की एक अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि कॉलेज छात्रों में साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ।
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Social Media Impact on society: जिम्मेदार, सुरक्षित और जवाबदेह इंटरनेट कैसे बने?
विनियमन और जवाबदेही: फैक्ट-चेकिंग, साइबर नीति, अभियोजन—सभी का एक संयोजन जरूरी है जिससे गैरकानूनी या हानिकारक सामग्री खत्म हो।
गोपनीयता की रक्षा: अभिव्यक्ति और निजता के अधिकार सीमित नहीं होने चाहिए।
शिक्षा और साक्षरता: हर नागरिक, खासकर युवा, को डिजिटल नैतिकता और साइबर सुरक्षा की जानकारी दी जानी चाहिए।
तकनीकी पारदर्शिता: प्लेटफॉर्म्स को एल्गोरिदम, डेटा संग्रह, और मॉडरेशन पॉलिसी सार्वजनिक करनी चाहिए।
प्रभुता और कानून का संतुलन: सरकार का नियंत्रण राष्ट्रहित में हो, व्यक्तिगत स्वतंत्रता को क्षति न पहुंचाए।

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अगर कर्नाटक और केंद्र सरकार इन पहलों को संतुलन के साथ लागू करें—तो केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं सुरक्षित होंगे, बल्कि समाज भी बेहतर तरीके से संरक्षित और जिम्मेदार हो पाएगा। इंटरनेट को सुरक्षित, खुला और जवाबदेह बनाए रखना अब प्रत्येक नागरिक, सरकार और प्लेटफॉर्म की साझा जिम्मेदारी है।