Baba Abhay Singh
दोस्तों, जरा सोचिए, क्या आप अपनी करोड़ों की नौकरी छोड़ सकते हैं? शायद नहीं, लेकिन अभय सिंह (Abhay Singh ) ने ऐसा किया। उन्होंने IIT मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और एक शानदार करियर को छोड़कर, भौतिक आकर्षण और मोह माया को त्याग कर आध्यात्म की राह चुनी और संन्यास को अपनाया।
अभय कहते हैं, की “पैसे से शांति नहीं खरीदी जा सकती।” इसके बाद उन्होंने ने आगे कहा की , “प्रश्न से ही कोई यात्रा शुरू होती है, और मेरे मन में भी कई प्रश्न थे जो आईआईटी में दाखिला लेने के बाद मेरे मन में भी कई प्रश्न आया जैसे कि इस जिंदगी में क्या है अब लाइफ में आगे क्या करूं। मुझे कुछ ऐसा ढूंढना था कि जो मैं आजीवन कर सकूं। इस तरह के उनके आंतरिक सवाल यह साबित करती है की अभय ने अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को पहचान गये थे।
संन्यास को अपनाने का निर्णय आसान नहीं था। लाखों युवा IIT की पढ़ाई और बड़ी नौकरियों का सपना देखते हैं, लेकिन अभय ने अपने भीतर झांका और महसूस किया कि असली सफलता आत्मा की शांति है। जो कि बाहरी सफलता से अधिक महत्वपूर्ण है इसलिए अपने भीतर की शांति को पाने के लिए उन्होंने सबकुछ छोड़ कर सन्यास को मन से अपनाया।
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उनका मानना है, “जब आप अपने आप को समझने लगते हैं, तभी आप दूसरों को भी समझ सकने में समर्थ होंगे।” क्या आप इस बात पर सहमत हैं? क्या आपने कभी सोचा है कि करियर और पैसे के पीछे भागते-भागते हम अपने असली उद्देश्य को भूल जाते हैं? क्या आप भी अपने जीवन का उद्देश्य को समझ पायें है अगर अभी तक नहीं समझ पाये हैं तो इसके लिये आप क्या कर रहें हैं कमेंट कर जरूर बतायें।
बाबा अभय सिंह जो इस वर्ष कुम्भ मेला २०२५ में मुख्य आकर्षण के केंद्र बिंदु बने हुवे हैं जो उनकी उपस्थिति लाखों लोगों को प्रभावित कर रही हैं और प्रेरणा के श्रोत बन रहे हैं, जिसके कारण सभी लोग इनके बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं और उनके विचारों को जानना ओर समझना चाहते हैं। तो आइए हम संछेप में इनके बारे में जानते हैं।
बाबा अभय सिंह जी, हरियाणा के छोटे से गांव झज्जर के रहने वाले हैं। वह एक सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं और अपनी प्रारंभिक शिक्षा झज्जर के डी.एच. लॉरेंस स्कूल में की। इसके बाद उन्होंने JEE एडवांस्ड परीक्षा में शानदार प्रदर्शन कर ऑल इंडिया 731वीं रैंक हासिल की और देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT मुंबई में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया।
IIT में पढ़ाई के दौरान, अभय सिंह का झुकाव दर्शन और मानविकी की ओर बढ़ा। उन्होंने दर्शनशास्त्र और आध्यात्मिकता से संबंधित कई ग्रंथ पढ़े, जिससे उनकी जीवन को देखने की दृष्टि बदली। वह नवउत्तरवाद, प्लेटो और सुकरात जैसे विचारकों से गहराई से प्रभावित हुए।
IIT से स्नातक करने के बाद, उन्होंने डिजाइनिंग में मास्टर्स किया और Vogue तथा GQ जैसी फैशन पत्रिकाओं के लिए काम किया। क्या आपने कभी सोचा है कि एक IIT मुंबई ग्रेजुएट Vogue और GQ जैसी फैशन पत्रिकाओं के लिए काम कर सकता है? अभय सिंह ने न केवल ऐसा किया, बल्कि उन्होंने फोटोग्राफी और डिजाइनिंग में भी महारत हासिल की और उन्होंने एड फिल्में बनाईं। लेकिन, इन सबके बावजूद उन्हें अपने जीवन में सच्ची शांति नहीं मिली और उनके लिए यह यात्रा भी अधूरी थी।
आपने शायद कभी महसूस किया होगा कि सब कुछ होते हुए भी कुछ कमी है? अभय सिंह ने कनाडा में एक उच्च वेतन वाली करोड़ों की नौकरी और आरामदायक जीवन के बावजूद यही महसूस किया। यही कारण था जो COVID-19 के दौरान अकेलेपन और आत्मनिरीक्षण ने उन्हें भारत लौटने के लिए प्रेरित किया। भारत आकर उन्होंने धर्मशाला और अन्य तीर्थ स्थलों की यात्रा की। धर्मशाला में बिताए गए समय ने उन्हें सिखाया कि सच्ची शांति बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि अपने भीतर की यात्रा में है। शायद आपने भी कभी ऐसा अनुभव किया होगा जब आपको अपने जीवन की प्राथमिकताओं को बदलने का मन किया हो?
