एंटीबायोटिक्स (Antibiotics)
मानव के लिए एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) एक बहुत बड़ा वरदान हैं, लेकिन जब हम एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (Antimicrobial Resistance AMR) के बारे में सोचते हैं, तो आमतौर पर हम यह सोचते हैं कि मनुष्य कौन सी दवाएँ ले रहा है। तो हम यह नहीं सोचते कि पशुओं में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करना एक बड़ा खतरा पैदा कर रहा है। वर्त्तमान समय में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल बीमारी को रोकने के लिए नहीं बल्कि इसके विकास को बढ़ावा देने और मांस का अधिक कुशलता से उत्पादन करने के लिए किया जा रहा है।
एंटीबायोटिक जानवरों में बीमारी और अस्वस्थता को रोकने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमलोगों को इन्हे पूरी तरह से हटाना आवश्यक नहीं बल्कि इनका अधिक प्रभावी तरीको से उपयोग किया जाना किया जाना बहुत जरुरी होना चाहिए। जैसे कि खेती के तरीकों में बदलाव करके एंटीबायोटिक्स का उपयोग कम किया जाए।
भारत ने 2020 में हर किलो मांस के लिए 114 मिलीग्राम एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया गया। 190 देशों के आंकड़ों के अनुसार भारत पशुओं में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल के मामले में 30वें स्थान पर रहा। वहीँ शोधकर्ताओं के अनुसार, 2010 के दशक में दुनिया भर में इस्तेमाल किए गए लगभग 70% एंटीबायोटिक्स जानवरों को दिए गए थे।
पशुओं में अत्यधिक एंटीबायोटिक्स का उपयोग हानिकारक होता है। इसके कारण मनुष्यों को खतरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं, और बैक्टीरिया से संबंधित समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं जो उपचार के समय मददगार नहीं रहतीं। इससे पशुओं के स्वास्थ्य पर खतरा बहुत बढ़ेगा और साथ ही इससे मनुष्यों को भी जोखिम हो सकता है।
पशुओं में एंटीबायोटिक्स का उपयोग प्रति किलोग्राम(kg) के हिसाब से मिलीग्राम(mg) में मापा जाता है। चार्ट 1 में दिखाया गया है कि भेड़ों में 243 मिलीग्राम, सुअरों में 173 मिलीग्राम, मवेशियों में 60 मिलीग्राम, और मुर्गियों में 35 मिलीग्राम एंटीबायोटिक का उपयोग होता है।
चार्ट 2 में देशों द्वारा उपयोग किए गए एंटीबायोटिक्स(Antibiotics) को दिखाया गया है। आप देख सकते हैं कि एशिया, ओशिनिया, और अधिकांश अमेरिका में अत्यधिक उपयोग हुआ है, जबकि यूरोप और अफ्रीका में 50 मिलीग्राम से भी कम का उपयोग हुआ है। भारत में 114 मिलीग्राम एंटीबायोटिक का उपयोग किया गया है, वहीं नार्वे में सिर्फ 4 मिलीग्राम — 30 गुना कम उपयोग किया गया।
एंटीबायोटिक (Antibiotics) हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। इनका उपयोग बैक्टीरियल संक्रमणों का इलाज करने के लिए किया जाता है, लेकिन इनका उपयोग बहुत ही संयमित और समझदारी से किया जाना चाहिए। इसके बावजूद, दुनिया भर में एंटीबायोटिक के उपयोग में बहुत बड़ा अंतर है। इसका कारण विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी पहलुओं में छिपा हुआ है। इस लेख में हम एंटीबायोटिक उपयोग में अंतर के मुख्य कारणों पर चर्चा करेंगे:
एंटीबायोटिक दवाओं की उपलब्धता और उनकी कीमत, उनके उपयोग में अंतर का एक प्रमुख कारण है। विभिन्न देशों में लोगों की आय और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच अलग-अलग होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक ऐसी वैश्विक समस्या बन गई है, जिसका समाधान केवल सही उपयोग के माध्यम से संभव है। WHO का कहना है कि विकासशील देशों में एंटीबायोटिक दवाओं की अधिक खपत और बिना डॉक्टर की सलाह के इनका उपयोग करना बहुत आम है। यह प्रतिरोधी बैक्टीरिया को जन्म देता है, जिससे उपचार की प्रक्रिया और भी कठिन हो जाती है।
