Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi : क्या आपने कभी गौर किया है कि छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य दोनों की पूजा क्यों होती है?
यही तो इस पर्व की सबसे सुंदर बात है — जहाँ अस्त होते सूर्य को विदा करते हुए कृतज्ञता जताई जाती है और उगते सूर्य का स्वागत नई उम्मीदों के साथ किया जाता है।
छठ पूजा भारत के पूर्वी भागों — बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाने वाला महापर्व है। यह केवल एक व्रत नहीं, बल्कि सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के माध्यम से जीवन में प्रकाश और संतुलन लाने की साधना है।
इस पर्व से जुड़ी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें परिवार की आरोग्यता, संपन्नता और समृद्धि के साथ-साथ प्रकृति के प्रति सम्मान भी समाहित है। हर साल की तरह जब आप घाट पर दीपक जलाएँगे और “कांची-कांची बजनिया” की मधुर ध्वनि हवा में गूँजेगी, तो वह भक्ति-सुगंध आपको भीतर तक छू जाएगी।
Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi इस बार और भी खास है, क्योंकि यह चार दिवसीय क्रम — नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य — पूरे अनुशासन, श्रद्धा और भावनात्मक जुड़ाव के साथ मनाया जाएगा।
इस लेख में हम आपको “Chhath Puja 2025 rituals and significance” के हर पहलू से परिचित कराएँगे — कब, कैसे और क्यों मनाया जाता है यह पर्व; साथ ही “Nahay Khay to Usha Arghya full details” भी आपको यहाँ एक ही स्थान पर मिलेंगी। तो आइए, शुरुआत करते हैं इस पावन यात्रा की — श्रद्धा, संयम और सूर्य-ऊर्जा के इस अद्भुत संगम को समझने की।
इसे भी पढ़ें– Astrological Remedies Diwali 2025: दिवाली पर धन आकर्षित करने और लक्ष्मी कृपा पाने के 5 ज्योतिषीय उपाय
छठ पूजा 2025 की तिथि एवं समय- नहाय खाय से उषा अर्घ्य तक की जानकारी:
यह चार-दिवसीय पर्व सूर्य-उपासना की श्रृंखला है, जहाँ हर दिन एक विशेष आध्यात्मिक अर्थ रखता है।

- दिन 1 – नहाय-खाय: शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 को इस व्रत की शुरुआत होगी।
- दिन 2 – खरना: रविवार, 26 अक्टूबर 2025 को व्रत का दूसरा चरण मनाया जाएगा।
- दिन 3 – संध्या अर्घ्य: सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 की संध्या को अस्ताचलग्राही सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा।
- दिन 4 – उषा अर्घ्य (पारण): मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा।
Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi – प्रमुख शहरों के अनुसार (अपेक्षित समय):

समय (Time) के अनुसार स्थानीय मुहूर्तों का ध्यान रखना आवश्यक है। जिसे श्रद्धालु आत्मा और समर्पण के साथ निभाते हैं।

नोट:
- ऊपर दिए गए समय खगोलिक औसत (approximate local solar times) पर आधारित हैं।
- वास्तविक अर्घ्य का मुहूर्त स्थानीय पंचांग, सूर्यास्त-सूर्योदय की स्थिति और क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है।
- पाठक अपने स्थानीय मंदिर या घाट-समिति द्वारा घोषित समय को प्राथमिकता दें।
इसे भी पढ़ें- Diwali 2025 date and Puja Muhurat कब है? तिथि, पूजा मुहूर्त, विधि और पौराणिक कथाएँ।
Nahay Khay to Usha Arghya full details- चार दिवसों की विधि और आध्यात्मिक महत्व:
चार दिन तक चलने वाला यह पर्व केवल व्रत नहीं, बल्कि शरीर-मन-आत्मा के शुद्धिकरण की एक आध्यात्मिक साधना है।
दिन 1 – नहाय-खाय (25 अक्टूबर 2025) शरीर और आत्मा की शुद्धि का दिन:
क्या आपने कभी गौर किया है कि छठ पूजा की शुरुआत शुद्धि से क्यों होती है?
