Ramon Magsaysay Award 2025- Indian NGO wins Magsaysay Award
Ramon Magsaysay Award 2025- भारत के लिए यह गर्व और प्रेरणा से भरा पल है की घोषणा के साथ ही भारत की Educate Girls NGO ने दुनिया के सामने नया इतिहास रच दिया। यह वही संस्था है जिसने ग्रामीण भारत में बेटियों की शिक्षा और सशक्तिकरण की दिशा को पूरी तरह बदल दिया। यह सम्मान सिर्फ एक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की उन लाखों लड़कियों की जीत है, जिन्होंने “मैं भी पढ़ना चाहती हूँ” का सपना देखा।
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के 67वें संस्करण की घोषणा 31 अगस्त 2025 को की गई, जबकि इसका औपचारिक सम्मान समारोह 7 नवंबर 2025 को फिलीपींस की राजधानी मनीला स्थित प्रतिष्ठित मेट्रोपॉलिटन थिएटर में संपन्न हुआ।
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Ramon Magsaysay Award 2025 को एशिया का “नोबेल पुरस्कार” (Asia’s Nobel Prize) कहा जाता है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों या संस्थाओं को दिया जाता है जिन्होंने समाज, नेतृत्व, शिक्षा, शांति, और मानव कल्याण के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो।
Ramon Magsaysay Award की शुरुआत 1957 में हुई थी, जो फिलीपींस के तीसरे राष्ट्रपति रेमन मैगसेसे (Ramon Magsaysay) की याद में स्थापित किया गया था। मैगसेसे अपने कार्यकाल में “जनसेवा और ईमानदारी के प्रतीक” माने जाते थे, और उनकी मृत्यु के बाद Rockefeller Brothers Fund (USA) और Philippines Government ने मिलकर इस पुरस्कार की स्थापना की थी। तब से यह पुरस्कार हर वर्ष Ramon Magsaysay Award Foundation (RMAF) द्वारा मनीला (Manila, Philippines) में दिया जाता है। (Source: rmaward.asia)
यह सम्मान पाँच प्रमुख क्षेत्रों में प्रदान किया जाता है:
1️⃣ Government Service (शासन सेवा) – पारदर्शी और जनहितकारी प्रशासन के लिए
2️⃣ Public Service (लोक सेवा) – समाज-हित और मानवीय कार्यों के लिए
3️⃣ Community Leadership (सामुदायिक नेतृत्व) – स्थानीय या क्षेत्रीय स्तर पर समाज-सुधार के प्रयासों के लिए
4️⃣ Journalism, Literature and Creative Communication Arts (पत्रकारिता व सृजनात्मक क्षेत्र) – सत्य, स्वतंत्रता और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए
5️⃣ Peace and International Understanding (शांति व अंतरराष्ट्रीय सहयोग) – विभिन्न देशों और संस्कृतियों में सामंजस्य बढ़ाने के लिए
कभी-कभी Emergent Leadership (उभरते नेता) या Education & Human Development जैसे विशेष क्षेत्र भी जोड़े जाते हैं, जैसे कि इस बार Educate Girls NGO को “Social and Educational Empowerment” के क्षेत्र में यह सम्मान मिला है।
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Ramon Magsaysay Award के विजेताओं को मिलता है —
पुरस्कार वितरण समारोह हर साल 31 अगस्त को आयोजित किया जाता है — यही दिन राष्ट्रपति रेमन मैगसेसे की जयंती भी है।
Ramon Magsaysay Award 2025 को एशिया का “नोबेल पुरस्कार” कहा जाता है। इस प्रतिष्ठित सम्मान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें केवल बड़े पदों या संस्थानों को नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर बदलाव लाने वाले व्यक्तियों और संगठनों को भी समान रूप से मान्यता दी जाती है।
यह पुरस्कार “power या popularity” का नहीं, बल्कि “purpose और integrity” — यानी ईमानदार नीयत और सच्चे उद्देश्य का सम्मान है। इसलिए Ramon Magsaysay Award हर वर्ष उन व्यक्तियों या संस्थाओं को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने समाज-सेवा, नेतृत्व, शिक्षा, मानवता और जनकल्याण के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो।
2025 में जब Educate Girls NGO का नाम इस सम्मान के लिए घोषित हुआ, तो यह केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण बन गया। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि सच्चे बदलाव की ताकत सरकारी नीतियों से नहीं, बल्कि समाज की जड़ों से आती है। और यही इस पुरस्कार की असली भावना है — साधारण लोग भी असाधारण परिवर्तन ला सकते हैं, अगर उनके पास ईमानदारी और उद्देश्य की शक्ति हो।
Born: 1971, Delhi
Education: London School of Economics
Spouse: Hansal Mehta (Film Director)
Award: Ramon Magsaysay Award 2025
Motto: ‘हर लड़की स्कूल जाए, हर लड़की पढ़े।’
Safeena Husain सिर्फ एक समाजसेवी नहीं, बल्कि भारत की उन चुनिंदा महिलाओं में से हैं जिन्होंने अपने विज़न, दृढ़ता और संवेदनशीलता से लाखों बेटियों की ज़िंदगी को रोशनी दी है। उन्होंने 2007 में Educate Girls NGO की स्थापना की — एक ऐसी संस्था जिसने ग्रामीण भारत की शिक्षा व्यवस्था को जमीनी स्तर पर बदलकर रख दिया। (स्रोत: India Today)
