Physics Nobel Prize 2025 winners John Clarke Michel Devoret John Martinis macroscopic quantum phenomena India impact
Physics Nobel Prize 2025: 2025 का नोबेल पुरस्कार भौतिकी (Physics) के क्षेत्र में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम प्रभावों (macroscopic quantum phenomena) की खोजों को सम्मानित करता है। यह वो पुल है जो हमें क्लासिकल दुनिया और क्वांटम जगत के बीच जोड़ता है — वह जगह जहाँ क्वांटम नियम बड़े आकारों में भी देखे जाते हैं। इस खोज का भारत की तकनीकी महत्वाकांक्षा में गहरा प्रभाव हो सकता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि यह नोबेल पुरस्कार 2025 क्यों महत्वपूर्ण है, भारत के लिए इसका क्या मतलब है, और आगे की चुनौतियाँ व अवसर क्या हैं।
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John Clarke
Michel H. Devoret
John M. Martinis
Source for biography information- NobelPrize.org
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क्वांटम दुनिया उन नियमों से चलती है जो बहुत छोटे कणों (जैसे इलेक्ट्रॉन, फोटॉन) पर लागू होते हैं — जैसे सुपरपोजीशन, एंटैंगलमेंट/उलझाव (entanglement), टनलिंग इत्यादि। परंपरागत (classical) दुनिया में ये प्रभाव इतने स्पष्ट नहीं दिखते।
इस वर्ष नोबेल पुरस्कार 2025 उन वैज्ञानिकों को दिया गया जिन्होंने सर्किट्स में quantum mechanical effects स्पष्ट रूप से दिखाए — उदाहरण स्वरूप, ऊर्जा क्वांटाइजेशन, टनलिंग, और अन्य क्वांटम व्यवहार।
ये प्रयोग उस दीवार को तोड़ने जैसा है जो “क्वांटम नियम केवल सूक्ष्म स्तर पर लागू होते हैं” यह हमारी परंपरागत धारणा कहती थी। अब यह दिखला दिया गया कि वे नियम कुछ मामलों में बड़े सिस्टम में भी काम कर सकते हैं — जिससे क्वांटम और क्लासिकल दुनिया के बीच की दूरी कम होती है।
इसका महत्व इसलिए है क्योंकि:
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भारत ने पिछले कुछ वर्षों में क्वांटम तकनीक को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए हैं:
लेकिन, अभी हम प्रारंभिक अवस्था में हैं — काफी काम होना बाकी है।
मैक्रोस्कोपिक क्वांटम प्रभाव का मतलब है — जब ये क्वांटम गुण बड़े पैमाने (माकूल उपकरणों, सर्किट्स) में भी प्रकट हों। उदाहरण के लिए — एक बिजली का सर्किट जिसमें क्वांटम टनलिंग या ऊर्जा स्तरों का विभाजन देखा जा सके।
जब हम ये क्वांटम विशेषताएँ बड़े सिस्टम में उपयोग कर पाएँगे, तो:
इन्हें पार करने के लिए नीति, सहयोगी पहल, अंतरराष्ट्रीय साझेदारी और दीर्घकालिक योजनाएँ होनी चाहिए।
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नॉबेल 2025 ने हमें यह संकेत दिया है कि क्वांटम तकनीक अब केवल प्रयोगशाला की पहेली नहीं है — वह हमारी रोज़मर्रा की दुनिया से जुड़ सकती है। भारत अगर इस अवसर को भुनाए, तो:
इस नोबेल पुरस्कार से हमें प्रेरणा मिलती है — न कि सिर्फ गर्व, बल्कि यह देखना कि हम कैसे अगली पीढ़ी की तकनीक को भारत धरातल पर लाएँ।
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Qns- मैक्रोस्कोपिक क्वांटम इफेक्ट क्या होता है?
Ans- यह वह स्थिति है जब क्वांटम यांत्रिकी के गुण जैसे टनलिंग या क्वांटाइजेशन सूक्ष्म कणों से निकलकर बड़े उपकरणों या सर्किट्स में भी दिखाई देते हैं।
Qns- यह खोज क्वांटम कंप्यूटिंग और क्रिप्टोग्राफी में कैसे मदद करेगी?
Ans- इन प्रयोगों ने साबित किया कि क्वांटम गुणों को स्थिर और नियंत्रित किया जा सकता है। इससे क्वांटम कंप्यूटर अधिक विश्वसनीय बनेंगे और डेटा एन्क्रिप्शन (Quantum Key Distribution) और भी सुरक्षित होगा।
Qns- भारत का National Quantum Mission क्या है?
Ans- यह भारत सरकार की 2023–2031 के बीच की पहल है, जिसका उद्देश्य क्वांटम संचार, कंप्यूटिंग और मापन के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है ताकि भारत वैश्विक क्वांटम (Quantum Technology in India) रेस में अग्रणी बन सके।
Qns- नोबेल समारोह हमेशा 10 दिसंबर को ही क्यों होता है?
Ans-क्योंकि यही दिन नोबेल पुरस्कार के संस्थापक Alfred Nobel की पुण्यतिथि है, और उसी की याद में हर वर्ष यह समारोह स्टॉकहोम (स्वीडन) में आयोजित किया जाता है।
ये जानकारी निम्न प्रमाणित अंतरराष्ट्रीय स्रोतों पर आधारित है: Nobel 2025 winners physics
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