Impact of Screen Time on Health
Impact of Screen Time on Health:आज की डिजिटल दुनिया में मोबाइल, लैपटॉप और टीवी हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। चाहे पढ़ाई हो, काम हो या मनोरंजन – सब कुछ अब स्क्रीन के सहारे होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज़रूरत से ज़्यादा स्क्रीन का इस्तेमाल आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है?
Impact of Screen Time on Health, Screen use side Effects, Screen usage Effects, Screen Effects on Eyes, और Screen Effect on Brain जैसे मुद्दों पर अब डॉक्टर और वैज्ञानिक भी चिंता जता रहे हैं। लगातार कई घंटे तक स्क्रीन देखने से आंखों की रोशनी पर असर पड़ता है, दिमाग पर दबाव बनता है और नींद की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। इस लेख में हम जानेंगे कि ज्यादा स्क्रीन टाइम हमारे शरीर और मन पर किस तरह से असर डालता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
आज के डिजिटल ज़माने में मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट और टीवी हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। बच्चे हों या बड़े, पढ़ाई से लेकर मनोरंजन और काम तक हर काम अब स्क्रीन (Screen use side Effects) पर होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रोज़ 4 घंटे से ज़्यादा स्क्रीन देखने का आपकी आँखों और दिमाग पर क्या असर पड़ता है? कई वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संस्थाओं जैसे World Health Organization (WHO) और Indian Council of Medical Research (ICMR) ने इस पर गहराई से अध्ययन किया है। आइए जानते हैं कि अधिक स्क्रीन टाइम से आपकी सेहत को क्या खतरे हो सकते हैं।
जब हम लगातार स्क्रीन देखते हैं, तो सबसे पहला असर हमारी आँखों (Screen Effects on Eyes) पर पड़ता है। इसे Digital Eye Strain या Computer Vision Syndrome कहा जाता है। इसके लक्षण हैं:
आँखों का सूखना (Dry Eyes)
जलन या चुभन (Burning Sensation)
धुंधला दिखाई देना (Blurred Vision)
सिरदर्द (Headache)
आँखों में थकान (Eye Fatigue)
WHO और AIIMS की रिपोर्ट्स के अनुसार, जो लोग रोज़ 4-6 घंटे या उससे ज़्यादा स्क्रीन (Screen usage Effects) देखते हैं, उनमें ये लक्षण ज़्यादा देखे गए हैं। स्क्रीन से निकलने वाली blue light (नीली रोशनी) आँखों की रेटिना को नुकसान पहुँचा सकती है और नींद की क्वालिटी भी खराब कर सकती है।
ज्यादा स्क्रीन टाइम से मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्तर गिरता है, जो नींद लाने में मदद करता है। अगर आप सोने से पहले मोबाइल या लैपटॉप पर ज़्यादा समय बिताते हैं, तो आपको:
देर से नींद आना
नींद का बार-बार टूटना
कम नींद लेना
सुबह उठने में थकान होना
जैसी समस्याएं हो सकती हैं। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, 4 घंटे से ज़्यादा स्क्रीन देखने वालों में नींद की समस्या 55% तक बढ़ जाती है।
लगातार डिजिटल डिवाइसेज़ का इस्तेमाल हमारे दिमाग की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करता है। ज्यादा स्क्रीन टाइम से:
Concentration (एकाग्रता) कम हो जाती है
Memory (याददाश्त) पर असर पड़ता है
Stress (तनाव) और Anxiety (चिंता) बढ़ जाती है
Decision making क्षमता कम होती है
National Institute of Mental Health and Neurosciences (NIMHANS), Bangalore की रिसर्च बताती है कि जो लोग लगातार स्क्रीन पर वीडियो देखते हैं या गेम खेलते हैं, उनकी decision making में देरी होती है और दिमाग की processing स्लो हो जाती है।
बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम और भी ज्यादा हानिकारक हो सकता है। ICMR और UNICEF के अनुसार, 2 साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए और 5-18 साल के बच्चों को रोज़ 1 घंटे से ज़्यादा स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए।
बच्चों में ज्यादा स्क्रीन देखने से:
बोलने और समझने की क्षमता कमजोर होती है
व्यवहार में चिड़चिड़ापन आता है
शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है
नींद की समस्या, मोटापा और आंखों की कमजोरी बढ़ सकती है
WHO और American Psychological Association (APA) की रिपोर्ट्स (Screen Effect on Brain) कहती हैं कि रोज़ 4 घंटे से ज़्यादा स्क्रीन पर समय बिताने से मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है:
तनाव (Stress)
अकेलापन (Loneliness)
आत्मविश्वास में कमी
नींद की कमी के कारण डिप्रेशन की संभावना बढ़ जाती है
खासकर सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से तुलना की भावना बढ़ती है, जिससे व्यक्ति अपने आप को दूसरों से कम समझने लगता है।
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लगातार स्क्रीन पर बैठे रहने से शरीर की मूवमेंट बहुत कम हो जाती है, जिससे:
पीठ और गर्दन में दर्द
मोटापा बढ़ना
ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर का खतरा
आंखों की रोशनी कम होना
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों और युवाओं में शारीरिक निष्क्रियता से Non-Communicable Diseases (जैसे डायबिटीज, हाई BP) का खतरा काफी बढ़ जाता है।
कई शोध बताते हैं कि जब हम बहुत ज्यादा वीडियो, रील्स या गेम देखते हैं, तो हमारा दिमाग एक समय पर बहुत सी चीज़ें absorb नहीं कर पाता। इससे:
फोकस करने में दिक्कत होती है
छोटी-छोटी बातें भूलने लगते हैं
मल्टीटास्किंग की आदत लग जाती है, जिससे कोई काम पूरा मन से नहीं होता
अगर आपका काम या पढ़ाई स्क्रीन (Screen usage Effects) पर ही होता है, तो आपको कुछ उपाय अपनाने चाहिए:
✅ 20-20-20 Rule: हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें
✅ Screen Brightness: स्क्रीन की चमक कम रखें और आंखों के हिसाब से सेट करें
✅ Blue Light Filter: मोबाइल या लैपटॉप में Night Mode या Blue Light Filter ऑन करें
✅ Screen-free Time: हर दिन कम से कम 1-2 घंटे बिना किसी स्क्रीन के बिताएं
✅ Physical Activity: रोज़ थोड़ा चलें, योग करें, खेलें
✅ सोने से पहले 1 घंटा स्क्रीन से दूर रहें – इससे नींद की गुणवत्ता बेहतर होगी
WHO के अनुसार:
5 साल से कम उम्र के बच्चों को 1 घंटे से कम स्क्रीन टाइम मिलना चाहिए
वयस्कों को स्क्रीन टाइम को कम करके अधिक शारीरिक गतिविधि पर ध्यान देना चाहिए
सोने से कम से कम 1 घंटे पहले स्क्रीन से दूरी बनानी चाहिए
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अंत में यह समझना बहुत जरूरी है कि डिजिटल उपकरण हमारे जीवन को आसान बनाते हैं, लेकिन उनका अत्यधिक इस्तेमाल हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। लगातार कई घंटे स्क्रीन पर बिताने से Screen Effects on Eyes जैसे आंखों में जलन, धुंधलापन और थकान की समस्या होती है।
वहीं, Screen Effect on Brain से ध्यान भटकना, नींद की कमी और तनाव जैसे मानसिक प्रभाव सामने आते हैं। कुल मिलाकर, Impact of Screen Time on Health काफी गंभीर हो सकता है अगर हम संतुलन न बनाएँ। इसलिए, हमें अपने जीवन में डिजिटल डिटॉक्स की आदत डालनी चाहिए और समझदारी से स्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि हम Screen use side Effects और Screen usage Effects से बच सकें और एक स्वस्थ जीवन जी सकें।
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