क्योंकि माना जाता है कि जब शरीर और मन दोनों निर्मल हों, तभी सूर्य देव की उपासना का फल पूर्ण रूप से मिलता है।
इस दिन व्रती, विशेष रूप से महिलाएँ, गंगा नदी, तालाब या किसी पवित्र जल स्रोत से स्नान कर शरीर और मन को शुद्ध करती हैं। यह केवल एक स्नान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक आरंभ होता है — जहाँ हर जलकण भक्ति का प्रतीक बन जाता है।
इसके बाद परवैतिन (व्रत करने वाली महिलाएँ) सात्विक भोजन तैयार करती हैं, जिसमें प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं होता। यह भोजन पूर्ण शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है — शुद्ध घी, सेंधा नमक और गंगाजल से। सबसे रोचक बात यह है कि परंपरा के अनुसार यह भोजन गंगा जल में ही पकाया जाता है, ताकि उसमें भक्ति और पवित्रता दोनों का समावेश हो।
भोजन में मुख्य रूप से चावल, कद्दू की सब्जी और चने की दाल होती है, जिसे घर के सभी सदस्य प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं। इसी भोजन को ग्रहण करके परवैतिन दिनभर के उपवास का समापन करती हैं — इसे ही “नहाय-खाय” कहा जाता है।
यह पहला दिन “Chhath Puja 2025 rituals and significance” की शुरुआत का प्रतीक है — जहाँ शुद्ध शरीर, निर्मल मन और अटूट श्रद्धा के साथ व्रत की नींव रखी जाती है। यही वह क्षण है जब भक्त अपने भीतर और बाहर दोनों को तैयार करते हैं, ताकि अगले चार दिनों की यह आध्यात्मिक यात्रा पूरी एकाग्रता और पवित्रता के साथ निभाई जा सके।

दिन 2 – खरना/लोहंडा (26 अक्टूबर 2025), संयम और साधना का दिन:
क्या आपने कभी सोचा है कि छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना क्यों कहा जाता है? क्योंकि यह दिन व्रती के आत्म-संयम और साधना की पराकाष्ठा का प्रतीक है — जब वह पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करती और सूर्यास्त के बाद ही प्रसाद ग्रहण करती हैं।
इस दिन परवैतिन (व्रती महिला) निर्जला उपवास रखती हैं। दिन भर न तो भोजन करती हैं, न पानी पीती हैं। सूर्यास्त के बाद जब सूर्य देव अस्त होते हैं, तब परवैतिन पूरे विधि-विधान से सूर्य-पूजन और छठ मैया की आराधना करती हैं। इसके बाद वे अपने हाथों से तैयार किया गया प्रसाद छठ मैया को अर्पित करती हैं।
अब आप सोच रहे होंगे — इस प्रसाद की इतनी पवित्रता क्यों? क्योंकि इसे केवल जैविक और सात्विक सामग्रियों से बनाया जाता है। सारी सामग्री —को धोकर धूप में सुखाया जाता है। परवैतिन स्वयं प्रसाद बनाती हैं, और जो लोग उनकी सहायता करते हैं उन्हें भी पूर्ण स्वच्छता और पवित्रता का पालन करना होता है। इस पूरे समय वातावरण में मंत्रोच्चारण, दीपों की रोशनी और श्रद्धा का अद्भुत संगम होता है।
मुख्य प्रसाद में दो प्रकार की खीर बनाई जाती है —
एक शुद्ध दूध और घी से बनी साधारण खीर, और दूसरी गुड़ वाली खीर, जिसे ‘रसीली खीर’ कहा जाता है। इसके साथ लड्डू (या पिठ्ठा) चावल से बनाया जाता है, और रोटी शुद्ध गेहूं के आटे और गाय के घी से तैयार की जाती है। यह सब प्रसाद सबसे पहले छठ मैया को अर्पित किया जाता है और फिर परिवार तथा आमंत्रित अतिथियों के बीच बाँटा जाता है।
यही वह क्षण है जब “Chhath Puja 2025 rituals and significance” का दूसरा चरण चरम पर होता है — भक्ति और संयम का ऐसा मेल जो शायद किसी अन्य व्रत में नहीं मिलता। पूरे दिन व्रत रखने के बाद जब व्रती प्रसाद ग्रहण करती हैं, तो वह सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और मानसिक शुद्धि का अनुभव होता है।
