IndiGo Flight Cancellations DGCA की 8-सदस्यीय जांच
IndiGo Flight Cancellations: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo इस समय गंभीर operational संकट से गुजर रही है। 11 दिसंबर 2025 की सुबह भारत के लाखों हवाई यात्रियों के लिए बेहद मुश्किल भरी रही। IndiGo पिछले 10 दिनों से लगातार उड़ानें रद्द कर रही है, और हर दिन नए शहरों में हज़ारों लोग फंसे हुए हैं—किसी की नौकरी का इंटरव्यू छूट गया, कोई अस्पताल की अपॉइंटमेंट तक नहीं पहुंच पाया, तो कोई विदेश की connecting flight मिस कर बैठा। यात्रियों में भारी नाराज़गी साफ दिखाई दे रही है।
इस बढ़ते हंगामे के बीच, DGCA ने 10 दिसंबर को अभूतपूर्व कदम उठाते हुए एक 8-सदस्यीय Oversight Team नियुक्त की, और 12 दिसंबर को एयरलाइन के CEO Pieter Elbers को तलब किया है। यह स्थिति केवल एक एयरलाइन का crisis नहीं, बल्कि भारत के पूरे aviation sector की कमजोरियों को उजागर करने लगी है।
पिछले दस दिनों से जारी IndiGo Flight Cancellations ने यात्रियों की रोजमर्रा की यात्रा को गहरी तरह से प्रभावित किया है। 11 दिसंबर 2025 तक हालात इतने बिगड़ चुके थे कि Bengaluru, Delhi और Mumbai जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर लंबी कतारें, तनावग्रस्त यात्री और लगातार हो रही उड़ानों की रद्दीकरण घोषणाएँ आम दृश्य बन गए थे।
Bengaluru एयरपोर्ट पर स्थिति सबसे गंभीर रही, जहाँ एक ही दिन में 60 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। कई यात्रियों ने बताया कि उनकी उड़ानें take-off से कुछ मिनट पहले ही delay या reschedule कर दी गईं, जिसके कारण वे घंटों एयरपोर्ट पर फंसे रहे। बुजुर्ग यात्रियों से लेकर बच्चों और मरीजों तक, सभी last-minute cancellations से बुरी तरह परेशान नज़र आए। कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर यह भी साझा किया कि अचानक हुई रद्दीकरण की वजह से उनकी connecting international flights छूट गईं और पूरे यात्रा कार्यक्रम पर पानी फिर गया।
Airline का कहना है कि यह संकट crew shortage, rostering समस्याओं और कुछ technical constraints के कारण उत्पन्न हुआ है, लेकिन ground पर मौजूद यात्रियों को यह स्थिति कहीं अधिक poor management और inadequate planning का परिणाम लग रही है।
IndiGo Flight Cancellations पिछले दस दिनों में जिस तेजी से बढ़ी हैं, उन्होंने पूरे aviation network को प्रभावित कर दिया है। बढ़ती शिकायतों और operational breakdown को देखते हुए DGCA ने 10 दिसंबर 2025 को एक 8-member Oversight Team तैनात की, जो IndiGo के हर operational हिस्से की विस्तृत जांच कर रही है। यह कदम अब तक किसी भी भारतीय एयरलाइन पर लगाए गए सबसे कड़े regulatory supervision में माना जा रहा है।
Regulator के अनुसार, लाखों यात्री लगातार हो रही उड़ान रद्दीकरण से परेशान हैं, जबकि Bengaluru, Delhi और Mumbai जैसे प्रमुख hubs से गंभीर operational failures की सूचनाएँ मिली हैं। इसके अलावा, airline अपने crew scheduling, pilot availability और aircraft maintenance से जुड़ी critical जानकारी पारदर्शी ढंग से प्रस्तुत करने में भी विफल रही, जिससे DGCA को संदेह हुआ कि समस्या सतही नहीं, बल्कि अधिक गहरी है।
Oversight Team न केवल रोजाना flight operations की स्थिति देख रही है, बल्कि cancellations के मूल कारणों को समझने के लिए aircraft maintenance logs, AOG (Aircraft on Ground) status, safety compliance, crew rostering और fatigue management की भी व्यापक जांच कर रही है। DGCA ने airline को यह निर्देश भी दिया है कि वह हर 24 घंटे में operational status report जमा करे, जिसमें refund, rebooking और passenger-handling से संबंधित विवरण शामिल हों।
DGCA अधिकारियों का मानना है कि यह कठोर निगरानी इसलिए आवश्यक है क्योंकि IndiGo operational crisis ने न केवल airline की interal प्रक्रिया पर, बल्कि पूरे national aviation नेटवर्क की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, Oversight Team अपनी preliminary findings 12 दिसंबर को होने वाली CEO मीटिंग से पहले regulator को सौंप सकती है।
