Charaidev Moidam Assam World Heritage Site
क्या आप जानते हैं कि भारत का 43वां यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल कौन सा है? अगर नहीं, तो आपको जानकर गर्व होगा कि असम का चराईदेव मोईदाम हाल ही में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची (UNESCO Heritage Site) में शामिल हो गया है। यह भारत का गौरवशाली धरोहर स्थल जो अब यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हो गई है यह Charaidev Moidam भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम (Charaidev Moidam in Assam) राज्य में स्थित है। यह उपलब्धि सिर्फ असम के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है।
Charaidev Moidam Assam World Heritage Site -भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। लेकिन क्या यह केवल ऐतिहासिक इमारतों और प्राकृतिक स्थलों तक ही सीमित है? नहीं! यह हमारे अतीत, परंपराओं, वास्तुकला और इतिहास की अनमोल धरोहरों का एक जीवंत उदाहरण है। इस लेख में हम भारत के इस विश्व धरोहर स्थल का विवरण देंगे, उनके इतिहास, इसकी वास्तुकला, महत्व, पर्यटन महत्व, यात्रा की सुविधाओं,ठहरने की सुविधाएं और पर्यटन पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। अगर आप एक इतिहास प्रेमी, यात्रा उत्साही, या संस्कृति में रुचि रखने वाले व्यक्ति हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद रोचक होने वाला है।
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इसके साथ ही क्या आप जानते हैं कि भारत में अब तक कितने स्थानों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है? यदि नहीं, तो यह लेख आपके लिए विशेषरूप से है!
आज हम आपको चराईदेव मोईदाम ऐतिहासिक धरोहर स्थल के साथ ही उन 42 स्थलों के बारे में भी बताएंगे, जिन्हें यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है। यह सूची न केवल भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संपन्नता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि दुनिया हमारी विरासत को किस नज़रिए से देखती है। तो, आइए जानते हैं भारत के इन विरासत स्थल के बारे में विस्तार से!
भारत के 43 ऐतिहासिक धरोहर स्थलों की सुचि जो UNESCO Heritage Site में शामिल है :
आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि चराईदेव मोईदाम क्या है? यह इतना खास क्यों है? और इसे यूनेस्को में क्यों शामिल किया गया? इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए आपको इस लेख को पूरा पढ़ना चाहिए। तो आइए, इस अद्भुत धरोहर स्थल की ऐतिहासिक यात्रा पर चलते हैं और जानते हैं कि क्यों इसे भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
Charaidev Moidam Assam World Heritage Site, यह स्थल, असम में अहोम राजवंश के शासकों और उनके परिवारों के दफन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। 13वीं से 18वीं शताब्दी के बीच, अहोम वंश ने असम पर शासन किया और चराईदेव को अपनी पहली राजधानी के रूप में स्थापित किया। यहां के मोईदाम, जो घास से ढके टीलों के रूप में दिखाई देते हैं, अहोम शासकों के अंतिम विश्राम स्थल हैं। इन टीलों के भीतर, शासकों के अवशेषों के साथ-साथ उनकी उपयोग की गई वस्तुएं, जैसे शाही प्रतीक, हथियार, आभूषण आदि, दफनाए गए थे। इनकी वास्तुकला और निर्माण शैली मिस्र के पिरामिडों की याद दिलाती है।
क्या आपको मालूम है की चराईदेव मोईदाम को “असम का पिरामिड” भी कहा जाता है क्योंकि इसकी संरचना मिस्र के प्राचीन पिरामिडों से मिलती-जुलती है।जहां 13वीं से 18वीं शताब्दी के बीच अहोम शासकों को उनके शाही वस्त्र, अस्त्र-शस्त्र और अन्य वस्तुओं के साथ दफनाया जाता था।
