भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित सम्मान Mohanlal Dadasaheb Phalke Award 2025 इस बार दक्षिण भारतीय फिल्मों के महान अभिनेता मोहन्लाल को प्रदान किया गया है। यह (दादा साहब फाल्के अवार्ड) पुरस्कार हर साल ऐसे कलाकार को दिया जाता है जिसने भारतीय फिल्म उद्योग में जीवनभर अद्वितीय योगदान दिया हो। मोहनलाल का नाम जब इस सम्मान के लिए घोषित हुआ तो न केवल केरल और मलयालम सिनेमा में बल्कि पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई। यह सम्मान भारतीय सिनेमा की विविधता और शक्ति को दर्शाता है और साथ ही यह भी साबित करता है कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री केवल बॉलीवुड तक सीमित नहीं है।
दादा साहब फाल्के अवार्ड क्या है?
दादा साहब फाल्के अवार्ड की स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी और इसे भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। इस पुरस्कार का नाम भारतीय सिनेमा के जनक कहे जाने वाले धुंडीराज गोविंद फाल्के (दादा साहब फाल्के) के नाम पर रखा गया। उन्होंने 1913 में भारत की पहली फुल-लेंथ फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाई थी।
दादा साहब फाल्के अवार्ड, भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान दिया जाता है। इसमें विजेता को एक स्वर्ण कमल (Golden Lotus) की प्रतिमा, एक शॉल और 10 लाख रुपये नकद राशि प्रदान की जाती है। यह राशि शुरुआत में काफी कम थी लेकिन समय के साथ इसे बढ़ाया गया। राष्ट्रपति स्वयं इस पुरस्कार को विजेता को प्रदान करते हैं, जिससे इसकी गरिमा और भी बढ़ जाती है।
अब तक यह सम्मान देश की कई महान हस्तियों को मिल चुका है – 1969 में अभिनेत्री देविका रानी को पहला दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिला था। इसके बाद दिलीप कुमार, लता मंगेशकर, आशा भोसले, अमिताभ बच्चन, रजनीकांत जैसे सितारों ने यह पुरस्कार अपने नाम किया। यह सम्मान केवल अभिनय तक सीमित नहीं है बल्कि निर्देशन, निर्माण, पटकथा लेखन और संगीत जैसे हर क्षेत्र में दिए गए जीवनपर्यंत योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।
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मोहनलाल का सफर: मलयालम से मोहन्लाल दादा साहब फाल्के पुरस्कार तक

मोहन्लाल विश्वनाथन नायर, जिन्हें हम मोहन्लाल के नाम से जानते हैं, का जन्म 21 मई 1960 को केरल के पथानामथिट्टा ज़िले में हुआ। उनका बचपन त्रिवेंद्रम में बीता और उन्होंने महाराजा कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के दिनों से ही वे कला और नाट्य गतिविधियों में सक्रिय रहे।
उन्होंने 1978 में फिल्म Thiranottam से अभिनय करियर की शुरुआत की। हालांकि यह फिल्म तुरंत रिलीज़ नहीं हो सकी, लेकिन उनके अभिनय सफर का दरवाज़ा खुल गया। शुरुआती वर्षों में उन्होंने खलनायक की भूमिकाएँ कीं, लेकिन उनकी प्रतिभा ने जल्द ही उन्हें नायक की भूमिका में स्थापित कर दिया।
1980 और 1990 का दशक मलयालम सिनेमा में उनका स्वर्णिम काल माना जाता है। इस दौरान उन्होंने Kireedam, Bharatham, Chithram, Spadikam जैसी फिल्में कीं जो क्लासिक मानी जाती हैं। 2000 के दशक में भी उन्होंने लगातार हिट फिल्में दीं और 2016 में उनकी फिल्म Pulimurugan पहली मलयालम फिल्म बनी जिसने 100 करोड़ से अधिक का बिज़नेस किया।
आज वे केवल मलयालम ही नहीं, बल्कि तमिल, तेलुगु और हिंदी फिल्मों में भी अपनी छाप छोड़ चुके हैं। अभिनय की गहराई और सहजता के कारण उन्हें “Complete Actor” की उपाधि मिली।
मोहनलाल की उपलब्धियाँ और पुरस्कार:
मोहन्लाल अब तक 340 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। वे दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का सम्मान प्राप्त कर चुके हैं और उन्हें चार बार केरल राज्य फिल्म पुरस्कार भी मिला है। भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म श्री और 2019 में पद्म भूषण से नवाज़ा।
उनकी लोकप्रियता केवल फिल्मों तक सीमित नहीं है। वे थिएटर, टेलीविज़न और स्टेज शो में भी सक्रिय रहे हैं। उनकी फिल्मों ने केवल मनोरंजन ही नहीं किया बल्कि समाज के मुद्दों को भी उजागर किया।
उनकी कुछ मशहूर फिल्में हैं:
- Drishyam (2013) – इतनी लोकप्रिय हुई कि हिंदी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषाओं में रीमेक बनी।
- Vanaprastham (1999) – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गई।
- Iruvar (1997) – मणिरत्नम की फिल्म, जिसमें उनके अभिनय की खूब तारीफ हुई।
- Pulimurugan (2016) – मलयालम की पहली 100 करोड़ क्लब फिल्म।
- Lucifer (2019) – बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता।
“Drishyam” और “Pulimurugan” ने उन्हें केवल मलयालम ही नहीं बल्कि पूरे भारत में सुपरस्टार बना दिया।
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व्यक्तित्व और समाजसेवा:

मोहन्लाल केवल अभिनेता नहीं हैं। वे एक सफल निर्माता, थिएटर आर्टिस्ट और प्रशिक्षित कलारीपयट्टु (केरल की पारंपरिक मार्शल आर्ट) कलाकार भी हैं। उन्होंने कई बार मंच पर लाइव प्रदर्शन दिए और अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाई।
वे समाजसेवा में भी सक्रिय रहे हैं। 2018 में केरल में आई बाढ़ के समय उन्होंने राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके अलावा उनकी संस्था विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों में सहयोग देती है।
समकालीन प्रतिक्रियाएँ:
Mohanlal Dadasaheb Phalke Award 2025 की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर प्रशंसकों ने उन्हें बधाइयों से भर दिया। मलयालम सिनेमा के निर्देशक, निर्माता और साथी कलाकारों ने भी इसे ऐतिहासिक क्षण बताया। केरल के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा – “यह न केवल मोहनलाल का सम्मान है बल्कि पूरे केरल का गौरव है।”
Mohanlal Dadasaheb Phalke Award 2025 क्यों खास है?
मोहन्लाल ने चार दशक से अधिक लंबे अपने करियर में हर तरह की भूमिकाएँ निभाई हैं – एक्शन हीरो, रोमांटिक लवर, कॉमिक कैरेक्टर से लेकर गहरे भावनात्मक किरदार तक। उनकी यही बहुमुखी प्रतिभा उन्हें इस पुरस्कार के योग्य बनाती है।
Mohanlal Dadasaheb Phalke Award 2025 इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सिनेमा की आत्मा केवल बॉलीवुड तक सीमित नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय सिनेमा – खासकर मलयालम फिल्मों – ने भी समान रूप से योगदान दिया है। दक्षिण भारत ने भारतीय सिनेमा को हमेशा से असाधारण प्रतिभाएँ दी हैं। Mohanlal Dadasaheb Phalke Award 2025 उसी परंपरा का विस्तार है।
दक्षिण भारतीय कलाकार और दादा साहब फाल्के पुरस्कार:

अब तक दक्षिण भारत से कई दिग्गज कलाकारों को दादा साहब फाल्के अवार्ड मिल चुका है। यह परंपरा बताती है कि भारतीय सिनेमा का इतिहास केवल हिंदी फिल्मों तक सीमित नहीं है। Mohanlal Dadasaheb Phalke Award 2025 इस परंपरा को और मजबूत करता है और यह दर्शाता है कि South Indian Cinema ने भारतीय फिल्म जगत में कितना बड़ा योगदान दिया है।
Mohanlal Dadasaheb Phalke Award 2025 न न केवल उनके अभिनय कौशल की मान्यता है बल्कि यह मलयालम सिनेमा और पूरे दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग के लिए गर्व का क्षण है। यह सम्मान उनकी चार दशक लंबी कला-यात्रा और समाज में उनके योगदान को अमर बना देता है।
इससे आने वाली पीढ़ियाँ प्रेरित होंगी और यह संदेश जाएगा कि भाषा की परवाह किए बिना कला और प्रतिभा को मान्यता मिलती है और उन्हें भारतीय सिनेमा के महानतम अभिनेताओं में गिनेंगी।
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कुछ प्रमुख दक्षिण भारतीय हस्तियाँ जिन्हें यह पुरस्कार मिला:
- अक्किनेनी नागेश्वर राव (1990) – तेलुगु सिनेमा के दिग्गज।
- एस. शिवाजी गणेशन (1996) – तमिल सिनेमा के “Nadigar Thilagam”।
- के. बालाचंदर (2010) – तमिल फिल्मों के महान निर्देशक।
- रजनीकांत (2021) – तमिल सुपरस्टार।
- अब Mohanlal (2025) – मलयालम फिल्मों से इस सम्मान को पाने वाले सबसे प्रमुख चेहरे।
यह सूची यह दिखाती है कि भारतीय सिनेमा की विविधता और क्षेत्रीय फिल्मों का योगदान कितना महत्वपूर्ण है।
मोहन्लाल का यह सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है बल्कि मलयालम और दक्षिण भारतीय सिनेमा की जीत भी है। यह पुरस्कार दिखाता है कि सच्ची कला भाषा और क्षेत्रीय सीमाओं से परे होती है। इस पुरस्कार के साथ उनकी कला यात्रा और भी चमकदार हो गई है और आने वाले वर्षों में उनकी फिल्मों और किरदारों से नई पीढ़ी प्रेरणा लेगी।
मोहनलाल ने अपने अभिनय, मेहनत और योगदान से भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी है। यह सम्मान उनकी कला यात्रा को अमर बना देता है और आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें भारतीय सिनेमा के महानतम अभिनेताओं में गिनेंगी। साथ ही, यह मलयालम और दक्षिण भारतीय सिनेमा की वैश्विक पहचान को और भी मजबूत करेगा।