विनियामक मानदंड और उद्योग मानदंड भी एंटीबायोटिक उपयोग में अंतर का एक प्रमुख कारण हैं। यह मानदंड देशों के स्वास्थ्य नीतियों, दवा उद्योग के कार्यप्रणाली और चिकित्सा पेशेवरों की शिक्षा से जुड़ा हुआ है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रमुख कारणों में से एक यह है कि अधिकतर देशों में दवाओं के सही उपयोग के लिए ठोस नियम और जागरूकता की कमी है। हालांकि, कुछ देशों में सरकारें इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही हैं और नियमों को कड़ा कर रही हैं।
और यह भी पढ़ें – Payal Kapadia की ऐतिहासिक धूम : Golden Globe और Critics Choice Awards 2025 में नामांकन
कुछ देशों में एंटीबायोटिक्स का उपयोग बहुत कम कर दिया गया है। कई यूरोपीय देशों में 2011 और 2022 के बीच पशु चिकित्सा एंटीबायोटिक की बिक्री में आधे से अधिक की गिरावट आई है। मानव चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक्स में भी 50% से ज्यादा की गिरावट आई है। कुछ दवाओं में 80% से 90% तक की गिरावट देखी गई है।
एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) जानवरों से मनुष्यों में प्रतिरोधी रोगजनकों को स्थानांतरित कर मानव स्वास्थ्य और खाद्य उत्पादन को नुकसान पहुंचाता है। प्रतिरोधी बैक्टीरिया आसानी से अलग-अलग प्रजातियों के बीच फैल जाते हैं। इसके कारण खाद्य श्रृंखला या पशु संचालकों के संपर्क से साल्मोनेला और कैम्पिलोबैक्टर (Salmonella and Campylobacter) जैसे मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट (MDR) बैक्टीरिया फैलने का खतरा बढ़ जाता है। अनुमानों के अनुसार, AMR आने वाले दशकों में केवल पशुधन पर 3-4 बिलियन डॉलर का वित्तीय बोझ डाल सकता है।
इसलिए, मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य निगरानी और हस्तक्षेप के साथ एक वन हेल्थ(One Health) दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है, ताकि AMR के प्रभावों को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सके और मानव जोखिम को कम किया जा सके।
भारत में एंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antibiotic Resistance AMR) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक और अनुचित उपयोग इस समस्या का प्रमुख कारण है। वर्तमान में, एंटीबायोटिक दवाएं बिना डॉक्टर की पर्ची के आसानी से उपलब्ध हैं, और कई लोग मामूली बीमारियों के लिए भी इनका उपयोग करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, बैक्टीरिया इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं, जिससे संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
इस समस्या से निपटने के लिए, सरकार को सख्त नियम लागू करने, जागरूकता फैलाने और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, हमें एंटीबायोटिक दवाओं के विकल्प खोजने और वैकल्पिक उपचारों को बढ़ावा देने पर भी ध्यान देना चाहिए। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक महामारी का रूप ले सकता है।
Source-
Miss Universe 2025 Winner: थाईलैंड के खूबसूरत शहर नॉनथाबुरी में स्थित Impact Challenger Hall में…
CS Academy hosted its much-anticipated Entrepreneur Fete earlier this month across both its CBSE and…
Hey beauty fam, brace yourselves! The Nykaa Pink Friday Sale is back, bigger and bolder…
Established under a strategic collaboration between Starbucks Coffee Company & Tata Starbucks, the FSP aims…
The financial sector plays a crucial role in supporting India’s growth story. As the economy…
ASBL, a leading name in creating future-forward living spaces, has partnered with NrityaPriya Dance Academy…