रात्रि में व्रती फर्श पर ही विश्राम करती हैं — घर से अलग, पूजा स्थल के पास, ताकि संकल्प में कोई विचलन न आए। यही अनुशासन और तप छठ पूजा की आत्मा है — जो “Nahay Khay to Usha Arghya full details” की गहराई को परिभाषित करता है।
इसे भी पढ़ें- Meaning of 5 Days of Diwali: क्या आप जानते हैं दिवाली के पाँच दिनों का असली अर्थ? धनतेरस से भाई दूज तक हर दिन की कहानी।
दिन 3 – संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर 2025): अस्त होते सूर्य को नमन:

क्या आपने कभी वह क्षण महसूस किया है जब सैकड़ों दीपों की लौ एक साथ जलती है, सामने नदी की लहरें झिलमिलाती हैं और आकाश में अस्त होता सूर्य धीरे-धीरे ढल रहा होता है? यही क्षण है — छठ पूजा का सबसे भावनात्मक और पवित्र पल — “संध्या अर्घ्य”।
इस दिन की सुबह से ही परवैतिन और उनके परिवार के सदस्य भक्ति में लीन रहते हैं। वे पूरे दिन तैयारी में जुटे रहते हैं — गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बनी विशेष मिठाई ठेकुआ बनाई जाती है, जो इस पर्व का सबसे प्रसिद्ध प्रसाद है। इसके अलावा कसार (चावल के आटे, गुड़ और घी से बने लड्डू) भी तैयार किए जाते हैं।
दोपहर के समय आरती और अर्घ्य के लिए सामग्रियाँ सजाई जाती हैं — बाँस की टोकरियों (सूप और दउरा) में पाँच तरह के फल, सुपारी, लौंग, इलायची, हल्दी, अदरक, मूली और कपास रखे जाते हैं। इन सूपों को बहुत सावधानी से सजाया जाता है, क्योंकि यही सूप अर्घ्य के समय सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि यह सूप (डालिया) प्रायः दलित समुदाय के कारीगरों द्वारा बनाया जाता है — जो इस पर्व की सामाजिक एकता और समरसता का प्रतीक है।
जैसे ही शाम ढलने लगती है, घाटों का दृश्य अद्भुत बन जाता है। परवैतिन अपने परिवार और समाज के लोगों के साथ घाट की ओर निकलती हैं। घाटों पर उस समय का दृश्य सचमुच अद्भुत होता है — चारों ओर लोकगीतों की गूँज, ढोल-नगाड़ों की ताल, और वातावरण में भक्ति और उल्लास का संगम।
व्रती कमर-गहराई तक जल में खड़ी होकर अस्ताचलग्राही सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं। इस दौरान लोकगीत गाए जाते हैं, छठ व्रत कथा पढ़ी जाती है और घाट का वातावरण पूरी तरह भक्ति और प्रकाश से भर जाता है। यह दृश्य न केवल आँखों को, बल्कि आत्मा को भी छू जाता है।
अब आप सोच रहे होंगे — आखिर अर्घ्य का महत्व क्या है? दरअसल, अर्घ्य सूर्य देव को धन्यवाद देने की प्रक्रिया है —
कि उन्होंने वर्षभर पृथ्वी को प्रकाश, ऊर्जा और समृद्धि दी। व्रती इस समय अपने हाथों में सूप (दउरा) लिए रहती हैं, जिसमें सभी पूजा सामग्रियाँ व्यवस्थित रूप से सजी होती हैं।
वे सूर्य की दिशा में मुख करके दूध और गंगाजल अर्पित करती हैं और परवैतिन जल में परिक्रमा (प्रदक्षिणा) भी करती हैं,
जो जीवन-चक्र और सृष्टि की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है।
“Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi” का यह तीसरा दिन इस पर्व की आत्मा है — जहाँ प्रकृति और मनुष्य के बीच एक आध्यात्मिक संवाद स्थापित होता है। यह दिन केवल अर्घ्य का नहीं, बल्कि कृतज्ञता, एकता और पर्यावरण-संवेदना का उत्सव है। जब अस्त होता सूर्य अपनी अंतिम किरणें धरती पर बिखेरता है, तो मानो छठी मैया हर भक्त के जीवन में आशा, प्रकाश और आशीर्वाद की नई लहर भर देती हैं। तब हर भक्त के मन में बस एक ही कामना रहती है — कि अगली सुबह उगता सूर्य नई आशा लेकर आए।
दिन 4 – उषा अर्घ्य एवं पारण (28 अक्टूबर 2025): नवप्रभात और नवआशा का प्रतीक:

क्या आपने कभी देखा है जब उगते सूर्य की पहली किरण गंगा या तालाब के जल पर पड़ती है और पूरा आकाश सुनहरा हो जाता है? ठीक उसी पल — जब धरती और आकाश के बीच भक्ति की तरंगें गूंजती हैं — व्रती अपने चार दिन के तप का समापन करती हैं। यही क्षण है “उषा अर्घ्य” का — छठ पूजा (Chaath Puja) का चौथा और अंतिम दिन।
इस दिन प्रातःकाल सभी श्रद्धालु और परवैतिन घाटों पर पहुँचते हैं। वे कमर-गहराई तक पवित्र जल में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह अर्घ्य केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन की हर कठिनाई को पीछे छोड़कर नई शुरुआत का वचन होता है। परवैतिन इस समय सूर्य देव और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं कि परिवार में संपन्नता, दीर्घायु और सुख-शांति बनी रहे।
जैसे ही सूर्य की पहली किरण भक्तों के चेहरे को स्पर्श करती है, सभी के चेहरे पर एक अद्भुत संतोष और ऊर्जा झलकती है। इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है — यानी उपवास तोड़ा जाता है। व्रती सबसे पहले छठ मैया को धन्यवाद देती हैं और फिर अपने हाथों से प्रसाद का वितरण करती हैं।
क्या आप जानते हैं इस क्षण को इतना पवित्र क्यों माना जाता है? क्योंकि इस समय व्रती केवल अपने परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के कल्याण की कामना करती हैं। वे प्रसाद — जिसमें ठेकुआ, गुड़-खीर, और मौसमी फल होते हैं — गरीबों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों में बाँटती हैं। हर कोई श्रद्धा से इस प्रसाद को ग्रहण करता है, क्योंकि यह सिर्फ भोजन नहीं बल्कि भक्ति और आशीर्वाद का प्रसाद होता है।
कुछ परिवार नदी तट पर ही सबको अपने हाथों से प्रसाद वितरित करते हैं, तो कुछ घर पहुँचकर अपने मोहल्ले, रिश्तेदारों और पड़ोसियों को प्रसाद ग्रहण करने के लिए आमंत्रित करते हैं। इन पलों में सामाजिक प्रेम, आस्था और मानवीय जुड़ाव का जो वातावरण बनता है — वह इस पर्व को सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि मानवीय एकता का उत्सव बना देता है।
इस प्रकार “Chhath Puja 2025 rituals and significance” का समापन होता है — चार दिन की साधना, संयम और श्रद्धा का यह क्रम प्रभात की नई आशा, नवप्रभात ऊर्जा और समृद्धि की कामना के साथ पूर्ण होता है। सूर्य देव की रोशनी जब अंतिम बार घाट के जल पर प्रतिबिंबित होती है, तो ऐसा लगता है जैसे स्वयं छठी मैया कह रही हों — “अब तुम्हारा तप सफल हुआ, तुम्हारा घर-आँगन सदा उज्ज्वल रहे।”
Chhath Puja 2025 rituals and significance-विधि के मुख्य बिंदु:

- भोजन की शुद्धता: प्रत्येक दिन व्रती सात्विक आहार ग्रहण करते हैं, जिसे पूर्ण पवित्रता और श्रद्धा से तैयार किया जाता है।
- सफाई और सजावट: घर, आँगन और पूजा-स्थल को स्वच्छ कर सजाया जाता है। दीप प्रज्वलित कर वातावरण को शुद्ध और शांत बनाया जाता है।
- संकल्प और नियम: छठ व्रती पूरे चार दिनों तक संयम, मौन और अनुशासन का पालन करते हैं। हर क्रिया श्रद्धा और भक्ति से की जाती है।
- सूर्य-अर्घ्य की तैयारी: अर्घ्य के लिए बाँस की डलिया, नारियल, केला, गन्ना और दीपक आदि को शुद्ध जल से धोकर रखा जाता है।
- प्रसाद की व्यवस्था: ठेकुआ, गुड़-चावल की खीर और मौसमी फल व्रत का अभिन्न भाग हैं, जिन्हें सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।
Chhath Puja 2025 rituals and significance-आध्यात्मिक महत्व और सामाजिक संदेश:
- सूर्य-उपासना — छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित है, जो जीवन-शक्ति का स्रोत हैं। यह उत्सव “Chhath Puja 2025 rituals and significance” का मुख्य आधार है।