वह कहते हैं, “जब तक आप खुद नहीं देखते, तब तक आप चीजों की असली सच्चाई को समझ नहीं सकते।” यह अनुभव उन्हें आत्म-खोज की ओर ले गया। क्या आप भी मानते हैं कि कला और क्रिएटिविटी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझा सकती है?
अभय सिंह के आध्यात्मिक गुरु सोमेश्वर पुरी हैं, जिन्होंने उन्हें अघोरी संतों और जूना अखाड़े के महात्माओं से मिलवाया। अभय सिंह ने भगवान शिव को अपना मार्गदर्शक मानते हुए अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाया। इस वक्त अभय सिंह प्रयागराज के महाकुंभ 2025 में अपनी प्रेरणादायक जीवन यात्रा और दर्शन से लाखों लोगों को प्रभावित कर रहे हैं, और उनकी यह वास्तविक जीवन की कहानी आधुनिकता और आध्यात्मिकता के संगम का अद्भुत उदाहरण है।
शायद आपको भी कभी यह सवाल जरूर परेशान करता होगा कि “जीवन का असली अर्थ क्या है?” अभय सिंह ने भी यह सवाल IIT मुंबई में पढ़ाई के दौरान किया। इंजीनियरिंग के साथ-साथ उन्होंने दर्शन शास्त्र को पढ़ना शुरू किया। वह कहते हैं, “जब आप खुद को समझते हैं, तो आपको जीवन के सारे जवाब मिल जाते हैं।” उन्होंने महसूस किया कि दर्शन केवल किताबों में नहीं, बल्कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में भी है। क्या आपने भी कभी यह महसूस किया है कि ज्ञान की गहराई में जाकर जीवन के हर सवालों के जवाब ढूंढे जा सकते हैं?
प्रयागराज के महाकुंभ 2025 में, IIT मुंबई ग्रेजुएट अभय ने अपनी कहानी और विचारों से लाखों लोगों को प्रेरित और प्रभावित किया है। वह संगम के तट पर जीवन, दर्शन और सत्य की बात करते हैं। महाकुंभ 2025 में उनकी उपस्थिति और उनका व्यक्तित्व इस वक्त एक चर्चा का विषय बना हुआ है। अगर आप इस साल महाकुंभ 2025 के मेला में गए है या जाने वाले है, तो आप जरूर बताएं की इस मेला में आपने क्या देखा और क्या अनुभव किया है।
एक दार्शनिक चिंतन और मत के अनुसार सत्य की खोज में आत्मा की शांति छिपी होती है? अभय ने भगवान शिव को अपना मार्गदर्शक मानकर सत्य की खोज शुरू की। वह कहते हैं, “सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है।” यह विचारधारा ही उन्हें प्रेरित करती है कि जीवन में हर अनुभव एक सीख है। वह मानते हैं कि आध्यात्मिकता व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि यह समाज को जोड़ने का एक तरीका है। क्या आप भी अपने जीवन में सत्य की खोज कर रहे हैं कमेंट कर जरूर हमें बतायें।
अभय सिंह के द्वारा बताये गये कथन के अनुसार उनके जीवन में अपने माता-पिता के झगड़े और उसके परिणाम स्वरूप मानसिक तनाव ने उन्हें तोड़ दिया था, लेकिन अभय ने इन अनुभवों को अपनी ताकत बनाया और उनका कहना है, की “संघर्ष हमें जागरूकता और सच्चाई के करीब ले जाते हैं।”
Abhay Singh ने अपने अनुभवों को साझा करते हुवे युवाओं को सिखाया कि आत्मा की शांति ही सच्ची खुशी है। वह सोशल मीडिया पर ध्यान, योग और सत्य की खोज से जुड़े प्रेरणादायक संदेश को साझा करते हैं। उन्होंने यह भी कहा, “जीवन में वह करें जो आपको आंतरिक शांति दे।” अगर आप भी अपने जीवन में शांति की तलाश कर रहे हैं? तो सबसे पहले हम सभी को यह समझना होगा की जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य क्या है।
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दोस्तों, पारंपरिक रास्तों से हटकर आत्म-खोज की यात्रा कितनी महत्वपूर्ण है, यह हमें IIT मुंबई ग्रेजुएट एयरोस्पेस इंजीनियरिंग अभय सिंह की आध्यात्मिक जीवन यात्रा से समझ में आती है जिसने इसके लिए सन्यास को ग्रहण किया है । लेकिन ये सबके लिए अनुकूल हो यह सत्य नहीं है क्यों की आध्यात्मिक खोज जीवन की एक आंतरिक यात्रा है और यह जीवन की आंतरिक यात्रा को आप किस तरह तय करते है यह आप पर निर्भर करता है। क्यों की यह यात्रा जो आपकी खुद की आंतरिक यात्रा है और इसको आपको खुद ही तय करना होता है इसलिए तो बौद्ध धर्म के महान प्रवर्तक और महान संत गौतम बुद्ध ने सबके लिए कहा है “अप दीपो भव”।
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