Surajkund Mela 2025
हर साल की तरह, इस बार भी Surajkund Mela 2025 अपनी अद्भुत संस्कृति, परंपरा और हस्तशिल्प के प्रदर्शन के साथ आयोजित होने जा रहा है। यह मेला हरियाणा पर्यटन विभाग के देख रेख में हरियाणा के फरीदाबाद जिले में 7 फरवरी से 23 फरवरी 2025 तक चलेगा। सूरजकुंड मेला का यह 38वां अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला देश-विदेश के पर्यटकों और कला प्रेमियों के लिए एक खास अवसर है। तो चलिए, जानते हैं, इस मेला से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी।
सूरजकुंड मेला भारत की सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर को संजोने और प्रदर्शित करने का एक अद्भुत माध्यम है। इस कारण से इस मेला भारत के सबसे बड़े और प्रसिद्ध हस्तशिल्प मेला में से एक है। इसका नाम “सूरजकुंड” यानी “सूरज का तालाब” से लिया गया है, जिसका निर्माण 10वीं शताब्दी में तोमर वंश के राजा सूरजपाल ने किया था। राजा सूरजपाल सूर्य के उपासक थे और उन्होंने जल संचयन के लिए सूरजकुंड का निर्माण कराया था।
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इसका इतिहास 1987 में शुरू हुआ था, जब हरियाणा पर्यटन विभाग ने इसे पहली बार आयोजित किया। यह मेला हरियाणा पर्यटन विभाग द्वारा 1987 में भारतीय हस्तशिल्प, हथकरघा, और लोक कला संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। तब से यह मेला हस्तशिल्पियों और कलाकारों के लिए एक अद्वितीय मंच बन चुका है। यहां देश-विदेश के शिल्पकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं और पर्यटक इसे करीब से अनुभव करते हैं।
यह मेला इसलिए मनाया जाता है ताकि भारत की सांस्कृतिक विविधता, परंपराओं, और शिल्प कौशल को प्रोत्साहन मिले। इसके माध्यम से शिल्पकारों को न केवल आर्थिक लाभ होता है, बल्कि उन्हें अपने उत्पादों को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का अवसर भी मिलता है। मेले में देश-विदेश के लाखों पर्यटक शामिल होते हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं।
हर बार की तरह इस बार भी यह मेला हरियाणा के फरीदाबाद जिले में आयोजित किया जाएगा। इसका आयोजन हमेसा इसमेला क्षेत्र में होता है, जो दिल्ली से लगभग 23 किलोमीटर दूर स्थित है। मेला स्थल का सटीक पता है:
Surajkund International Crafts Mela, Surajkund Road, Faridabad, Haryana, India.
दिल्ली-एनसीआर से सूरजकुंड मेला पहुँचना बेहद आसान है। आप मेट्रो, सड़क मार्ग, या सार्वजनिक परिवहन के जरिए यहां पहुंच सकते हैं।
इस बार के थीम के लिए जो राज्य चुना गया है वह राज्य है मध्य प्रदेश और ओडिशा राज्य। इन राज्यों के कारीगर अपनी पारंपरिक कला और शिल्प का प्रदर्शन इस हस्तशिल्प मेला में करेंगे। इसके साथ ही, इस मेले में BIMSTEC (बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, और थाईलैंड) देशों की सूरजकुंड मेला में प्रमुख भागीदारी रहेगी।
इस बार इस मेले में भारतीय संस्कृति के प्रत्यछ जीता जागता रूप के रूप में प्रयागराज महाकुंभ की झलक को दिखाया जाएगा इसके अंतरगर्त प्रयागराज महाकुंभ मेला को प्रतिक के रूप में दिखाने के लिए प्रयागराज के गंगा घाटों को उकेरा जाएगा। इसके साथ ही इस मेले के प्रमुख आकर्षण के रूप में जापानी शुसी और अन्य अंतरराष्ट्रीय व्यंजन के स्वाद का आनंद देंगे।
हरियाणा पर्यटन विभाग ने इस बार मेले के डिजिटलाइजेशन पर जोर दिया है। ऑनलाइन स्टॉल अलॉटमेंट के लिए क्यूआर कोड जारी किया गया है। इसकी सुरक्षा के लिए 600 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और पूरे इस मेला परिसर को रोशनी से सजाया जाएगा।
यह सूरजकुंड मेला जो की विशेषकर एक हस्तशिल्प मेला के रूप विख़्यात है जो ये हरियाणा पर्यटन विभाग के द्वारा न केवल भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने का प्रयास है, बल्कि यह शिल्पकारों को रोजगार और पहचान भी प्रदान करता है। जो की इसमें सबसे बड़ी बात यह है की इस मेले में BIMSTEC के सदस्य देशों की इस प्रसिद्ध मेले में मुख्य रूप से भागीदारी भी है।
यह मेला हर उम्र के लोगों के लिए खास है। बच्चे झूले और खेलों का आनंद लेते हैं, युवा हस्तशिल्प खरीदते हैं, और बुजुर्ग भारतीय इतिहास और संस्कृति के विविध रंगों का आनंद लेते हैं। यह मेला केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीयता का उत्सव है।
तो इस फरवरी, अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस मेले में शामिल होकर भारत की अद्भुत सांस्कृतिक धरोहर का आनंद लें।
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