- पवित्रता एवं संयम — उपवास, स्नान और शुद्ध भोजन द्वारा शरीर-मन शुद्ध होता है और आत्म-अनुशासन सिखाता है।
- प्रकृति-प्रेम: सूर्य, जल और मिट्टी के प्रति श्रद्धा, मनुष्य और पर्यावरण के संबंध को मजबूत बनाती है।
- सामुदायिक समर्पण और सामाजिक समरसता — पर्व में गाँव-शहर, बिहार-झारखंड-एनसीआर के लोग मिलकर पर्व मनाते हैं; “नहाय-खाय से उषा अर्घ्य तक” का क्रम सभी को एक सूत्र में बाँधता है।
- परिवार-कल्याण एवं समृद्धि — व्रतधारी अपनी मनोकामनाएँ, परिवार-स्वास्थ्य, आरोग्यता और सुख-समृद्धि हेतु छठी मैया का आशीर्वाद माँगते हैं।
Nahay Khay to Usha Arghya full details- टिप्स & सावधानियाँ:
- उपवास और व्रत रखने से पूर्व स्वास्थ्य-स्थिति को ध्यान में रखें— विशेष रूप से माताओं, वृद्धों व बच्चों के लिए सावधानी आवश्यक है।
- घाट-संकुल, नदी-तट पर सुरक्षा-प्रबंधों का पालन करें, बच्चों और बूढ़ों की विशेष देखभाल करें।
- यात्रा-श्रेणियों में विशेष ट्रेनें व सुविधा बढ़ाई गई हैं, समय पूर्व आरक्षण करना बेहतर रहेगा।
- पर्यावरण-सचेत दृष्टिकोण अपनाएँ — घाटों पर सफाई रखें, दीप जलाने में पारदर्शी सामग्री का उपयोग करें।
- पर्व के दौरान सोशल मीडिया या पारिवारिक कार्यक्रमों में “Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi” की जानकारी साझा करें, ताकि अधिक से अधिक लोग सही समय और विधि जान सकें।
- भीड़भाड़ वाले घाटों में सेल्फी या मोबाइल फोटोग्राफी से बचें — यह अनुशासन और श्रद्धा का पर्व है।
अतिरिक्त जानकारी: प्रसिद्ध प्रसाद, प्रमुख घाट और विशेष सुझाव:
यह अतिरिक्त जानकारी आपको “Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi” की पूरी तैयारी में सहायता करेगी।
नहाय खाय से उषा अर्घ्य तक की जानकारी-प्रसिद्ध प्रसाद का महत्व:
Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi के इस चार-दिवसीय पर्व में प्रसाद का विशेष स्थान है। हर दिन व्रत का सार न केवल पूजा-विधि में, बल्कि पवित्र अन्न-प्रसाद में भी झलकता है।
मुख्य प्रसाद में शामिल हैं —
- थेकुआ (Thekua): गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बना यह पारंपरिक व्यंजन “छठ प्रसाद” का प्रतीक है। इसे शुद्धता और त्याग का प्रतीक माना जाता है।
- गुड़-चावल की खीर: Kharna के दिन यह खीर सूर्य देव को अर्पित की जाती है, जो मिठास और आत्म-संयम का प्रतीक है।
- फल और मिष्ठान: केला, नारियल, मौसमी फल और ठेकुआ के साथ अर्पण किए जाते हैं, जिन्हें “Prasad of Chhath Puja 2025 rituals and significance” का अहम हिस्सा माना जाता है।
इन प्रसादों की सुगंध और शुद्धता ही इस व्रत की आत्मा है। “नहाय-खाय से उषा अर्घ्य तक की जानकारी” में यह प्रसाद हर चरण में भक्त और भगवान के बीच आत्मीय संबंध को दर्शाता है।
प्रमुख घाटों की सूची (Delhi-NCR एवं अन्य शहरों में):
क्या आपने कभी सोचा है कि छठ पूजा, जो कभी सिर्फ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित थी, आज पूरे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उतनी ही श्रद्धा और भव्यता से क्यों मनाई जाती है? क्योंकि जहाँ-जहाँ बिहार और यूपी के लोग बसे — वहाँ-वहाँ उन्होंने अपनी परंपरा, अपनी आस्था और अपनी संस्कृति को भी साथ लेकर गए।
आज उसी का परिणाम है कि छठ पूजा (Chaath Puja) न केवल भारत में, बल्कि दुबई, लंदन, मॉरीशस, सिंगापुर और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में भी पूरे धूम-धाम से उसी पारंपरिक विधि के अनुसार मनाई जाती है। यह उत्सव लोगों को न केवल जोड़ता है, बल्कि उन्हें अपनी जड़ों से भी पुनः जोड़ देता है। श्रद्धा और भक्ति का यह ऐसा पर्व है जिसके आगे हर कोई नतमस्तक हो जाता है।
