भारत विविध परंपराओं और संस्कृतियों का देश है। यहाँ साल भर अलग-अलग त्यौहार और पर्व मनाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे कैलेंडर में एक ऐसा भी समय आता है जो केवल हमारे पूर्वजों को समर्पित होता है? इस समय को पितृ पक्ष (Pitru Paksh) कहा जाता है। यह 15 दिन की अवधि हर साल नवरात्रि से पहले आती है और इसमें हिंदू धर्म के लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण और पूजा करते हैं।
आइए जानते हैं कि Pitru Paksh 2025 कब है, इसका धार्मिक महत्व क्या है और किस प्रकार श्राद्ध अनुष्ठान पूरे किए जाते हैं।
शायद आपको यह जानकर हैरानी हो कि Pitru Paksh को अलग-अलग क्षेत्रों और परंपराओं में अलग नामों से पुकारा जाता है।
उत्तर भारत में इसे सोरह श्राद्ध कहा जाता है।
कुछ जगह इसे अपरा पक्ष कहा जाता है।
वहीं महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में इसे अखाड़पाक के नाम से भी जाना जाता है।
इससे साफ है कि चाहे नाम कोई भी हो, इसका मूल उद्देश्य एक ही है—अपने पूर्वजों को स्मरण करना और उन्हें श्रद्धा अर्पित करना।
अब सवाल उठता है कि इस साल यानी Pitru Paksh 2025 कब शुरू और कब खत्म होगा?
शुरुआत: 7 सितंबर 2025, पूर्णिमा श्राद्ध
समापन: 21 सितंबर 2025, सर्वपितृ अमावस्या (महालया अमावस्या)
पितृ पक्ष (Pitru Paksh) 2025 में, इसकी शुरुआत पिछले रविवार (7 सितंबर) को पूर्णिमा श्राद्ध के साथ हुई। यह अवधि 21 सितंबर, 2025 को सर्व पितृ अमावस्या या महालया अमावस्या के साथ समाप्त होती है। अंतिम दिन, जिसे सर्वपितृ अमावस के रूप में जाना जाता है, यह इन 16 दिनों का सबसे मुख्य दिन माना जाता है । खास बात यह है कि अगर आप किसी कारणवश अपने किसी प्रियजन की श्राद्ध तिथि भूल गए हों, तो आप अंतिम दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या पर सामूहिक रूप से श्राद्ध कर सकते हैं।
श्राद्ध कर्म प्रत्येक पूर्वज की चंद्र तिथि के अनुसार किए जाते हैं। यदि मृत्यु की सही तिथि अज्ञात हो—जैसे आकस्मिक मृत्यु के मामले में या ऐसे व्यक्ति जिनकी मृत्यु तिथि दर्ज नहीं है—तो पितृ पक्ष की पूजा दृग पंचांग के अनुसार अंतिम दिन की जा सकती है।
पटना में पितृ पक्ष से जुड़े आयोजन और updates जानने के लिए पढ़ें हमारा latest article-
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क्या आपने कभी सोचा है कि पितृ पक्ष को इतना महत्व क्यों दिया जाता है?
माना जाता है कि इस समय हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों से आशीर्वाद लेने के साथ उन्हें आशीर्वाद भी देते हैं।
यह अवसर हमें यह याद दिलाता है कि हमारी जड़ें कहाँ हैं और हम किस वंश से जुड़े हैं।
श्रद्धा से किए गए श्राद्ध कर्म न केवल पूर्वजों को तृप्त करते हैं बल्कि परिवार की समृद्धि और शांति भी सुनिश्चित करते हैं।
पितृ पक्ष की पूजा विधि भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से की जाती है। इसका मूल भाव एक ही है—पूर्वजों को याद करना और उन्हें श्रद्धा अर्पित करना, लेकिन रीति-रिवाजों में थोड़ा फर्क होता है।
पिपल के पेड़ पर अर्पण: यहाँ लोग प्रातःकाल स्नान करके पीपल के पेड़ में जल, कच्चा दूध, तिल, चावल और जौ मिलाकर अर्पित करते हैं।
तर्पण: घर पर या गंगा जैसी पवित्र नदी के किनारे जल में चावल और तिल मिलाकर तर्पण किया जाता है।
पाठ और जाप: कई जगह भागवत गीता के सप्तम अध्याय का पाठ किया जाता है।
श्राद्ध भोज: श्राद्ध तिथि पर ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराया जाता है।
यहाँ इसे महालय अमावस्या कहा जाता है और देवी महालया का विशेष महत्व है।
श्रद्धालु गंगा स्नान करके तर्पण करते हैं।
घर में पूर्वजों के नाम से विशेष पकवान बनाकर ब्राह्मणों और कन्याओं को अर्पित किया जाता है।
पूजा से पहले घर के आँगन या मंदिर परिसर में स्थान शुद्ध किया जाता है।
चावल, घी और तिल से बने पिंड तैयार करके दरभा घास पर रखे जाते हैं।
जल, पुष्प और दीप अर्पण करके पितरों का स्मरण किया जाता है।