21 से 31 जुलाई, 2024 तक नई दिल्ली में आयोजित 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक में चराईदेव मोईदाम को सांस्कृतिक श्रेणी में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (Charaidev Moidam Assam World Heritage Site) के रूप में नामित किया गया। इस मान्यता के साथ, यह स्थल भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि “यह भारत के लिए अत्यंत खुशी और गर्व की बात है।” इसके साथ ही भारत अन्य गणमान्य व्यक्ति ने भी इस उपलब्धि पर ख़ुशी जाहिर किया है जो निम्न है –
अहोम वंश के संस्थापक चौ-लुंग सिउ-का-फा ने 13वीं शताब्दी में चराईदेव को अपनी पहली राजधानी के रूप में स्थापित किया। यह स्थल पाटकाई पर्वतमाला की तलहटी में स्थित है और इसे ताई-अहोम समुदाय द्वारा पवित्र माना जाता है। अहोम शासकों की मृत्यु के बाद, उन्हें मोईदाम नामक गुंबदाकार टीलों में दफनाया जाता था। प्रत्येक मोईदाम के भीतर एक गुंबदाकार कक्ष होता था, जिसमें शासक के अवशेषों के साथ-साथ उनकी उपयोग की गई वस्तुएं भी रखी जाती थीं। यह परंपरा लगभग 600 वर्षों तक चली और समय के साथ इसमें विभिन्न वास्तुकला तकनीकों का विकास हुआ। इस तरह मोईदाम असमिया पहचान और विरासत की समृद्ध परंपरा को दर्शाता है।
यदि आप Charaidev Moidam in Assam की यात्रा करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको असम की राजधानी गुवाहाटी पहुंचना होगा। गुवाहाटी से चराईदेव की दूरी लगभग 400 किलोमीटर है। गुवाहाटी से आप ट्रेन या बस के माध्यम से सिबसागर (जिसे अब शिवसागर कहा जाता है) पहुंच सकते हैं, जो चराईदेव के निकटतम प्रमुख शहरों में से एक है। सिबसागर से चराईदेव की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है, जिसे आप टैक्सी या स्थानीय परिवहन के माध्यम से तय कर सकते हैं।
दोस्तों इसके अलावा, इस स्थल का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन भोजो स्टेशन है, जहां से इसकी दूरी महज 6.3 किमी है दूसरा निकटम रेलवे स्टेशन सिमलुगुरी रेलवे स्टेशन है जो मोइदम से महज 32 किलोमीटर दुरी पर है। वही अगर नजदीकी हवाई अड्डा की बात करें तो डिब्रूगढ़ का मोहनबाड़ी हवाई अड्डा है जो मोइदम से लगभग 85 किलोमीटर दूर है।
सिबसागर और उसके आसपास ठहरने के लिए कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। आपकी सुविधा के लिए कुछ विकल्प निम्नलिखित हैं:
आप इन होटलों में बुकिंग बहुत से ट्रेवल एजेंसीज के द्वारा कर सकते हैं जिसमे- मेकमाईट्रिप, बुकिंग.कॉम, अगोडा.कॉम और गोबिबो.कॉम मुख्य है।
चराईदेव मोईदाम के अलावा, सिबसागर और उसके आसपास कई अन्य ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल हैं, जो आपकी यात्रा को और भी रोचक बना सकते हैं:
अब आप सोच रहे होंगे कि यह स्थान भारतीय पर्यटन और संस्कृति के लिए कितना महत्वपूर्ण है? चराईदेव मोईदाम के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (Charaidev Moidam Assam World Heritage Site) के रूप में मान्यता प्राप्त करने से असम और पूर्वोत्तर भारत के पर्यटन में वृद्धि की उम्मीद है। इससे यूनेस्को में (UNESCO Heritage Site) शामिल होने से चराईदेव मोईदाम न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान बनाएगा। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस क्षेत्र की पहचान मजबूत होगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
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पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय व्यवसायों, जैसे होटल, रेस्तरां, हस्तशिल्प विक्रेताओं आदि को लाभ होगा। साथ ही, यह स्थल शोधकर्ताओं, इतिहासकारों और छात्रों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा, जो अहोम वंश और उनकी संस्कृति का अध्ययन करना चाहते हैं।
क्या आपने पहले कभी असम के ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा की है? अगर हां, तो कौन सा स्थल आपको सबसे ज्यादा पसंद आया? अगर नहीं, तो क्या आप Charaidev Moidam को देखने असम (Charaidev Moidam in Assam) जाना चाहेंगे? दोस्तों कॉमेंट कर जरूर बतायें।
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