लगातार बढ़ती IndiGo Flight Cancellations और गंभीर operational crisis को देखते हुए DGCA ने IndiGo के CEO Pieter Elbers को दोबारा तलब किया है। उन्हें 12 दिसंबर 2025 को regulator के सामने उपस्थित होकर यह स्पष्ट करना होगा कि पिछले दस दिनों से जारी रद्दीकरण क्यों नियंत्रित नहीं हो पा रहा, crew management में कमियाँ कहाँ उत्पन्न हुईं, और airline यात्रियों को समय पर support तथा refunds क्यों नहीं दे पाई।
DGCA यह भी जानना चाहता है कि IndiGo आने वाले दिनों में operations को normal करने के लिए कौन-से ठोस कदम उठाएगी। इस समन के साथ regulator ने साफ संदेश दिया है कि यह crisis अब केवल एक internal airline issue नहीं, बल्कि एक public-impact disruption बन चुका है।
IndiGo Flight Cancellations से उत्पन्न nationwide disruption ने सरकार को भी सतर्क कर दिया है। केंद्रीय उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने कहा कि यह crisis भारत के aviation sector की क्षमता और resilience पर गंभीर सवाल उठाता है। उनके अनुसार,
“भारत को कम से कम पाँच ऐसी एयरलाइन्स की आवश्यकता है जिनके पास 100 या उससे अधिक aircraft हों, ताकि किसी एक एयरलाइन में संकट आने पर पूरा राष्ट्रीय उड्डयन नेटवर्क बाधित न हो।”
सरकार के इस रुख से स्पष्ट है कि आने वाले समय में aviation sector में capacity building, competition बढ़ाने और structural reforms को लेकर गंभीर चर्चाएँ हो सकती हैं। इस संकट ने policy makers को यह याद दिलाया है कि aviation जैसे critical sector में contingency planning और robust infrastructure अब अनिवार्य हो चुका है।
लगातार बढ़ती IndiGo Flight Cancellations का सीधा असर देशभर के यात्रियों पर पड़ा है। कई लोग घंटों एयरपोर्ट पर इंतज़ार करने के बाद अचानक रद्द हुई उड़ानों की सूचना पाते रहे। किसी की बिज़नेस मीटिंग छूट गई, किसी का exam day बिगड़ गया, तो कई लोग ऐसी international flights भी मिस कर बैठे जो महीनों पहले बुक की गई थीं।
कुछ यात्रियों को महंगे दामों पर दूसरी एयरलाइंस की टिकटें लेनी पड़ीं, जबकि कई लोगों ने refund प्रक्रिया के धीमे होने की शिकायत की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स यात्रियों के गुस्से, निराशा और परेशानी से भरे पड़े हैं। यह साफ दिखाता है कि यह crisis केवल operational समस्या नहीं, बल्कि एक national conversation बन चुका है।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि IndiGo Flight Cancellations कब रुकेंगी और स्थिति कब सामान्य होगी। Aviation sources का कहना है कि operations में स्थिरता 15 दिसंबर के बाद धीरे-धीरे लौट सकती है, बशर्ते कि crew availability और scheduling की मौजूदा समस्याएँ समय पर सुलझ जाएँ।
Oversight Team की preliminary रिपोर्ट DGCA के आगे की कार्रवाई का आधार बनेगी। यदि गंभीर operational lapses मिलते हैं, तो regulator और कड़े कदम उठाने पर विचार कर सकता है। IndiGo को अपने crew rostering, aircraft deployment और daily operations में महत्वपूर्ण सुधार करने होंगे, तभी उड़ानों की reliability और punctuality दोबारा पटरी पर आ सकती है।
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लगातार बढ़ते IndiGo Flight Cancellations ने भारत के aviation sector की संरचनात्मक कमजोरियों को उजागर कर दिया है। DGCA की कड़ी निगरानी, Oversight Team की तैनाती और CEO को दोबारा समन यह दर्शाते हैं कि regulator इस बार इस संकट को एक साधारण glitch नहीं, बल्कि पूरे sector की विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाली गंभीर घटना के रूप में देख रहा है।
जब तक IndiGo अपने crew scheduling, maintenance processes और day-to-day operations को स्थिर नहीं करती, यात्रियों की परेशानी कम होने की उम्मीद कम है। यह crisis सरकार और regulator दोनों के लिए स्पष्ट संकेत है कि भारतीय aviation ecosystem को भविष्य के झटकों से बचाने के लिए अब व्यापक reforms की आवश्यकता है।
अभी के लिए इतना ही स्पष्ट है कि IndiGo operational crisis normal होने में समय लगेगा—और इस दौरान यात्रियों की मुश्किलें व industry की चिंता दोनों जारी रहेंगी।
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