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Safeena का जन्म दिल्ली (1971) में हुआ और बचपन से ही उन्होंने समाज की असमानताओं को करीब से देखा। उन्होंने उच्च शिक्षा London School of Economics (LSE) से प्राप्त की, जहाँ उन्होंने Development Studies में विशेषज्ञता हासिल की। LSE में पढ़ाई के बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, नेपाल और अमेरिका में विभिन्न NGOs के साथ काम किया — जहाँ उन्होंने महिलाओं और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
यह अनुभव भारत लौटने पर उनके लिए प्रेरणा बना — “जब मैंने देखा कि मेरे देश में लाखों लड़कियाँ सिर्फ इसलिए स्कूल नहीं जातीं क्योंकि वे ‘लड़कियाँ’ हैं — तभी मैंने तय कर लिया कि मैं यह बदलूँगी।”
2007 में राजस्थान के पाली जिले से शुरुआत हुई। Safeena ने महसूस किया कि लड़कियों की शिक्षा केवल स्कूल खोलने से नहीं, बल्कि समुदाय की मानसिकता बदलने से संभव है। उन्होंने Team Balika नाम का मॉडल बनाया — जहाँ हर गाँव से युवा स्वयंसेवक लड़कियों के घर-घर जाकर माता-पिता को शिक्षा के लिए प्रेरित करते हैं। इस अभियान से अब तक:
यह मॉडल आज “community-driven education reform” का सबसे सफल उदाहरण माना जाता है। एजुकेट गर्ल्स का संकल्प है कि वर्ष 2035 तक एक करोड़ बालिकाएँ शिक्षा के दायरे में आएँ और अपने सपनों को उड़ान दें।
Safeena Husain और Educate Girls NGO को समय-समय पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान मिले हैं:
1️⃣ Ramon Magsaysay Award 2025 – सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए। (स्रोत: NDTV News)
2️⃣ Skoll Award for Social Entrepreneurship (2018) – विश्व-स्तरीय नेतृत्व और शिक्षा में नवाचार के लिए।
3️⃣ NITI Aayog Women Transforming India Award – महिला नेतृत्व और नीति-स्तरीय बदलाव के लिए।
4️⃣ Forbes India Leadership Award (2017) – समाज सेवा में स्थायी प्रभाव डालने के लिए।
5️⃣ BBC 100 Women List (2022) – वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालने वाली प्रेरक महिलाओं में नाम शामिल।
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आज Safeena Husain न केवल “Educate Girls NGO” की संस्थापक हैं, बल्कि भारत में “Girls’ Education Movement” की अग्रणी आवाज़ भी बन चुकी हैं। उनका काम संयुक्त राष्ट्र (UN SDG 4 — Quality Education) के लक्ष्यों के अनुरूप माना जाता है। उनकी सोच है — “अगर हर लड़की को पढ़ने का अवसर मिले, तो वह सिर्फ अपना नहीं, पूरे समाज का भविष्य बदल देती है।”
पहले जहाँ ग्रामीण इलाकों में dropout girls की संख्या चिंताजनक थी, आज वही क्षेत्र “re-enrolment” और “retention” के उदाहरण बन चुके हैं। Educate Girls NGO अब राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी सक्रिय है।
संस्थापक Safeena Husain के शब्दों में — “यह पुरस्कार हमारे उन हजारों स्वयंसेवकों को समर्पित है जो बारिश, धूप और कठिन रास्तों के बावजूद हर दिन बेटियों को स्कूल पहुँचाते हैं।”
यह पहली बार है जब किसी भारतीय गैर-लाभकारी संस्था (Indian NGO) को यह सम्मान मिला है। Ramon Magsaysay Award 2025 यह संदेश देता है कि भारत में सामाजिक परिवर्तन केवल नीतियों से नहीं, बल्कि समुदाय की भागीदारी और शिक्षा के प्रसार से संभव है।
Educate Girls NGO ने दिखाया है कि शिक्षा सिर्फ अधिकार नहीं — बल्कि विकास, आत्मनिर्भरता और समानता का सबसे बड़ा माध्यम है। यह भारत के “India’s proud moment” की एक जीवंत तस्वीर है।
हालाँकि Educate Girls NGO की यह कहानी प्रेरक है, लेकिन संघर्ष अब भी जारी है। कई ग्रामीण इलाकों में आज भी स्कूल तक पहुँच, महिला शिक्षकों की कमी और सामाजिक पूर्वाग्रह जैसी बाधाएँ मौजूद हैं। फिर भी यह संस्था “Vidya” और “Pragati” जैसे नए कार्यक्रमों के माध्यम से लड़कियों की शिक्षा, आत्म-विकास और रोज़गार-सशक्तिकरण पर लगातार काम कर रही है। इस पहल के ज़रिए अब तक 31,500 से अधिक बालिकाओं की ज़िंदगी में शिक्षा की नई रोशनी पहुँची है।
क्या आपने अपने गाँव या मोहल्ले में ऐसी कोई पहल देखी है? क्या आप किसी लड़की को स्कूल जाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं? क्योंकि बदलाव तब ही होता है जब हम सब उसके हिस्सेदार बनते हैं।
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Educate Girls NGO का यह सम्मान सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि उन करोड़ों बेटियों की उम्मीद है जो आज अपने सपनों की ओर बढ़ रही हैं। जब इरादे मजबूत हों, तो मिट्टी के स्कूलों से भी इतिहास लिखा जा सकता है।
Ramon Magsaysay Award 2025 सिर्फ Educate Girls का नहीं, बल्कि भारत की हर उस बेटी का सम्मान है जो “पढ़ाई से पहचान” बना रही है।
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