कई परिवार घर पर ही विधि-विधान से श्राद्ध और पिंडदान करते हैं।
केले के पत्ते पर भोजन बनाकर रखा जाता है और उसे पितरों को अर्पित किया जाता है।
पूजा के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना अनिवार्य माना जाता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो Pitru Paksh Puja का तरीका अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य एक ही है—पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करना।
चाहे आप पीपल में जल चढ़ाएँ, गंगा में तर्पण करें, या घर पर भोजन बनाकर ब्राह्मणों को कराएँ—हर विधि का मूल भाव श्रद्धा और कृतज्ञता ही है।
श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को एक रात पहले मांसाहार, प्याज और लहसुन से परहेज़ करना चाहिए।
पूजा के दिन चावल, तिल और घी से बने पिंड तैयार किए जाते हैं।
पिंडों को केले के पत्ते या थाली पर रखा जाता है और नीचे दरभा घास दी जाती है।
इसके बाद जल, तिल और मंत्रोच्चारण के साथ पिंड अर्पित किए जाते हैं।
श्राद्ध कर्म केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह पूर्वजों के प्रति हमारी गहरी आस्था और कृतज्ञता का प्रतीक है।
क्या आप जानते हैं कि Pitru Paksh Puja के दौरान मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है?
कुछ प्रमुख मंत्र:
ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्
ॐ अद्य भूताय विद्महे सर्व सेवाय धीमहि शिव शक्ति स्वरूपेण पितृ देव प्रचोदयात्
ॐ देवताभ्यः पितृभ्यः महायोगिभ्य एव च | नमः स्वाहाये स्वधाये नित्यमेव नमो नमः
इन मंत्रों के जाप से पूर्वज प्रसन्न होते हैं, पितृ दोष दूर होता है और जीवन में आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
क्या आप जानते हैं कि Pitru Paksh Puja के दौरान मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है?
ये मंत्र न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करते हैं, बल्कि पितरों का आशीर्वाद भी दिलाते हैं।
कुछ प्रमुख मंत्र:
ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्
ॐ अद्य भूताय विद्महे सर्व सेवाय धीमहि शिव शक्ति स्वरूपेण पितृ देव प्रचोदयात्
ॐ देवताभ्यः पितृभ्यः महायोगिभ्य एव च | नमः स्वाहाये स्वधाये नित्यमेव नमो नमः
मंत्र जाप के लाभ:
पितरों को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए।
कार्यक्षेत्र की बाधाओं को दूर करने में सहायक।
पितृ दोष से मुक्ति पाने का उपाय।
परिवार में शांति और समृद्धि का मार्ग।
भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष को अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस अवधि में किए गए श्राद्ध से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार पर कृपा बनाए रखते हैं।
पूर्वजों की पसंद का भोजन बनाकर ब्राह्मणों, साधुओं और कन्याओं को खिलाया जाता है।
ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
अगर आप Patna में रहते हैं और पितृ पक्ष के दौरान होने वाले कार्यक्रमों के बारे में जानना चाहते हैं, तो यहाँ देखें-
Pitrupaksha Mela Gaya Tourism 2025: बिहार सरकार की तैयारी, गया पर्यटन स्थल और भविष्य की योजनाएँ
भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह 15 दिन हमारे पूर्वजो को समर्पित होते है इस दौरान पूर्वजों के लिए कई प्रकार के पूजा अनुष्ठान किये जाते है यही नहीं इस दौरान उनकी पसंद की भोजन सामग्री बना कर कन्याओं को खिलायी जाती है और उन्हें प्रेम से भोजन अर्पित किया जाता है।
Pitru Paksh 2025 सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान का समय नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों के प्रति हमारी कृतज्ञता और श्रद्धा का प्रतीक है। तो क्या आप इस बार पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को याद करके उनका आशीर्वाद लेने के लिए तैयार हैं?
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