अब बात करें भारत के प्रमुख घाटों की —
Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi के पालन के लिए दिल्ली सरकार ने इस वर्ष 200 से अधिक स्थलों पर विशेष तैयारियाँ की हैं। इन्हीं की तरह बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारें भी बड़े स्तर पर आयोजन कर रही हैं।
कुछ प्रमुख घाट जहाँ “Nahay Khay to Usha Arghya full details” के अनुरूप विशेष पूजा-अर्चना और कार्यक्रम होंगे —
- 🪔 यमुना घाट – कालिंदी कुंज (Delhi)
- 🪔 मयूर विहार चरण-III घाट (East Delhi)
- 🪔 वज़ीराबाद घाट (North Delhi)
- 🪔 इंद्रलोक और द्वारका सेक्टर-11 घाट (West Delhi)
- 🪔 गाज़ियाबाद – हिंडन नदी घाट
- 🪔 नोएडा – सेक्टर 125 और 94 के छठ घाट
- 🪔 पटना – गंगाघाट, कंगन घाट, दीघा और कुर्ती घाट
- 🪔 मुज़फ्फरपुर – लंगट सिंह कॉलेज घाट
- 🪔 वाराणसी – दशाश्वमेध घाट और राजघाट
इन सभी स्थानों पर सुरक्षा-व्यवस्था, प्रकाश-प्रबंध और सफाई कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। दिल्ली-NCR प्रशासन, बिहार सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार के साथ-साथ स्थानीय निकायों और सांस्कृतिक संस्थाओं का भी पूरा सहयोग रहता है। “छठ पूजा 2025 की तिथि और विधि” को ध्यान में रखते हुए इन घाटों पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोकगीत और सामूहिक अर्घ्य आयोजन भी किए जा रहे हैं, जो पूरे वातावरण को भक्ति, रंग और आस्था से सराबोर कर देते हैं।
वरिष्ठों और बच्चों के लिए विशेष सुझाव:
छठ पूजा भक्ति के साथ-साथ अनुशासन का पर्व भी है। अतः व्रती परिवारों को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए:
- भीड़भाड़ वाले घाटों में बुजुर्गों को आगे न जाने दें; सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
- बच्चों को सदैव परिजनों के साथ रखें और पानी के भीतर अकेले प्रवेश न करने दें।
- संध्या और उषा अर्घ्य के समय रोशनी वाले क्षेत्र में ही खड़े हों।
- भोजन या प्रसाद केवल घर या पवित्र स्थल पर तैयार करें, बाहर का भोजन न लें।
- Chhath Puja 2025 rituals and significance का पालन करते समय पर्यावरण-अनुकूल सामग्री (मिट्टी का दीपक, पत्ते की डलिया) का उपयोग करें।
यात्रा करने वालों के लिए रेलवे ने इस बार 150 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाई हैं — सीटें पहले से आरक्षित कर लें ताकि नहाय-खाय से उषा अर्घ्य तक का सफर सहज रहे।
Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi- समापन:
इस तरह से “Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi” का यह विस्तृत सम्पूर्ण में “छठ पूजा 2025 की तिथि और विधि”, “Chhath Puja 2025 rituals and significance” तथा “Nahay Khay to Usha Arghya full details” को समाहित किया गया है। चाहे आप पहली बार यह व्रत कर रहे हों या नियमित श्रद्धालु हों — इस जानकारी के आधार पर आप पूरी श्रद्धा व समर्पण के साथ छठ पूजा के चार दिवसीय पवित्र क्रम को निभा सकते हैं।
इस पर्व के माध्यम से हम सूर्य-दिव्यता, प्रकृति-प्रेम, संयम और सामुदायिक एकता का संदेश लेते हैं। ईश्वर करें कि आपका छठ व्रत मंगल-मय, शुभ और सफल हो — छठी मैया आपकी और आपके परिवार की रक्षा करें।

इसे भी पढ़ें– Chhath Puja- 2023: छठ पूजा आस्था, भक्ति और आध्यात्मिकता का त्योहार
Frequently Asked Questions (FAQ):
Q1. छठ पूजा 2025 कब से कब तक मनाई जाएगी?
Ans. छठ पूजा 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर (शनिवार) से होगी और इसका समापन 28 अक्टूबर (मंगलवार) को उषा अर्घ्य के साथ होगा। चार दिनों का यह पर्व — नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य — पूरे अनुशासन और श्रद्धा से मनाया जाता है।
Q2. Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi क्या है?
Ans. इस वर्ष छठ पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है —
संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर): लगभग 5:30 PM,
उषा अर्घ्य (28 अक्टूबर): लगभग 6:10 AM।
वास्तविक समय क्षेत्रीय पंचांग और सूर्यास्त-सूर्योदय के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है।
Q3. Chhath Puja 2025 rituals and significance के चारों दिनों का क्या महत्व है?
Ans. चारों दिन शरीर और आत्मा की शुद्धि, संयम, सूर्य-आराधना और कृतज्ञता को दर्शाते हैं —
नहाय-खाय (शुद्धि), खरना (संयम), संध्या अर्घ्य (कृतज्ञता) और उषा अर्घ्य (नवप्रभात व आशा)।
Q4. Nahay Khay to Usha Arghya full details क्या है?
Ans. व्रती पहले दिन स्नान-शुद्धि करते हैं, दूसरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया “Nahay Khay to Usha Arghya full details” का क्रम मानी जाती है।
Q5. छठ पूजा में कौन-से मुख्य प्रसाद बनाए जाते हैं?
Ans.मुख्य प्रसादों में थेकुआ, गुड़-चावल की खीर, चने की दाल, मौसमी फल, कसार और रोटी शामिल हैं। ये प्रसाद शुद्ध घी और गंगाजल से बनाए जाते हैं और सूर्य देव व छठी मैया को अर्पित किए जाते हैं।
Q6. छठ पूजा 2025 के प्रमुख घाट कौन-कौन से हैं?
Ans. दिल्ली-NCR के प्रमुख घाट हैं — कालिंदी कुंज, मयूर विहार, वज़ीराबाद, द्वारका और हिंडन नदी घाट । बिहार में पटना का गंगाघाट, झारखंड में रांची का हरमू घाट, और उत्तर प्रदेश में वाराणसी का दशाश्वमेध घाट प्रसिद्ध हैं।
Q7. Chhath Puja 2025 rituals and significance क्या दर्शाते हैं?
Ans.यह व्रत सूर्य देव और छठी मैया की उपासना के माध्यम से प्रकृति, ऊर्जा, शुद्धता और पारिवारिक समृद्धि का प्रतीक है। यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यावरण-संतुलन और सामुदायिक एकता का उत्सव है।
Q8. क्या छठ पूजा केवल महिलाओं द्वारा की जाती है?
Ans. नहीं, पुरुष भी श्रद्धा के साथ व्रत रखते हैं। कई परिवारों में पति-पत्नी दोनों मिलकर “Chhath Puja 2025 Date Time Vidhi” के अनुसार चारों दिन का व्रत निभाते हैं।
Q9. छठ पूजा के दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए?
• केवल सात्विक भोजन करें।
• घाटों की सफाई और सुरक्षा का ध्यान रखें।
• पर्यावरण-अनुकूल सामग्री (मिट्टी के दीपक, पत्ते की डलिया) का प्रयोग करें।
• भीड़भाड़ वाले स्थलों पर बच्चों और वरिष्ठों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
Q10. छठ पूजा 2025 को लेकर क्या विशेष तैयारियाँ की गई हैं?
Ans. दिल्ली सरकार ने लगभग 200 से अधिक छठ घाटों पर विशेष प्रबंध किए हैं। बिहार, झारखंड और यूपी सरकारों ने भी सफाई, सुरक्षा, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विस्तृत तैयारी की है, ताकि “Chhath Puja 2025 rituals and significance” का पालन हर श्रद्धालु सुरक्षित और भक्ति-भाव से कर सके।



